सोनीपत, 27 जनवरी (हप्र)
तीन कृषि कानूनों को रद्द कराकर नये सिरे से एमएसपी पर गारंटी कानून की मांग कर रहे किसानों के 60 दिन के आंदोलन को चंद युवाओं ने 60 मिनट में चौपट कर दिया। जिस शांति और अमन की नजीर यह आंदोलन था उसको लाल किले की घटना ने तार-तार कर दिया। इसका आंदोलन को कितना बड़ा नुकसान होगा, इसका अंदाजा लगा पाना अभी संभव नहीं है। फिलहाल, इतना जरूर है कि पहले जैसा माहौल बनाने के लिए अब किसान नेताओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।
इस घटनाक्रम के पीछे एक वजह यह भी रही है कि अनुभवी किसान नेता युवाओं के मनसूबे भांपने में नाकाम रहे। हालांकि कई बार युवाओं ने इसके संकेत दिए थे, लेकिन किसानों ने इसे हल्के में लिया और अवसाद मानकर बात को टाल गए। इसी तरह 25 जनवरी को मुख्य स्टेज पर जिस तरह का हंगामा बरपाया गया था, वह इसका बात का संकेत था कि सुबह कुछ भी हो सकता है लेकिन फिर भी किसानों ने इसे अनदेखा किया और जो हुआ वो सबके सामने है।
हरियाणा-पंजाब को लेकर खींचतान
पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का एक वीडियो भी बुधवार को वायरल हुआ। इसमें वह मंच से कहते दिख रहे हैं कि बैठक में मुझे प्रधानी करने के लिए कहा गया, लेकिन मैंने प्रधानी करने से मना कर दिया। क्योंकि मैं तभी प्रधानी करूंगा, जब हरियाणा वाले अपने युवाओं पर काबू करेंगे। उन्होंने यहां तक कहा कि पहले इन्होंने अपना जाट आंदोलन खराब किया और अब हमारा आंदोलन खराब कर रहे हैं। इनका अपने ही युवाओं पर काबू नहीं है। दिल्ली से वापस लौटने की अपील करने के बाद पंजाब के युवा आ गए, लेकिन हरियाणा के युवा अभी तक वहां घूम रहे हैं। इस तरह का वीडियो वायरल होने के बाद खींचतान भी होती दिख रही है।