रोहतक, 5 अप्रैल (हप्र)
महम मंडी में सोमवार को आई गेहूं की सभी ढेरियां रिजेक्ट कर दी गई। खरीद एजेंसी हैफेड के अधिकारियों ने किसी में नमी तो किसी में खरपतवार व मिट्टी बताते हुए उन्हें लेने से मना कर दिया। इसको लेकर किसानों व आढ़तियों में रोष है। उनका कहना है कि गेहूं साफ सुथरा है, बावजूद इसके नहीं लिया जा रहा। खरीद एजेंसी हैफेड के परचेज अधिकारी देवेन्द्र खत्री ने बताया कि कई ढेरियों में 16 प्रतिशत तक नमी है तो कई में सफाई की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आढ़ती पंखा व झरना लगाकर गेहूं की सफाई करके उसे बिक्री लायक करेंगे तो तुरंत खरीद कर ली जाएगी। मंडी में 600 क्विंटल के लगभग गेहूं आया हुआ है लेकिन खरीद नहीं हुई।
4 गांवों का पोर्टल पर नहीं हो रहा रजिस्ट्रेशन
जिन किसानों ने अपनी गेहूं व सरसों की फसल का रजिस्ट्रेशन नहीं करवा रखा उन किसानों को 5 व 6 अप्रैल को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने की सरकार ने बात कही थी। खरकड़ा, महम, निंदाना व भैणी चंद्रपाल गांव के किसानों का कहना है कि वे सोमवार को अपनी फसलों का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए काफी समय तक पोर्टल पर जूझते रहे लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। वहीं महम की एसडीएम मेजर गायत्री अहलावत ने सोमवार को अनाज मंडी में गेहूं खरीद का जायजा लिया।
‘खरीद मंडी में बढ़ाई जाएं सुविधाएं’
बाढड़ा, 5 अप्रैल (निस)
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मंडी पहुंच कर गेहूं खरीद का जायजा लिया और सरकार से मंडी में खरीद सुविधाओं को बढ़ाने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने विधायक एवं पूर्व वरिष्ठ मंत्री किरण चौधरी एवं पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को इसकी जानकारी दी, इसके बाद उन्होंने जिला उपायुक्तों से वार्ता कर समस्या का समाधान कराने का आश्वासन दिया।
पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मोतीराम जांगड़ा ने कांग्रेस नेताओं को बताया कि कस्बे की अनाज मंडी में गेहूं खरीद की तैयारियों का जायजा लेने के बाद कहा कि भाजपा-जजपा सरकार लाॅकडाउन के बहाने गरीब किसानों का शोषण कर रही है, जो किसी सूरत में सहन नहीं होगा। खरीद केन्द्रों पर कोई पुख्ता प्रबंध नहीं करना तथा मूलभूत सुविधाओं के नाम पर किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गेहूं खरीद में भले ही सरकार ने नए खरीद केन्द्र स्थापित कर दिए हों, लेकिन खरीद अधिकारी एक गांव को उनके नजदीक केन्द्र से जोड़ने की बजाय 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित केन्द्र से जोड़कर परेशान कर रहे हैं। बाढड़ा मंडी में एक दिन में केवल बीस या तीस की संख्या में किसानों का नंबर आता है और इस तरह तो दो माह तक उनके गांवों के किसानों को गेहूं बिक्री का इंतजार करना पड़ेगा।