गुरुग्राम (हप्र) : ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मानसी गौड़ ने आॅनलाइन सट्टेबाजी के आरोपी की जमानत देने आए एक फर्जी जमानती को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया है। शिवाजी नगर थाना पुलिस ने अदालत से मिली शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है। साइबर अपराध की दक्षिण थाना की पुलिस ने सेक्टर-71 में आनलाइन सट्टा खिलाने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपी गुलशन कुमार राम की जमानत देने के लिए रोहतास के नाम से जमानत बांड भरा। गुलशन कुमार राम का भाई बताकर सुजीत ने उसकी तस्दीक की। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मानसी गौड़ को जमानती पर शक हुआ। अदालत में लगातार इस तरह की फर्जी जमानत देने वालों की एक सूची बनाई गई है। जज मानसी गौड़ ने उस सूची में नाम देखकर शक के आधार पर जमानत के लिए दी गई वेगन-आर कार की आरसी की जांच कराई। जांच करने पर वह वाहन किसी मोटरसाइकिल की मिली। जांच के बाद पुष्टि हुई कि इस व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत आरसी और आधार कार्ड किसी और के नाम पर हैं। वह किसी और फोटोकापी से फर्जी दस्तावेज अदालत में पेश कर रहा है। उद्योग विहार के 2015 के एक मामले में भी इसने फर्जी जमानत दी है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।