शिखर चंद जैन
नये साल की शुरुआत में आतिशबाजी, सैर -सपाटा, खाना- पीना, पार्टी और मौज मस्ती तो सभी लोग करते हैं, लेकिन कई देशों में अनूठी, अलग परंपराएं भी निभाई जाती हैं।
फिलिपीन : गोल खाते, गोल पहनते
फिलिपीन निवासी नये साल का आगाज धन, समृद्धि की कामना के साथ करते हैं। इस दिन वे सिर्फ गोल चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जो गोल- गोल सिक्कों का प्रतीक मानी जाती हैं। खाने की चीजें हों या कपड़े, आज के दिन वे हर चीज गोल ही खरीदते, और पहनते हैं।
एक्वाडोर : बदनसीबी करते स्वाहा
एक्वाडोर के निवासी नए साल के अवसर पर बीते साल की कड़वी यादों, बुरी घटनाओं और बुरी किस्मत का असर मिटाने के लिए मध्यरात्रि में कागजों से बना बिजूका जलाते हैं। साथ ही बीते साल की बुरी घटनाओं से जुड़ी तस्वीरें जलाकर इनसे प्रतीकात्मक रूप से निजात पाने का उपक्रम भी करते हैं।
डेनमार्क : टूटी प्लेटों से प्यार का इजहार
नये साल पर डेनमार्क की महिलाएं अपने परिजनों, मित्रों और प्रियजनों के प्रति प्यार का इजहार करने के लिए अनूठी परंपरा का निर्वाह करती हैं। साल भर इकट्ठी की गई प्लेटों को ये नये साल की सुबह प्रियजनों के दरवाजे पर पटक देती हैं। जिन्हें ये प्लेटें दिखती हैं उनका तो दिन बन जाता है।
स्पेन : 12 अंगूरों की मिठास
जब पूरी दुनिया में लोग 31 दिसंबर की रात 12 बजे नये साल के जश्न में डूबे रहते हैं तब स्पेनवासी अंगूर खाने की अनूठी प्रतियोगिता में जुटे होते हैं। प्रतियोगिता के तहत ढेर सारे अंगूरों के गुच्छों में से रात बारह बजे जब घड़ी में बारह बार घंटे बजते हैं, तो हर घंटा बजते ही एक अंगूर मुंह में डालकर एक साथ 12 अंगूर खाने होते हैं। जो ऐसा कर लेते हैं, माना जाता है कि नया साल उनके लिए सफलतादायक होगा।
जापान : 108 बार बजता है घंटा
जापान में बौद्ध परंपरा के तहत इस मौके पर 108 बार घंटे की आवाज़ सुनाई जाती हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इस पवित्र आवाज से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
बोलिविया : केक में सिक्का
बोलिविया के लोग नववर्ष के अवसर पर केक बेक करते समय उसमें एक सिक्का भी डाल देते हैं। माना जाता है कि केक खाते वक्त जिस व्यक्ति के पास यह सिक्का आता है, उसके लिए आना वाला साल शुभ होता है।
दक्षिण अमेरिका : रंग-बिरंगे अंडरगारमेंट
मैक्सिको, बोलिविया और ब्राजील जैसे दक्षिण अमेरिकी देशों में नये वर्ष पर भाग्य की दिशा अंडरपैंट के रंग से तय की जाती है। मान्यता है कि जो लोग नए साल में जीवन साथी या लवर की उम्मीद रखते हैं वे लाल रंग की अंडरवियर पहनते हैं जबकि धन की चाहत रखने वाले पीले रंग की अंडरपैंट पहनते हैं। अमन चैन और शांति की चाहत रखने वाले लोग सफेद अंडरपैंट पहनते हैं जो सादगी का भी प्रतीक है।
बेलारूस : मुर्गा करे विवाह की भविष्यवाणी
नये साल के शुभ अवसर पर बेलारूस में कुंवारी कन्याएं अपने सामने कॉर्न के दानों के ढेर लगाकर बैठ जाती हैं। फिर एक मुर्गे को खुला छोड़ दिया जाता है। माना जाता है कि जिसके सामने लगे ढेर को मुर्गा पहले खा लेता है सबसे पहले उसे ही जीवनसाथी मिलता है।
ब्राजील : जलदेवी को पुष्पांजलि
ब्राजील के लोग बुरी आत्माओं को डराने के लिए नववर्ष पर सफेद कपड़े पहनते हैं। साथ ही ये सात दिनों की प्रतीक सात लहरों पर जंप भी लगाते हैं और हर जंप के साथ अपनी एक मनोकामना पूर्ण होने की उम्मीद करते हैं।
सदियों से कहते आए हैं बधाई हो….
