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बच्चों के अनुभव को भी समृद्ध करती है यात्राएं

ज्ञान का सफर
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यात्रा बच्चों के लिए केवल स्थान परिवर्तन नहीं, बल्कि नई चीज़ें सीखने, अनुभव और आत्मविश्वास बढ़ाने का मज़ेदार अवसर है।

हम सभी अपने जीवन में यात्रा करना पसंद करते हैं। हर इंसान के यात्रा करने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कोई जीवन में आ रही बोरियत को कम करने के लिए यात्रा करता है, तो कोई नई जगहें एक्सप्लोर करने के लिए।

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किसी को नए स्वाद को चखने की चाहत खींच लाती है तो कोई ऐतिहासिक दृष्टिकोण से घूमने निकलता है। देखा जाए तो यात्राएं इन सब कारणों का मिला-जुला रूप होती हैं। इसलिए बच्चों को भी इनसे अवगत कराना चाहिए। उन्हें यात्राओं के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए, ताकि वे बिना कोई तनाव लिए यात्रा का पूरा आनंद लें। नई-नई बातें सीख सकें और उन जगहों की ऐतिहासिकता को समझ सकें। लेकिन बच्चों के साथ यात्रा करना जितना रोमांचक होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। ट्रेन, हवाई जहाज़ या कार किसी भी माध्यम से की गई यात्रा में बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है, पर उनके मूड, स्वास्थ्य और ऊर्जा को संभालना माता-पिता के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाता है।

दरअसल, बच्चों के लिए यात्रा केवल एक ‘स्थान परिवर्तन’ नहीं होती, बल्कि नई परिस्थितियों, लोगों, खानपान और दिनचर्या से जुड़ने की प्रक्रिया होती है। इसलिए, उन्हें पहले से शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना बेहद ज़रूरी है, ताकि यह अनुभव आनंददायक और सीख से भरा हो, न कि थकान और चिड़चिड़ाहट से भरा।

यात्रा की जानकारी

बच्चों को यात्रा के संबंध में बताएं कि आप कहां जा रहे हैं, वहां क्या देखने को मिलेगा और सफ़र कितना लंबा होगा। छोटे बच्चों को कहानी या चित्रों के माध्यम से भी यात्रा समझाना असरदार होता है। उनके सामने यात्रा को खेल या रोमांच की तरह प्रस्तुत करें। यात्रा बच्चों के मन में अनेक भावनाएं लाती है—उत्साह, डर, बेचैनी, कभी-कभी घर की याद भी। इन भावनाओं को समझना और संभालना आवश्यक है। अगर बच्चे यात्रा को ‘एडवेंचर’ की तरह देखेंगे, तो डर की जगह उत्सुकता ले लेगी। बातचीत से उनकी मानसिक जिज्ञासा सक्रिय होती है और यात्रा के दौरान वे सकारात्मक बने रहते हैं।

शारीरिक रूप से भी करें तैयार

बच्चों का शरीर वयस्कों की तुलना में अधिक संवेदनशील होता है। यात्रा से पहले और दौरान उनकी शारीरिक तैयारी पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यात्रा से कुछ दिन पहले से ही बच्चे के खाने के समय और तरीकों को संतुलित करें। अत्यधिक तला या मसालेदार भोजन से बचें। पानी की पर्याप्त मात्रा दें। सफर के दौरान फ्रूट, सूखे मेवे और हल्के स्नैक्स साथ रखें।

नई जगह का खाना देने से पहले थोड़ा-थोड़ा चखाकर देखें कि कोई एलर्जी तो नहीं। अगर यात्रा लंबी है या वहां का मौसम बदलने वाला है तो डॉक्टर से परामर्श लेकर विटामिन सप्लीमेंट्स साथ रखें। अक्सर माता-पिता तैयारी में व्यस्त रहते हैं और बच्चों की नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है। इससे वे यात्रा के दिन चिड़चिड़े और थके हुए रहते हैं। यात्रा से एक-दो दिन पहले से ही उनकी नींद और जागने का समय तय करें।

पैकिंग में शामिल करें

अक्सर बड़े किसी भी जरूरी काम से बच्चों को दूर रखते हैं, जबकि उन्हें भी अपनी तैयारी में शामिल करना चाहिए। बच्चों को उनकी अपनी छोटी बैग दें, जिसमें वे खिलौने, किताबें या कपड़े रखें। इससे उनमें जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना आती है। ऐसे छोटे अभ्यास बच्चों को मानसिक रूप से संगठित और आत्मविश्वासी बनाते हैं।

सीखने का अवसर

यात्रा बच्चों के मन में अनेक भावनाएं लाती है—उत्साह, डर, बेचैनी, कभी-कभी घर की याद भी। इन भावनाओं को समझना और संभालना आवश्यक है। ऐसे में झुंझलाने की जगह उन्हें समझाएं और बच्चों को प्रोत्साहित करें कि वे यात्रा के अनुभवों को चित्र या शब्दों में दर्ज करें। इससे उनकी मानसिक अभिव्यक्ति और अवलोकन शक्ति दोनों बढ़ती है और उनका समय भी कट जाता है। लंबी यात्राओं में बच्चे बेचैन हो सकते हैं। इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में पानी, फल या स्नैक्स का ब्रेक दें। अगर कार से जा रहे हैं तो रुककर उन्हें पैर फैलाने का मौका दें। पहेलियां, स्टिकर बुक, ऑडियो स्टोरी या म्यूज़िक प्लेलिस्ट भी काम आते हैं। मोबाइल या टैबलेट पर कार्टून दिखाने के बजाय कहानी सुनाने या गाने सिखाने पर ज़ोर दें।

यात्रा के बाद का अनुभव

यात्रा समाप्त होने के बाद बच्चों को उस अनुभव को जीने और साझा करने का अवसर देना भी आपकी तैयारी का ही हिस्सा है। उनसे यादों की एल्बम या कोलाज बनवाएं। यात्रा में इकट्ठा किए गए फोटो, टिकट, पत्ते या कोई छोटी चीज़ें मिलाकर उन्हें यादगार बुक बनाने को कहें। इससे उनके अंदर ‘याद रखने और संजोने’ की आदत विकसित होती है।

उनका अनुभव भी ‘तुम्हें कौन-सी जगह सबसे पसंद आई?’, ‘क्या नया सीखा?’ जैसे रोचक प्रश्नों से जानने की कोशिश करें। यह संवाद बच्चों की आत्म-चिंतन क्षमता बढ़ाता है।

बाल मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चों को यात्रा में शामिल करना उनके सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास के लिए बेहद लाभकारी है। अगर आप बच्चे के साथ ‘ट्रैवल बडी’ जैसा रिश्ता बनाएं, केवल ‘पैरेंट-कंट्रोल’ का नहीं, तो यकीन मानिए आपकी यात्रा बहुत खूबसूरत बन जाएगी।

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