भिवानी, 29 सितंबर (हप्र)
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर चल रहे किसान आन्दोलन में चाहे जितने मुकदमें बन जायें, जेल हो जाए उससे किसान-मजदूर डरने वाले नहीं। जब तक केन्द्र सरकार तीनों काले कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती और न्यूनतम समर्थन मूल्य की संवैधानिक गारंटी नहीं कर देती तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा। यह बात युवा कल्याण संगठन के मुख्य संरक्षक कमल प्रधान ने कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र की मोदी सरकार बड़े कारपोरेट के दबाव में काम कर रही है इसलिए उनके मुनाफे और संपत्ति बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र उन लिए खोल दिए गए हैं। कृषि क्षेत्र में उनकी घुसपैठ देश की खाद्य सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा करेगी।
धरने को संबोधित करते हुए किसान सभा के जिला प्रधान रणधीर कुंगड़ ने भारी बारिश व बीमारी से नष्ट हुई कपास, मूंग, बाजरा व ग्वार की फसलों की शीघ्र गिरदावरी करवा कर 50 हजार प्रति एकड़ मुआवजा देने के साथ खेतों में जमा पानी की निकासी करने की मांग की ताकि किसान रबी की फसल की बुआई कर सकें। उन्होंने सभी किसानों के बाजरे की समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद सुनिशिचत करने की मांग की। कितलाना टोल पर धरने के 279वें दिन की अध्यक्षता सांगवान खाप से कन्नी प्रधान मास्टर ताराचन्द चरखी, फोगाट खाप से धर्मबीर समसपुर, श्योराण खाप से बिजेन्द्र बेरला, किसान सभा से रणधीर कुंगड़, किसान नेता बलबीर सिंह बजाड़, दिलबाग ढुल, मास्टर राज सिंह जताई, मीरसिंह नीमड़ीवाली, डा. राजू गोरीपुर, महिला नेत्री चन्द्रकला, सन्तरा डोहकी, कमला कितलाना व कृष्णा गोरीपुर ने संयुक्त रूप से की। मंच संचालन किसान सभा के कामरेड ओमप्रकाश ने किया।