दो हजार एकड़ भूमि डूबी, फसलों को नुकसान
जून व जुलाई महीने के दौरान हुई अत्याधिक बारिश के कारण जिले के 12 से अधिक गांवों में 2 हजार एकड़ भूमि पानी में डूब गई है। जिस कारण ज्वार, कपास, धान व बाजरा की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। परेशान किसान पानी निकासी के लिए आए दिन प्रशासन के द्वार चक्कर काटने को मजबूर है। डीसी ने क्षेत्र का दौरा कर सिंचाई विभाग के अधिकारियों से शीघ्र पानी निकासी के आदेश भी दिए है, लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो पाया है। खासतौर पर गांव जाटू लोहारी, मंढाणा, बवानीखेड़ा, बलियाली, मित्ताथल, चांग, घुसकानी, धनाना, जताई व बडेसरा के अलावा कई अन्य गांव मेें पानी ने मार की है। क्षेत्र में तेज बरसात के चलते कपास की फसल पर सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। बारिश के कारण जहां- जहां एक से डेढ फुट पानी जमा है। वहां कपास की फसल को अधिक नुकसान है। जएक हजार एकड़ में तो कपास की फसल के खराब होने का अनदेखा है। धान की फसल भी ज्यादा बरसात के कारण प्रभावित हो रही है। ज्यादा बरसात से धान की फसल में लगभग ढाई से तीन फुट तक पानी जमा है। पानी ज्यादा जमा होने धान के पौधे अपने आप उखड़ रहे हैं। कई जगह तो धान के पौधे पूरी तरह से डूबे हुए है। किसानों का कहना है कि अगर पानी निकासी नहीं हुई तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। किसानों को प्रति एकड़ भूमि बिजाई में दस हजार रूपये का खर्चा आता है, जबकि पैदावार औसतन पचास हजार रूपये होती है।