चंडीगढ़, 22 सितंबर (ट्रिन्यू)
प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा’ योजना की तर्ज पर ‘मुख्यमंत्री बागवानी फसल बीमा’ योजना शुरू करने का ऐलान किया है। बागवानी से जुड़ी 21 फसलों को बीमा कवर मिलेगा। इनमें सब्जियों व फलों के अलावा मसाला फसलें भी शामिल हैं। बुधवार को यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
सब्जी व मसाला फसलों के नुकसान पर किसानों को 30 हजार रुपए प्रति एकड़ तथा फलों का नुकसान होने पर 40 हजार रुपए प्रति एकड़ मुआवजा मिलेगा। बीमा योजना के प्रीमियम के तौर पर किसानों को मुआवजा राशि का महज ढाई प्रतिशत देना होगा। सब्जी व मसाला उत्पादन करने वाले किसानों को 750 रुपए और फल की खेती करने वाले किसानों को एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रीमियम देना होगा।
कैबिनेट मीटिंग के बाद सीएम ने कहा कि बागवानी किसानों के लिए प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना (एमबीबीवाई) शुरू करने का निर्णय लिया है। यह एक आश्वासन-आधारित योजना होगी। बागवानी किसानों को विभिन्न कारकों के कारण भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है। इनमें फसलों में अचानक बीमारी फैलने, कीटों के संक्रमण जैसे जैविक कारक और बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा, पाला, अत्यधिक तापमान जैसे अजैविक कारक शामिल हैं।
योजना के तहत ओलावृष्टि, पाला, वर्षा, बाढ़, आग आदि जैसे मापदंडों को लिया गया है। आमतौर पर इन्हीं वजहों से फसल को नुकसान होता है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ रुपए का बजट रखा जाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत राज्य और जिला स्तरीय समितियां राज्य एवं जिला स्तर पर निगरानी, समीक्षा और विवादों का समाधान करेंगी।
मुआवजे के होंगे चार स्लैब
बागवानी फसल बीमा योजना में कवर होने वाले किसानों के नुकसान की चार कैटेगरी बनेंगी। 25, 50, 75 और 100 प्रतिशत नुकसान होने पर मुआवजा की दरें इसी हिसाब से तय होगी। यह योजना वैकल्पिक होगी और इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। यानी जो किसान अपनी इच्छा से इसमें शामिल होना चाहेंगे वे इसका लाभ ले सकेंगे। सरकार किसी के साथ जबरदस्ती नहीं करेगी। किसानों को मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर अपनी फसल और क्षेत्र का पंजीकरण करते समय इस योजना का विकल्प चुनना होगा।
भरे जाएंगे सहायक अधीक्षक (जेल) के पद
कैबिनेट मीटिंग में सहायक अधीक्षक (जेल) के रिक्त पद भरने के लिए पंजाब जेल विभाग राज्य सेवा (श्रेणी-3 कार्यकारी) के 1963 से जुड़े नियमों में संशोधन का फैसला लिया गया। अभी तक इस पद के लिए एक विषय में हिंदी या संस्कृति में दसवीं अनिवार्य थी। संशोधन के बाद अब सहायक अधीक्षक (जेल) के पदों को सीधे भरने के लिए शैक्षणिक योग्यता किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी संकाय में स्नातक या समकक्ष और हिंदी या संस्कृत के साथ मैट्रिक या उच्चतर शिक्षा होगी।