दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 27 अगस्त
शराब की बिक्री से कमाई करने के मामले में हरियाणा के आबकारी विभाग ने नया रिकार्ड कायम किया है। कोरोना काल में विपरित हालात में भी विभाग ने नई आबकारी नीति के पहले क्वार्टर में 263 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाए हैं। यह पहला मौका है, जब क्वार्टर यानी तीन महीनों में विभाग को 27 करोड़ 58 लाख रुपये से अधिक एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में मिले हैं। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में पांच वर्ष में भी इतनी एडिशनल एक्साइज ड्यूटी नहीं मिली। उस समय कैप्टन अभिमन्यु आबकारी एवं कराधान मंत्री थे। उनके कार्यकाल के आखिरी साल यानी 2019-20 में महज एक लाख रुपये एडिशनल एक्साइज ड्यूटी से जुट पाए थे। इस बार लगभग 2700 गुणा अधिक कलेक्शन विभाग ने की है। कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन होने के चलते राज्य की नई एक्साइज पॉलिसी पहली अप्रैल, 2020 से लागू नहीं हो पाई।
बृहस्पतिवार को हरियाणा निवास में पत्रकारों से मुखातिब हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला ने कहा कि अनलॉक पार्ट-1 में 5 मई को फिर से ठेके खोलने का फैसला लिया गया। 6 मई से लेकर 19 अगस्त तक के पहले क्वार्टर में विभाग ने लगभग 263 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह कलेक्शन लॉकडाउन व कोरोना संक्रमण की वजह से बिगड़े वित्तीय हालत में हुआ है। 263 करोड़ की राशि में एक्साइज व एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के अलावा परमिट व रिटेल लाइसेंस फीस शामिल हैं। एक्साइज ईयर में भी कैबिनेट ने बदलाव करते हुए इस पॉलिसी को अगले वर्ष 5 मई तक के लिए लागू किया है। ऐसे में 6 मई से लेकर अब तक विभाग ने देसी तथा भारत में निर्मित विदेशी शराब से 27 करोड़ 58 लाख रुपये एडिशनल एक्साइज ड्यूटी से जुटाए।
कोविड-सैस से पौने 75 करोड़ की कमाई
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने कोरोना काल के चलते शराब पर ‘कोविड-सैस’ लगाया। कोविड सैस से पहले ही क्वार्टर यानी 19 अगस्त तक एक्साइज विभाग को 74 करोड़ 80 लाख 57 हजार 183 रुपये की कमाई हुई है।
रिटेल लाइसेंस फीस से मिले 62 करोड़ ज्यादा
दुष्यंत ने कहा कि एक्साइज डिपार्टमेंट में ऐसा भी पहली बार हुआ है, जब पहले ही क्वार्टर में 62 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रिटेल लाइसेंस फीस पिछले वर्ष के मुकाबले मिली है। पिछले साल पहले क्वार्टर में विभाग को 1447 करोड़ 43 लाख 41 हजार 549 रुपये रिटेल लाइसेंस फीस से मिले थे। वहीं इस बार इस अवधि में यह फीस 1509 करोड़ 36 लाख 27 हजार 462 रुपये मिली है। इसी तरह से डिपार्टमेंट को इस बार परमिट फीस भी लगभग 4 करोड़ रुपये अधिक मिली है। पिछले वर्ष पहले क्वार्टर में परमिट फीस से कुल 62 करोड़ 70 लाख रुपये मिले थे और इस बार 66 करोड़ 39 लाख रुपये मिले हैं।