रेवाड़ी (निस) : दिल्ली-जयपुर हाईवे पर धारूहेड़ा के निकट से बीती रात बदमाशों ने एक श्रमिक को कार में लिफ्ट देकर पिस्तौल के बल पर बंधक बना लिया। वे उसे भिवाड़ी ले गए, जहां एटीएम कार्ड के जरिए बैंक खाते से 40 हजार रुपये निकलवा लिये। पिछले दो दिनों में यह तीसरी वारदात है। दिल्ली के दीनपुर नजफगढ़ निवासी बृजकिशोर ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि वह बावल कंपनी में कार्यरत है। मंगलवार रात वह बावल जा रहा था। धारूहेड़ा बस स्टैंड के निकट से उसने एक कार में लिफ्ट ली। साबी पुल के निकट पहुंचते ही चालक ने दो और युवकों के कार में बिठा लिया। उन्होंने कार को सर्विस रोड पर मोड़ दिया। एक युवक ने बृजकिशोर की कनपटी पर पिस्तौल लगा दी तथा रुपये निकालने के धमकी दी। मोबाइल फोन छीन लिया तथा आंखों पर पट्टी बांध दी। युवकों ने बृहकिशोर से स्वजन को फोन कर खाते में रुपये डलवाने की धमकी दी। बृजकिशोर ने अपने एक सहकर्मी को इमरजेंसी बता कर अपने खाते में रुपये ट्रांसफर करा लिए। बदमाश उन्हें भिवाड़ी ले गए तथा पिन पूछ कर एक एटीएम से खाते से 40 हजार रुपये निकाल लिए। उसे साबी पुल के निकट फेंक कर फरार हो गए।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।