भिवानी (हप्र) :
यदि आप किसी संत महापुरुष की शरण में जाकर पूर्ण समर्पण करके उनके वचन को आत्मसात कर लेते हैं तो आपका कल्याण निश्चित है क्योंकि संत परमात्मा और भक्त के बीच किसी कड़ी का काम करते हैं। भगवान की मर्जी से अपने आपको बरतते हैं। उनका वचन परमात्मा का वचन होता है। यह सत्संग वचन राधास्वामी परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में साध-संगत के समक्ष फरमाए। हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि जगत और भगत का बैर होता है। ये बैर वैसा ही है जैसा केला और बड़बेर के पेड़ का होता है। उन्होंने कि संत के पास यदि रूखी सुखी भी खाकर रहना पड़े तो भी दुष्ट व्यक्ति की हलवा पूरी छोड़ कर संत सज्जन के पास ही रहना चाहिए। जब बुढ़ापा आता है तब वह रोता है कि मैंने अपना समय किनके लिए खो दिया। पूरी जिंदगी हम परमात्मा के भजन को कोई ना कोई बहाना करके टालते रहे। उन्होंने कहा कि संतमत इसीलिये सबसे ऊंचा मत है कि ये गृहस्थ में ही भक्ति की और प्रवृत करता है। उन्होंने कहा कि अपने सभी कर्म को पूरा करो लेकिन परमात्मा का भजन करना मत भूलो।