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नये क्षेत्रों में तकनीकी महारत से मिलेंगे जॉब्स

कीर्तिशेखर वैश्विक स्तर पर नौकरी बाजार में उथल-पुथल मची हुई है, जिसका असर भारतीय नौकरी बाजार में भी देखने को मिल रहा है। लिंक्ड इन जैसी वेबसाइट के अनुमानों के मुताबिक, साल 2025 की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर तक भारत...

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कीर्तिशेखर

वैश्विक स्तर पर नौकरी बाजार में उथल-पुथल मची हुई है, जिसका असर भारतीय नौकरी बाजार में भी देखने को मिल रहा है। लिंक्ड इन जैसी वेबसाइट के अनुमानों के मुताबिक, साल 2025 की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर तक भारत में 6.33 फीसदी कार्यबल का विस्तार होने की उम्मीद है। लेकिन आश्चर्य की बात यह कि ये नौकरियां पारंपरिक बैंकिंग, इंश्योरेंस और हेल्थ सेक्टर से नहीं आ रही बल्कि अनुमान है कि सबसे ज्यादा नौकरियां विश्व स्तर पर डिजिटल परिवर्तन और हरित अर्थव्यवस्था से आएंगी। उम्मीद है कि साल 2025 में जो 97 मिलियन नौकरियां सृजित होंगी, उनमें सबसे बड़ा हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों का होगा। इन नौकरियों में से सबसे बड़ा हिस्सा भारत को मिल सकता है बशर्ते बड़े पैमाने पर नौकरी चाहने वाले डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य व सॉफ्टवेयर डेवेलपमेंट आदि में दक्ष हों, क्योंकि डिजिटल चेंज और ग्रीन इकोनॉमी की नौकरियां आ रही हैं।

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जॉब सृजन संग गिरावट के भी अनुमान

रोजगार सृजन को लेकर एक दूसरा अनुमान वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का है, जिसके मुताबिक अगले पांच सालों में 22 फीसदी नौकरियों की गिरावट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड मशीन लर्निंग के जरिये हो सकती है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, 2027 तक 6.9 करोड़ नौकरियों का सृजन होगा, लेकिन 8.3 करोड़ पारंपरिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं, यानी नौकरियां सृजित होने से कहीं ज्यादा खत्म हो सकती हैं। नौकरी बचाने को आपके पास आधुनिक तकनीक का कौशल होना चाहिये।

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काम में इंसान बनाम मशीन

विशेषज्ञों का मानना है कि अगले तीन सालों में मनुष्य और मशीन के काम के घंटे की तुलना में, मशीनों के हिस्से ज्यादा घंटे आएंगे। असेंबली लाइन फैक्टरी कर्मचारियों से लेकर साधारण अकाउंटेंट जिनके काम में जटिलता नहीं है, उन्हें जल्द ही कुछ ऐसा जटिल काम सीख लेना चाहिए, जिसमें उनकी मांग बनी रहे। स्वचालन, डिजिटलीकरण से नौकरियां इंसान से मशीनों के पास जाएंगी। लेकिन दूसरे कुछ क्षेत्रों में मांग भी बढ़ेगी। जानिये ऐसे कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र कौन से हैं।

अक्षय ऊर्जा तकनीशियन

भारत सहित दुनिया के कई देश बड़े पैमाने पर कोयले और बिजली की जगह पारंपरिक रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में हाथ आजमाने जा रहे हैं। भारत 5 गीगावाट पारंपरिक अक्षय ऊर्जा हासिल करने जा रहा है, जिसमें बड़ा हिस्सा सौर और पवन ऊर्जा का होगा। इसके तकनीशियनों की मांग में 2025-26 में 3 से 5 लाख तक का इजाफा हो सकता है।

स्वास्थ्य सेवा पेशेवर

डॉक्टर और नर्सों की मांग हमेशा से रही है। अब स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीशियनों की भी मांग पिछले दो दशकों में बढ़ी है। लेकिन आने वाले दिन स्वास्थ्य सेवा प्रबंधकों, इसके योग्य व्यवस्थापकों और नागरिक समाज तक इन सेवाओं का विस्तार करने वाले रचनात्मक मिडिएटरों की मांग बढ़ने वाली है। यह पहली बार होगा कि साल 2025-26 में विभिन्न मेडिकल संस्थानों में 2 से 3 लाख चिकित्सा संस्थान प्रबंधकों और सहायकों की जरूरत पड़ने वाली है।

पर्यावरण वैज्ञानिक

ग्लोबल वार्मिंग के चलते पर्यावरण चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ऐसे प्रबंध वैज्ञानिकों की जरूरत पड़ने वाली है, जो अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थानों की सिफारिशों को उद्योगों के अनुकूल लागू करवा सकें यानी हर उद्योग में पर्यावरण विशेषज्ञों की दरकार होगी।

सॉफ्टवेयर डेवलपर्स

अगले कई दशकों तक कामकाजी दुनिया से कंप्यूटर की भूमिका में कमी नहीं आने जा रही, इसलिए सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की मांग में बढ़त बनी रहेगी।

डेटा वैज्ञानिक और विश्लेषक

आने वाले अगले कई सालों तक डेटा हमारी सबसे बड़ी संपदा होगी, इसलिए डेटा साइंस में एक्सपर्ट डेटा वैज्ञानिक और विश्लेषक लगातार अगले कई सालों तक मांग में रहेंगे।

एआई और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के उपयोग से सभी उद्योगों को नया रूप देने का सिलसिला कायम रहेगा हैं। इसलिए एआई एक्सपर्ट और मशीन लर्निंग विशेषज्ञों की मांग एक दशक तक बनी रहेगी। जहां तक अन्य क्षेत्रों की बात है तो डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में अगले दो सालों में 25 से 30 लाख नौकरियों के विकास और यूएक्स डिजाइनर के क्षेत्र में भी 3 से 5 लाख विशेषज्ञों का अनुमान है। कुल मिलाकर आने वाले दो सालों में नौकरी के बाजार की ऐसी हलचल रहने का अनुमान है।

-इ.रि.सें.

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