गुरुग्राम, 5 मई (हप्र)
एक दिन पहले दी गई चेतावनी को प्रशासन ने हल्के में लिया तो बुधवार को संचालकों ने अपनी एंबुलेंस सड़कों पर नहीं उतारी। इन्होंने अघोषित हड़ताल करते हुए आरोप लगाया कि नेशनल हेल्थ मिशन हरियाणा ने 20 साल पुराने रेट निर्धारित कर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया है। एंबुलेंस संचालकों की अघोषित हड़ताल से मरीज और उनके तीमारदारों की परेशानियां बढ़ गई हैं तथा दाह संस्कार से संबंधित कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
कोरोना के कारण आॅक्सीजन समेत विभिन्न प्रकार के संकटों से जूझ रहे लोगों के सामने अब एंबुलेंस की किल्लत आफत बनकर खड़ी हो गई है। प्रशासन व आरटीए के रवैये से खिन्न एंबुलेंस संचालकों ने अघोषित हड़ताल कर दी।
मंगलवार को इन्होंने अपनी मांगों के संबंध में डीसी डाॅ़ यश गर्ग को लिखित में बताया था। एंबुलेंस संचालकों ने आरोप लगाया कि डीसी ने मिलने से मना कर दिया, इस कारण उन्हें मजबूरी में बुधवार को अपनी एंबुलेंस खड़ी रखनी पड़ी।
मरीजों के तीमारदार परेशान
अस्पताल में मरीजों को लाने ले जाने का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ। लोगों को दिनभर अपने निजी वाहनों के साथ-साथ दूसरे परिवहन के साधनों का प्रयोग कर आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाना पड़ा। यही स्थिति अस्पताल और घरों से लाशों को उठाकर श्मशान स्थल तक पहुंचाने के कार्य की भी हुई। लोग रिक्शा, थ्री व्हीलर व अपने निजी वाहनों में लाश लेकर अंतिम संस्कार को पहुंचे।
ये हैं मांगें
एंबुलेंस एसोसिएशन के सुरेंद्र तंवर के अनुसार एनएचएम ने 7 व 15 रुपये प्रति किलोमीटर का रेट निर्धारित हैं, जो पूरी तरह से अव्यावहारिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि डेड बाॅडी को उठाने से लेकर श्मशान स्थल तक पहुंचाने में पीपीई किट, सेनेटाइजर, मास्क, पेट्रोल, ड्राइवर व सहायक समेत 10 से ज्यादा कई तरह के खर्चे उठाने पड़ते हैं। ऐसे में 7 रुपये का रेट निर्धारित करके माखौल उड़ाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से लाइफ सेविंग यंत्रों से लैस एंबुलेंस का रेट 15 रुपये प्रति किलोमीटर निर्धारित करना पूरी तरह से अनुचित है। क्योंकि इस समय में डाॅक्टर भी एंबुलेंस पर आने से कतरा रहे हैं।