पुरुषोत्तम शर्मा/हप्र
सोनीपत, 23 जनवरी
राजपथ पर जब देश के बेटे परेड कर रहे होंगे, तभी दिल्ली की सड़कों उनके परिजन किसान ट्रैक्टर लेकर मार्च निकालेंगे। एक तरह देश की ताकत जवान होगा,तो दूसरी ओर किसान झांकियां निकाल रहा होगा। इसके लिए शनिवार को परेड के लिए फाइनल रिहर्सल की गई। परेड की अगुवाई के लिए महिलाओं को तैयार किया गया है,तो युवाओं को व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
परेड के लिए सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर करीब 20 हजार ट्रैक्टर पहुंच चुके हैं, तो एक लाख से अधिक किसान मौजूद हैं। किसानों की ट्रैक्टर परेड में 50 तरह की झांकियों की झलक दिखाई देने वाली है। इनमें केवल किसानी के विभिन्न रूपों व किसानों की दशा की झलक दिखाई देगी।
इन झांकियों को गणतंत्र दिवस समारोह की झांकियों के सामांतर तैयार किया गया है। जिस तरह से राष्ट्रीय समारोह में अलग-अलग प्रदेश की विशेषता को बताती झांकियां निकाली जाएंगी, ठीक उसी तरह से किसान अलग-अलग प्रदेशों में किसानों की हालत को बयां करती झांकियां दुनिया के सामने लेकर आ रहे हैं। साथ ही झांकियों के माध्यम से देशभक्ति व देशसेवा का झरोखा भी किसान पेश करेंगे। किसानों ने अपनी तैयारियों को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। किसानों का कहना है कि वे 25 जनवरी की शाम को ही दिल्ली में प्रवेश करने की रणनीति बना रहे हैं। इस दौरान रास्ते में आने वाले बेरिकेड्स और अन्य बाधाओं से निपटने की तैयारी भी किसानों ने कर ली है। अकेले कुंडली बॉर्डर पर 20 हजार से अधिक ट्रैक्टर जुट चुके हैं। हर ट्रैक्टर की कमान एक पारंगत चालक के हाथ में होगी। जबकि दूसरे किसान ट्रैक्टरों में चालक के साथ मौजूद रहेंगे।
तिरंगा और किसान यूनियन का होगा झंडा
ट्रैक्टरों में दो तरह के झंडे लगाए गए हैं। इनमें पहला तिरंगा है और दूसरा झंडा यूनियनों से संबंधित किसानी झंडा है। दरअसल, 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसानों की ट्रैक्टर यात्रा का निकलना तय किया था। बीते तीन दिनों में पंजाब व हरियाणा से कुंडली बॉर्डर पर पांच हजार से ज्यादा ट्रैक्टर जुटाए गए हैं, जो डीजल से फुल करा लिए गए हैं। यहां पहुंची किसानों की टीमों ने दिन-रात एक कर झांकियां तैयार की व ट्रैक्टरों में सभी जरूरी पार्ट लगवाए हैं। किसानों ने परेड में प्रदर्शनी के लिए 50 तरह की झांकियां तैयार की हैं और हर झांकी में अलग थीम लिया गया है। यही नहीं, हर थीम में अलग रंग भी नजर आएगा। किसानों ने इसके लिए प्रशिक्षित कलाकारों की मदद ली है। ये झांकियां ट्रालियों में तैयार की है। यही नहीं, एक थीम में बैलों की जोड़ी भी ली गई है और बताया है कि किसान और बैल किस तरह मेहनत के मामले में एक दूसरे के पूरक हैं। एक दूसरे थीम में किसानों ने अन्नदाता की दयनीय हालत को दर्शाया है।
जुटने लगे किसान, प्रशासन भी हुआ मुस्तैद
बहादुरगढ़ (निस) नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद अब आंदोलनरत किसानों ने अपना पूरा ध्यान 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड पर लगा दिया है। शनिवार को किसान जहां इस ट्रैक्टर परेड को सफल बनाने को लेकर चर्चा करते नजर आए, तो वहीं पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद हो गया। 26 जनवरी व ट्रैक्टर परेड को लेकर अप्रोच मार्गों पर भी पुलिस की तैनाती कर दी गई। आंदोलनरत किसानों के साथ आमजन का ध्यान भी इस ट्रैक्टर परेड पर है। गांव की चौपाल से लेकर बाजार व नुक्कड़ सभाओं पर इस ट्रैक्टर परेड की चर्चा है। दिनभर बहादुरगढ़ के बाजारों व मुख्य मार्गों पर किसान एकता जिंदाबाद के नारों के अलावा ट्रैक्टरों पर देशभक्ति के गीत सुनाई दिए। पूरा दिन दिल्ली-रोहतक मार्ग पर आंदोलनरत किसानों का टीकरी बॉर्डर पर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। पंजाब, हरियाणा ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी किसान इस परेड का हिस्सा बनने के लिए यहां पहुंच रहे है।