दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 2 दिसंबर
हरियाणा की खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में नियुक्त किए एचसीएस अधिकारियों को नौकरी से हटाने का निर्णय लिया है। कुल 23 अधिकारियों की नौकरी जाएगी। इनमें 19 एचसीएस, 2 डीईटीसी तथा 2 ही एचपीएस शामिल हैं। हरियाणा के मुख्य सचिव की ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल किए गए शपथ-पत्र में सरकार के इस फैसले का खुलासा किया गया है।
बेशक, बृहस्पतिवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी, लेकिन मुख्य सचिव का शपथ-पत्र कोर्ट में दाखिल हो गया। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब शुक्रवार को होगी। मुख्य सचिव के इस शपथ-पत्र के साथ ही तय हो गया है कि सरकार ने चौटाला सरकार द्वारा 2004 में की गई इस एचसीएस भर्ती को गलत मान लिया है। चौटाला सरकार ने 2004 में कुल 102 पदों पर भर्ती की थी। वहीं दूसरी ओर, उन 22 उम्मीदवारों की उम्मीदों पर भी इस शपथ-पत्र के बाद पानी फिर गया है, जो खट्टर सरकार द्वारा 2016 में ज्वाइन करवाए गए अधिकारियों की तर्ज पर खुद की ज्वाइनिंग के लिए हाईकोर्ट पहुंचे थे।
चौटाला सरकार के समय हुई इस भर्ती के लिए चयनित कुल 102 उम्मीदवारों में से 38 को ज्वाइनिंग लेटर खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में जारी किए थे। सभी 38 ने नौकरी ज्वाइन नहीं की थी। इनमें से कुछ का चयन आईएएस-आईपीएस सेवाओं में हो गया था तो कुछ आईआरएस सहित दूसरी नौकरियां ज्वाइन कर चुके थे। माना जा रहा है कि ज्वाइनिंग लेटर जारी करने के चलते राज्य सरकार इस मामले में खुद ही फंस चुकी है।
हुड्डा सरकार ने करवाई थी विजिलेंस जांच
चौटाला सरकार ने एचसीएस (एग्ज्यूटिव व संबद्ध सेवाओं सहित) के कुल 102 पदों के लिए 2004 में भर्ती की थी। भर्ती में गड़बड़ी के चलते पूर्व की हुड्डा सरकार ने चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइन नहीं करवाया। अलबत्ता इस पूरे मामले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी। 2011 में आई विजिलेंस ब्यूरो की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आंसर-शीट के साथ गड़बड़ हुई है। दरअसल, आंसर शीट में किसी के नंबर बढ़े हुए हैं तो किसी के घटे हुए हैं। अंकों के कुल जोड़ में भी अंतर था। विजिलेंस रिपोर्ट को आधार मानते हुए हुड्डा सरकार ने किसी भी अधिकारी को ज्वाइनिंग लेटर नहीं दिया।
काॅपी-चेकर ने बदले थे पैन
कॉपी-चेकर ने कहीं नीली स्याही का इस्तेमाल किया तो कहीं लाल पेन से अंकों का जोड़ किया। अलग-अलग पेन का इस्तेमाल करना भी विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट में सही नहीं माना। इतना ही नहीं, कुछ आंसर-शीट ऐसी भी हैं, जिनमें अभ्यर्थियों द्वारा एक सवाल का जवाब देने के बाद दूसरे सवाल के जवाब और पहले के बीच पांच-सात लाइन खाली छोड़ी हुई हैं। इससे भी विजिलेंस ब्यूरो सहमत नहीं था। इसी वजह से रिपोर्ट में इन बिंदुओं को प्रमुखता के साथ अंकित किया गया।
2015 में सरकार ने बनाई थी कमेटी
खट्टर सरकार ने 2016 में 38 उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लेटर देने से पहले हाई लेवल कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने विजिलेंस की जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद सिफारिश की थी। कमेटी ने भी 38 उम्मीदवारों की आंसर शीट सही बताई थी। माना जा रहा है कि एक डीएसपी द्वारा की गई तीसरी जांच की रिपोर्ट के बाद इन अधिकारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। मुख्य सचिव की ओर से 19 एचसीएस, 2 डीईटीओ व 2 एचपीएस को नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
एक डीएसपी की रिपोर्ट ने पलटा केस
2016 में खट्टर सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि उन्हीं 38 उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग लेटर जारी किए जा रहे हैं, जिनकी आंसर शीट सही मिली हैं। 2017 में इस ज्वाइनिंग के बाद कुछ और उम्मीदवार कोर्ट पहुंचे। उन्होंने दलील दी कि जिन्हें ज्वाइन करवाया गया है, उनके और हमारे केस में कोई अंतर नहीं है। हाईकोर्ट के आदेशों पर विजिलेंस ने फिर मामले की जांच की। बताते हैं कि इस बार एक डीएसपी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में कहा गया कि 38 में से केवल 11 ही उम्मीदवारों की आंसर शीट सही हैं। बाकी 27 की आंसर-शीट में भी कुछ न कुछ गड़बड़ है। इस मामले में कोविड-19 की वजह से हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। जब कोर्ट फिर से नियमित रूप से सुनवाई शुरू हुई तो इस मामले में नोटिस जारी हुए।