गुरुग्राम, 4 दिसंबर (निस)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को कहा कि पुरानी विद्याओं को अब सामने लाने की जरूरत है, हमें लोगों को यह बताना चाहिए कि कैसे हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली वर्तमान पद्धति से बेहतर है। मुख्यमंत्री यहां अशोक सिंहल वेद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय वैदिक विज्ञान संगोष्ठी में बोल रहे थे।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत संचालक पवन जिंदल, विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र, महेश भागचंद, हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. दिनेश शास्त्री सहित संस्कृत के कई विद्वान और वेदों के ज्ञाता उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षों पुरानी दुविधा अब तक चली आ रही है कि भारतवर्ष की आजादी से पहले हमारे वेद विज्ञान और वेद के ज्ञान को विदेशी ताकतों ने खण्डित करने और इनका विनाश करने का काम किया। वेदों के संरक्षण को लेकर सरकार ने अनेक अहम कदम उठाएं हैं, जिनमें शोध केंद्र स्थापित करने, वेद विश्वविद्यालय के लिए जमीन खरीदने, महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कैथल में संस्कृत विश्वविद्यालय शुरू करने, माता मनसा देवी मंदिर परिसर पंचकूला में गुरुकुल शुरू करने, संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना आदि शामिल है। इनके माध्यम से हमारे वेदों और प्राचीन विद्याओं को आगे लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय अशोक सिंहल ने जो सपना देखा था, उसे पूरा करने की दिशा में दिनेश चंद्र बड़ा काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि उनके जीवन की दिशा बदलने में स्वर्गीय अशोक सिंहल का महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वर्गीय सिंहल 1977 से लेकर 1981 तक हरियाणा के संघ के प्रांत प्रचारक थे, उसी समय 1977 में वे आपातकाल के कारण संघ के स्वयंसेवक बने थे, आपातकाल नहीं लगता तो शायद संघ से नहीं जुड़ पाता।
मनोहर लाल ने बताया कि संघ की शाखाओं में जाते हुए जब भी कभी उनके मन में प्रश्न खड़े होते थे तो उनका समाधान प्राप्त करने के लिए वे स्वर्गीय अशोक सिंहल के पास चले जाते थे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय अशोक सिंहल बहुत शिक्षित व्यक्ति थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन संघ में लगा दिया और उनका जीवन एक तपस्वी जैसा था।