शिवचरण चौहान
जानकारी
बात ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कहने की है तो बता दें कि बधाई या शुभकामना संदेश की परंपरा बहुत पुरानी है। आज बाज़ार में एक रुपए से लेकर एक हजार रुपए कीमत के बधाई कार्ड उपलब्ध हैं। यही नहीं कार्ड को शीघ्रातिशीघ्र भेजने की सुविधा भी उपलब्ध है। भारतीय डाक विभाग तो क्रिसमस-डे, नये वर्ष, रक्षाबंधन, होली, दिवाली पर बधाई-पत्र भेजने के लिए अलग से विशेष इंतजाम करता है। बेशक आज पलभर में एक संदेश दुनिया के इस कोने से उस कोने तक तमाम माध्यमों से पहुंचाया जा सकता हो, पर सदियों पहले जब आज जैसे संचार के तीव्र साधन नहीं थे तो दूतों व कबूतरों द्वारा भी बधाई पत्र भेजे जाते थे। चीन व मिश्र में ताम्रपत्र व इत्र की ऐसी शीशियां पाई गई हैं, जिनमें शुभकामनाएं दर्ज हैं।
भारत में प्राचीनकाल से ताड़पत्रों, केले के पत्तों, कदंब के पत्तों, कपड़ों तथा ताम्रपत्तों पर बधाई संदेश भेजे जाते थे। मौर्य काल, गुप्तकाल में तो तांबे, सोने, चांदी के पत्तों में भी सौभाग्य कामनाएं व मंगल कामनाएं दी जाती थीं। इतिहासकारों के अनुसार 600 वर्ष ईसा पूर्व बधाई पत्रों के देने-लेने की परम्परा थी।
पहला छपा हुआ शुभकामना पत्र
1843 ई. में इंग्लैण्ड में पहला छपा हुआ शुभकामना पत्र मिला है। ब्रिटिश म्यूजियम में सन 1842 ई. का मुद्रित एक बधाई-कार्ड रखा है, जिसमें ‘हैप्पी क्रिसमस टू यू’ लिखा है। हैदराबाद के निजाम का नाम सबसे ज्यादा शुभकामना पत्र भेजने वालों के रूप में मशहूर है।
दुनिया का सबसे लम्बा ग्रीटिंग
7 किलोमीटर लंबा था विश्व का सबसे लंबा ग्रीटिंग कार्ड। इसे 10 दिसंबर 1967 को वियतनाम में युद्ध कर रहे अमेरिकी सैनिकों के नाम भेजा गया था। इस पर 1 लाख लोगों की शुभकामनाएं थीं। इसका वजन 10 टन था।
सबसे छोटा शुभकामना पत्र
दुनिया का सबसे छोटा शुभकामना पत्र साल 1920 में एक चावल के दाने पर लिखकर प्रिंस ऑफ वेल्स को भेजा गया था। अब तो क्रिसमस-डे व नये वर्ष में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने विज्ञापनों के जरिए सार्वजनिक रूप से अपने मित्रों या परिजनों को बधाई दे सकते हैं।
आज तो व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भेजे गए संदेश शुभकामनाएं, बधाईपत्र कुछ क्षणों में पाने वाले तक पहुंच जाते हैं। मोबाइल कंपनी वालों और अनेक साइट्स ने लाखों तरह के शुभकामना पत्र ऑनलाइन बनाकर रख छोड़े हैं। व्हाट्सएप इंस्टाग्राम और यूट्यूब टि्वटर के आ जाने के कारण अब डाक, कोरियर से शुभकामना पत्र भेजने का सिलसिला बहुत कम हो गया है। बधाई लेने और देने का यह सिलसिला बहुत पुराना है।