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1984 में अधिगृहीत राजपूत सभा की जमीन वापस लेने की पैरवी करेगी सरकार : सुधीर सिंगला

बजट सत्र में सरकार ने लिया निर्णय

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विधायक सुधीर सिंगला
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गुरुग्राम, 23 फरवरी (हप्र)

गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि राजपूत महासभा की सन 1984 में तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा अधिगृहीत की गई जमीन को वापस दिलवाने के लिए भाजपा सरकार पैरवी करेगी। यह निर्णय हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में लिया गया है। इसके लिए गुरुग्राम राजपूत महासभा की ओर से इंजीनियर कुलदीप चौहान, अरुण चौहान, अनिल चौहान, महासभा के पूर्व अध्यक्ष सतेन्द्र चौहान, खुशविन्द्र सिंह नंबरदार समेत अन्य सामाजिक सदस्यों ने इस विषय पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला का आभार जताया है।

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विधायक सुधीर सिंगला ने गुरुग्राम राजपूत महासभा की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर कहा कि राजपूत महासभा गुरुग्राम ने बच्चों को शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने व अन्य सामाजिक कार्यों के लिए वर्ष 1903 में गुरुग्राम में वर्तमान में ओल्ड दिल्ली रोड पर उस समय के राजपूत सैनिकों व राजपूत सरदारों से धन इकट्ठा करके 6 बीघा 12 बिस्वा (साढ़े चार एकड़) जमीन खरीदी थी। उस समय गुरुग्राम जिला में फरीदाबाद, मेवात व रेवाड़ी भी शामिल थे। बच्चों के रहने, ठहरने के लिए राजपूत महासभा ने इस जमीन पर बोर्डिंग हाउस की सुविधा वर्ष 1918 में उपलब्ध करा दी थी।

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बीते दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस जमीन का मौका मुआयना किया था। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा विधानसभा में घोषणा की है कि इस जमीन को छोड़ने के लिए सरकार न्यायालय में पैरवी करेगी।

यह है सारा मामला

विधायक ने राजपूत महासभा के माध्यम से जानकारी दी कि महासभा ने वर्ष 1981 में ही पंजीकरण करा लिया था। इस जमीन पर महाराणा मैमोरियल स्कूल का संचालन किया जा रहा है, जिसमें करीब 250 बच्चे पढ़ रहे हैं। वर्ष 1984 में तत्कालीन हरियाणा सरकार ने इसके आसपास की जमीन को सेक्टर-12 व अन्य उद्योग के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी। सरकार ने राजनीतिक द्वेष के कारण 9 मई 1988 को उस जमीन पर सेक्शन-4 लगाया गया, जो कि सेक्टर-13 में लेजर सिटी बनाकर उसमें व्यावसायिक गतिविधि बताई गई। इसके बाद राजपूत समाज द्वारा सेक्टर-ए का ऐतराज लगाकर हाईकोर्ट में केस दायर किया गया। 20 मई 2014 को हाईकोर्ट ने महासभा के पक्ष में निर्णय दिया। आदेश दिया कि सरकार को इस जमीन की जरूरत रहती है तो नयी स्कीम के तहत री-एक्वायर प्रोविजन एक्ट 2013 के भूमि अधिग्रहण नियम के तहत दोबारा से एक साल के अंदर किया जाए। ऐसा न करने पर समाजहित में याचिकाकर्ता को अधिकार होगा कि वह अपनी जमीन को लोकल लॉ के तहत उपयोग कर सकते हैं। 17 माह बाद सरकार ने 26 अक्टूबर 2015 को सुप्रीमकोर्ट में केस दायर किया गया। जिस पर 10 अक्टूबर 2023 को महासभा के खिलाफ निर्णय दिया। कोर्ट में एसएलसी दायर करने के बाद 2 जनवरी 2024 को स्टेट्स क्यू कर दिया।

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