वक्फ प्रशासन, मुसलमानों के अधिकारों को कमजोर करने की नीयत से लाया गया बिल : आफताब अहमद
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि अगस्त 2024 में सदन में लाया गया बिल कांग्रेस व विपक्ष के विरोध के बाद जेपीसी में भेजा गया था लेकिन वहां भाजपा व एनडीए के 14 संशोधन तो शामिल कर लिए गए लेकिन विपक्ष का एक भी संशोधन बिल में शामिल नहीं किया गया। विपक्षी सांसद सदस्यों ने असहमति नोट के साथ पुरजोर विरोध जताया और 1995 वक्फ विधेयक में 44 संशोधनों को रद्द करने की मांग रखी।
अहमद ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार वक्फ प्रबंधन को नियंत्रित करना चाहती है और हस्तक्षेप की नीयत कर रही है जो सही नहीं है। पहले वक्फ न्यायाधिकरण तय करता था कि सम्पत्ति वक्फ की है या नहीं अब ये अधिकार जिला उपायुक्त को दिए जा रहे हैं जो सरासर गलत है।
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि नए बिल के अनुसार जब तक सरकार फैसला नहीं सुनाती तब तक वक्फ सम्पत्ति सरकारी मानी जाएगी जिससे मुस्लिम समाज में गलत संदेश गया है। दरअसल सरकार अपने अधिकारों को गलत दिशा में इस्तेमाल कर रही है। नए बिल में सर्वे कमिश्नर के बजाय जिला उपायुक्त या समकक्ष अधिकारी को दायित्व सौंपकर सरकार ने गलत फैसला लिया है। भाजपाई सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधित्व को बदलने की सरकारी कोशिश नाइंसाफी है।