विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 26 मई हरियाणा की अलग हाईकोर्ट की मांग काफी समय से चली आ रही है। पिछल्ली सरकारो में भी यह मांग उठती रही है। इसी मांग को लेकर हरियाणा के वकीलों ने भी मोर्चा खोल दिया है। जनशक्ति आवाज मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व बार अध्यक्ष रणधीर सिंह बदरान ने मंच के सदस्यों के साथ आज यहां पत्रकारवार्ता की। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 2013 की मांग के बाद अब पिछले दिनो दिल्ली में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी हरियाणा के अलग हाईकोर्ट की मांग की है। बदरान ने बताया कि हरियाणा की अदालतों में इस समय करीब छह लाख मामले लंबित हैं। यदि ऐसे ही पेंडेंसी बढ़ती रही तो कई केसों का फैसला होने में 100 साल लग जाएगा। यह एक गंभीर विषय है। इसका एक मात्र हल हरियाणा का अलग हाईकोर्ट है।
इस समय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चार लाख मामले लंबित हैं। पंजाब की जिला अदालतों में सवा पांच लाख मामले और चंडीगढ़ में 43 हजार मामले लंबित हैं। हरियाणा के अलग हाईकोर्ट की मांग आज समय की जरूरत है। देशभर की विभिन्न न्यायालयों में लंबित करीब पौने पांच करोड़ मामले लंबित हैं। ट्रिब्यून और कमीश्न के मामलों को शामिल करने के बाद यह आंकड़ा 6 करोड़ तक पहुंच जाता है। एडवोकेट बदरान ने कहा कि इस संबंध में वह हरियाणा के मुख्यमंत्री से मिलेंगे और जल्द ही अलग हाईकोर्ट को बनाने की मांग रखेंगे।
ये दिए सुझाव 1. हाईकोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों के साथ-साथ लोक आयोगों के न्यायाधिकरणों के समक्ष रिक्तियों के विरुद्ध न्यायाधीशों की तत्काल नियुक्ति हो।
2. हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की मौजूदा रिक्तियों के साथ-साथ न्यायाधिकरणों/आयोगों की रिक्तियों को तीन गुणा बढ़ाया जाए और जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों के जजों की रिक्तियों को दोगुना किया जाए।
3. सभी बैकलॉग को दूर करने के लिए सभी हाईकोर्ट में फास्ट ट्रैक्ट कोर्ट का निर्माण और सभी वरिष्ठ नामित अधिवक्ताओं को फास्ट ट्रैक्ट कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करना।
4. बैकलॉग क्लियर करने के लिए जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष फास्ट-ट्रैक कोर्ट का निर्माण और 25 साल की सक्रिय प्रैक्टिस वाले अधिवक्ताओं की नियुक्ति की जाए।
5. मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, लखनऊ और चंडीगढ़ में भारत के सुप्रीम कोर्ट की अतिरिक्त बेंचों के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर हाईकोर्ट बनाए जाएं।
6. मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, लखनऊ और चंडीगढ़, पटना और भोपाल में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, एनसीएलएटी, डीआरएटी, एनसीडीआरसी की अतिरिक्त बेंचों का गठन किया जाए।
7. हरियाणा के अलग हाईकोर्ट और बार काउंसिल बने।
एक लाख वकील करते हैं प्रैक्टिस दिल्ली में न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा के अलग हाईकोर्ट की मांग उठाई थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट दोनों राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का संयुक्त है। यहां एक लाख से अधिक वकील प्रैक्टिस करते हैं, ऐसे में वकीलों के अलावा यहां आने वाले लोगों को पार्किंग की समस्या होती है।