सिरसा-फतेहाबाद बेल्ट में 45 दिन का ऑपरेशन, नेटवर्क हिला
केस ज्यादा होने का मतलब अपराध बढ़ना नहीं, बल्कि नेटवर्क का खुलना है। पुलिस पहली बार उन जगहों तक पहुंची, जहां से ड्रग कोर सप्लाई होती है। पहले 45 दिनों में 257 गिरफ्तारियां हुई थीं, जबकि दूसरी अवधि में 342 आरोपी पकड़े गए। सिर्फ सिरसा में ही 83 और फतेहाबाद में 18 अतिरिक्त गिरफ्तारियां हुईं। इससे साफ है कि इस बार टारगेट सिर्फ यूजर नहीं, बल्कि कोर सप्लायर और मिड-रूट एजेंट थे।
सबसे बड़ा झटका तस्करी नेटवर्क को
इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि सप्लायरों की पहचान और गिरफ्तारी को अंजाम दिया गया। पहले चरण में 91 सप्लायर पकड़े गए थे, जबकि दूसरे चरण में यह संख्या 160 पर जा पहुंची। इनमें से 86 सप्लायर गिरफ्त में आए। पुलिस की बरामदगी अब पाउच लेवल नहीं, बल्कि हाई-वैल्यू ड्रग लेवल पर दिख रही है। एक किलो 271 ग्राम हेराेइन और 13 किलो 714 ग्राम फीम बरामद की गई।
ड्रग माफिया की प्रॉपर्टी पर बड़ा प्रहार
आर्थिक स्तर पर कार्रवाई में भी रिकॉर्ड उछाल देखा गया। पहले 15 मामलों में कुर्की हुई थी, अब यह आंकड़ा पहुंचा 27 पर। यह मॉडल बताता है कि पुलिस अब सिर्फ पकड़ने तक नहीं बल्कि इकोनॉमिक लाइफलाइन काटने वाली रणनीति पर चल रही है। पहले केवल तीन मेडिकल स्टोर सील हुए थे, जबकि इस बार यह संख्या 23 पहुंच गई। जिन पर कोडीन सिरप, ट्रामाडोल और ओवर-द-काउंटर ड्रग्स की अवैध सप्लाई का संदेह था।
हिस्ट्रीशीट खुली, अब लगातार निगरानी
पहली अवधि में 12 हिस्ट्रीशीट खोली गई थीं, जबकि इस बार 36 खुलीं। इसका मतलब है कि पुलिस इन तस्करों का डिजिटल, बैंकिंग और मूवमेंट ट्रैकिंग कर रही है। डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि इस अभियान में पुलिस ने 375 अधिक युवाओं को नशा मुक्ती सिस्टम में शामिल किया। यह बताता है कि ऑपरेशन सिर्फ दमन नहीं बल्कि रिफॉर्म इंटेलिजेंट एनफोर्समेंट मॉडल है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पुलिस ऑपरेशन नहीं, समाज की सुरक्षा का युद्ध है। हमारा लक्ष्य सप्लाई चेन का खात्मा और युवाओं को नशे से दूर करना है।
