सबक ले रचें स्नेहिल रिश्तों का संसार : The Dainik Tribune

संबंधों की धूप-छांव

सबक ले रचें स्नेहिल रिश्तों का संसार

सबक ले रचें स्नेहिल रिश्तों का संसार

डॉ. मोनिका शर्मा

स्नेह, साथ और भविष्य के सपनों की बुनियाद पर खड़े रिश्ते का बिखरना तकलीफ तो देता ही है। ऐसे रिश्तों के टूटने से पल भर में आज और आने वाले कल से जुड़ी कई योजनाएं ध्वस्त हो जाती हैं। ऐसे में साथ, स्नेह और संबल के मोर्चे पर बिखराव भी लाजिमी है पर बहकने की गुंजाइश भी इसी मोड़ पर होती है। मन के भटकाव की स्थितियां बन जाती हैं। गलत फैसले करने के हालात पैदा हो जाते हैं। पुराना साथ छूटने के बाद नये रिश्ते का सही चुनाव करने में चूक जाने की स्थितियां बन जाती हैं। खासकर लंबे समय तक चले किसी संबंध जैसे प्रेम, शादी या गहरी दोस्ती का टूटना अकेलापन, तनाव और भावनात्मक बिखराव आपके हिस्से कर जाता है। इस मोड़ पर जरा ठहरिए, सोचिए और फिर आगे बढ़िए।

थोड़े समय बस ठहर जाएं

दरअसल, एक रिश्ते में टूटन और बिखराव आने के बाद नए इंसान के साथ रिलेशनशिप बनाने को रिबाउंड रिलेशनशिप कहा जाता है। गौरतलब है कि रिबाउंड का अर्थ ही रिकवर करना या बाउंस बैक करना होता है। यानि ऐसा जुड़ाव जो समग्र रूप से पहले रिश्ते से मिली पीड़ा से रिकवर करने में काम आता है। जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते पर बाउंस बैक करना मददगार बनता है। आमतौर पर लोग प्रेम सम्बन्धों में ब्रेकअप होने पर इस नये जुड़ाव की ओर मुड़ते हैं। रिबाउंड रिलेशनशिप संबल, स्नेह, सलाह और सहयोग पाने के लिए उस दौर से निकलने और निकालने वाला रिश्ता कहा जा सकता है। पर क्या यह इतना आसान है? बिलकुल नहीं। जब खुद आपकी मनःस्थिति ही किसी पर विश्वास करने या न करने के मोर्चे पर डिगी हुई हो, तब नये रिश्ते को परखने-समझने में गलती होने की गुंजाइश सबसे ज्यादा होती है। मन कभी पुराने रिश्ते की यादों से जूझता है तो कभी नये जुड़ाव की जद्दोजहद में उलझता है। इस समय ठहराव जरूरी है। कुछ समय के लिए रुकना और बीते कल को लेकर सोचना आवश्यक है। साथ ही भावी जीवन की रूपरेखा बनाने के लिए भी थोड़ा ठहर-संभलकर ऊर्जा जुटाना जरूरी है। इसीलिए रिबाउंड रिलेशनशिप की राह पकड़ने से पहले थोड़ा ठहरकर आगे बढ़ें। संयत मन और सधे दिमाग से किसी के साथ जुड़ने या नहीं जुड़ने का निर्णय लें।

सबक मानकर आगे बढ़ें

रिश्तों का बिखरना हो या निखरना, कई सबक साथ लाता है। कभी अपनी गलतियों से साक्षात्कार करवाता है तो कभी दूसरों पर हद से ज्यादा विश्वास करने या इमोशनली निर्भर हो जाने के नुक़सानों से मिलवाता है। इसीलिए ऐसे रिलेशनशिप के टूटने के दौर में आवेग वश न तो नये रिश्ते की ओर कदम बढ़ाएं और न ही पुराने जुड़ाव को कोसें। याद रहे कि आपको कुछ साबित नहीं करना है। जो भी हुआ उसे सहजता से स्वीकारते हुए खुद को समेटना है। अपने मन को थामना है। समझना जरूरी है कि किसी भी राह से पलटते हुए न तो मुड़-मुड़कर देखना सही है और न ही बिना सोचे-समझे नये मार्ग पर चल देना। पुराने रिश्ते में मिले हर अनचाहे भाव और तकलीफ़देह बातों को सबक की तरह देखें। आगे बढ़ने का इससे अच्छा तरीका नहीं हो सकता।

दिल को न बनाएं सूखा

हो सकता है कि रिबाउंड रिलेशनशिप में आपसे जुड़ रहा नया इंसान और रिश्ता सचमुच प्यारा हो। साथ देने वाला हो। भरोसे का भाव लिए हो। इन हालातों में भी थोड़ी सजगता बरतते हुए ही नये साथी से जुड़िए। पहले रिश्ते के भावनात्मक जाल से निकलकर फ्रेश स्टार्ट कीजिए। रिबाउंड रिश्ते में जुड़ रहे दूसरे इंसान के साथ आपका भी पूरे मन से जुड़ाव होना चाहिए। इसीलिए बिखरे-टूटे रिश्ते से सबक जरूर लें पर खुद अपने दिल को शुष्क न बनाएं।

आशाएं और अहसास रहें कायम

दुनिया में हर तरह के लोग हैं। ऐसे में रिश्तों से जुड़े कई तरह के अनुभव भी मिलेंगे ही। बावजूद इसके स्नेह और साथ से जुड़े अहसासों से दूरी बनाना उचित नहीं है। ‘एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा खुलता है’ की तर्ज़ पर ही सम्बन्धों में पीड़ा मिलती है तो मरहम लगाने वाले भी मिल ही जाते हैं। ऐसे साथी का आपकी जिंदगी में आना भी तभी संभव है जब आप खुद भी बीते कल के दर्द की बजाय आने वाले कल की बेहतरी की सोचें।

आशंकाओं से दूरी

रिबाउंड रिश्तों में आशान्वित महसूस करना सबसे ज्यादा आवश्यक है। अपने इमोशन्स को समझते हुए भावी रिश्ते के प्रति कटुता और आशंकाओं से दूरी बनाए रखना जरूरी है। वरना आप कमजोर और समझौते करने वाली पार्टनर की तरह नये रिश्ते से जुड़ती हैं। जो इमोशनल डिपेंडेंसी बढ़ाता है। यह निर्भरता और मन की टूटन नये रिश्ते में भी आपको धोखे और गलत चुनाव का शिकार बना सकती है। इसीलिए ब्रेकअप के तुरंत बाद सिर्फ हमदर्दी दिखाने वाले इंसान का हाथ थामना है या सोच-समझकर नया गठजोड़ बनाना है इस पर ध्यान जरूर दें। अपनी स्नेहिल अनुभूतियों को सहेजते भावनात्मक जुड़ाव और जीवन से जुड़ी समझ की बुनियाद पर ही नये संबंध को चुनें।

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