सोहना नगरपरिषद में बड़ा घोटाला? अवैध कॉलोनियों पर करोड़ों खर्च, विजिलेंस जांच की मांग तेज
10 वर्षों में सिर्फ 5 कॉलोनियों को मंजूरी-फिर भी अधिकारियों ने अवैध कॉलोनियों में विकास पर बहाया करोड़ों
सोहना नगरपरिषद पर गंभीर आरोप लगते हुए स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि विभागीय अधिकारियों ने बीते 10 वर्षों में नियमों को ताक पर रखकर अवैध कॉलोनियों में करोड़ों रुपये के विकास कार्य करा डाले, जबकि इन कॉलोनियों को आज तक सरकार से वैधता नहीं मिली। मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और विजिलेंस जांच की मांग के साथ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार, सोहना नगरपालिका को 09 सितंबर 2015 को अपग्रेड कर नगरपरिषद का दर्जा दिया गया था। इसमें सोहना कस्बे के समीप 13 गांव—संपकि नंगली, बेरका, लोहटकी, सिरस्का, धुनेला, खाईका, बालूदा, रायपुर, जखोपुर आदि शामिल किए गए थे। इन क्षेत्रों में अधिकांश कॉलोनियां अवैध हैं और सरकार ने इन्हें आज तक वैध घोषित नहीं किया। इसके विपरीत नगरपरिषद ने इन कॉलोनियों में करोड़ों रुपये की सड़कों और अन्य निर्माण कार्यों पर खर्च कर दिया।
सिर्फ 5 कॉलोनियां ही वैध—फिर कैसे खर्च हुए करोड़ों?
लोगों ने आरोप लगाया कि नगरपरिषद ने अपने कोष, डी-प्लान, सीएम घोषणाओं आदि से भारी राशि खर्च की, जबकि सरकार ने 10 वर्षों में केवल 5 कॉलोनियों—धुनेला, सोहना हरिनगर, सोहना अज्ञात कॉलोनी, एमटेक कॉलोनी जखोपुर (दो बार उल्लिखित)—को ही 6 मार्च 2024 के पत्र द्वारा वैध घोषित किया है।
सूत्रों के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया सक्षम अधिकारियों की मिलीभगत से संभव हुई, जिसमें ऑडिटर की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है क्योंकि अब तक किसी भी स्तर पर इस खर्च का खुलासा नहीं किया गया।
व्यापार मंडल ने उठाई आवाज—विजिलेंस जांच की मांग
सोहना व्यापार मंडल प्रधान अशोक गर्ग, आनंद, सुरेंद्र, राजू अनुराग आदि ने इस मामले को गंभीर अनियमितता बताते हुए उपायुक्त गुरुग्राम और प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखित शिकायत भेजी है। उनका आरोप है कि “अधिकारियों ने कमीशन के लालच में सरकारी धन का दुरुपयोग किया है, जिससे करोड़ों रुपये खुर्दबुर्द हुए। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
नगरपरिषद ईओ का बयान—पुराने कार्यों की जानकारी नहीं
नगरपरिषद कार्यकारी अधिकारी सुमनलता ने कहा, “वर्तमान में भूमि का स्टेटस देखकर ही विकास कार्य कराए जा रहे हैं। पिछले वर्षों में हुए कार्यों की मुझे जानकारी नहीं है। यदि अवैध कॉलोनियों में विकास कार्य कराने की शिकायत आएगी तो जांच कराई जाएगी।”
EO के इस बयान से पूर्व अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर और सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण ने सोहना नगरपरिषद प्रशासन की कार्यशैली को कठघरे में ला दिया है और विजिलेंस जांच की मांग के बाद कई अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना भी जताई जा रही है।

