गुरुग्राम, 21 सितंबर (हप्र)
एक अक्तूबर से वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू करने के संबंध में उद्यमियों ने अन्य उपायों पर भी काम करने की मांग की है। प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के वाइस चेयरमैन डा. एसपी अग्रवाल ने कहा कि वायु प्रदूषण के लिए इंडस्ट्री को मोहरा बनाया जा रहा है, जो उचित नहीं है। इसको नियंत्रित करने के लिए सरकार को जमीनी स्तर पर काम कराने की आवश्यकता है।
डा. एसपी अग्रवाल ने कहा कि हम पिछले पांच साल से वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए इंफ्रास्ट्रर में सुधार की मांग कर रहे हैं, मगर इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। यही कारण है कि धरातल पर इसका कोई सुधारात्मक उपाय नजर रहीं आ रहा है। पीएफटीआई की ओर से शहर में जगह-जगह पर पानी का छिड़काव कराने और पक्के फुटपाथ बनाने का काम जल्द शुरू होना चाहिए। पीएफटीआई पदाधिकारियों का कहना है कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के मामले में इंडस्ट्री सरकार के साथ है, मगर सरकार को भी आगे आकर काम करने की जरूरत है। सरकारी स्तर पर काम वह किया जाए जो धरालत पर दिखे।
डा. अग्रवाल ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का काम सिर्फ सख्ती करना ही नहीं होना चाहिए सुधारात्मक भी होना चाहिए। औद्योगिक क्षेत्रों में सातों दिन 24 घंटे बिजली आपूर्ति की ठोस व्यवस्था सरकारी स्तर पर की जाए। वहीं सभी औद्योगिक क्षेत्रों में पीएनजी की लाइन का इंफ्रास्ट्रक्चर समय से तैयार कर लिया जाए। यदि गुरुग्राम की बात की जाए तो यहां पर 15 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। इन्हें गैस ईंधन पर आने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करना पड़ेगा। एमएसएमई की वहन क्षमता से काफी अधिक है।
विकल्प दिए बगैर रोक उचित नहीं
पीएफटीआई गुरुग्राम के महासचिव राकेश बत्रा ने कहा कि आने वाले एक अक्तूबर से ग्रेप प्रभावी हो जाएगा। ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में 19 केवीए से अधिक क्षमता वाले डीजल जेनरेटर का संचालन प्रतिबंधित हो जाएगा। कोई भी उद्यमी या ट्रेडर अपने यहां डीजल जेनरेटर का संचालन नहीं करना चाहता है। ऐसा करने से उनके उत्पादन की लागत काफी बढ़ जाती है। अब उस पर भी बिना ठोस विकल्प दिए प्रतिबंध ग्रेप के कारण लग जाएगा।