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बीस साल बाद फिर न जाना पड़ जाये पाकिस्तान

मदीना में रह रहे हिंदू परिवार का सता रहा सरकार की कार्रवाई का डर
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रोहतक के गांव मदीना में रहने वाला पाकिस्तान से आया परिवार भारत की नागरिकता के पत्र दिखाते हुये। -निस
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अनिल शर्मा/निस

रोहतक, 28 अप्रैल

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बीस साल पहले पाकिस्तान में यातनाएं सह कर भारत आए हिंदू परिवार को फिर से पाकिस्तान जाने का डर सताने लगा है। पहलगाम में आतंकी हमले से जहां पूरे देश में रोष है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान से भारत आए एक हिंदू परिवार में भी सरकार की कार्रवाई का डर सता रहा है। वर्ष-2005 में पाकिस्तान से एक परिवार रोहतक जिले के मदीना गांव में आकर बसा था। अब 20 साल बीत जाने के बाद भी परिवार को डर सताने लगा है कि कहीं हरियाणा सरकार उन्हें वापस पाकिस्तान न भेज दे। हालांकि उनके बहुत सारे परिवार के सदस्यों को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है, लेकिन कुछ परिवार ऐसे भी है जिन्हें अभी तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। भारत सरकार ने ऐलान किया है जो पाकिस्तानी भारत में रह रहे हैं वे 48 घंटे में भारत छोड़ दे, सरकार द्वारा दी गई डेड लाइन का भी खत्म हो चुकी है। ऐसे में 100 लोगों के परिवार के साथ मदीना आई 75 वर्षीय भानो देवी को एक बार फिर से पाकिस्तान जामे का डर सताने लगा है। भानो देवी का परिवार सरकार से यही आग्रह कर रहा है कि उन्हें मुसलमान के हाथों मरने से बचाया जाए, हालांकि अभी तक पुलिस ने भानो देवी के परिवार से संपर्क नहीं किया है।  यह सभी हिंदू परिवार हैं जो कभी पाकिस्तान में रहते थे और वहां किए गए जुल्मों से तंग आकर भारत में पहुंचे थे। भानो देवी का कहना है कि बीस साल बाद उन्हें फिर से वही मंजर याद आ रहा है।  यहां पर उनका वोटर कार्ड, राशन कार्ड, पहचान पत्र तक बन चुका है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में उन्हें मुस्लिम धर्म अपनाने को कहा गया था, गाय का मांस खाने के लिए कहा गया था। भानो देवी के बेटे हंसराज का कहना है कि 23 मई 2005 को वह पाकिस्तान से भारत आए थे, जब वह स्कूल में पढ़ते थे तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था, सभी मुस्लिम लड़के बैंच पर बैठते थे और उन्हें नीचे बैठना पड़ता था। यही नहीं मौलवी ने एक दिन उनसे नमाज के बारे में पूछा तो मैंने कहा कि मुझे नमाज नहीं आती तो उसकी कांटेदार छड़ी से बुरी तरह से पिटाई की और उसे जबरदस्ती मस्जिद में ले जाया गया और नमाज पढ़वाई।

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