
दीप्ति अंगरीश
मॉडर्न होने का मतलब यह नहीं है कि पुरानी चीज़ों को बेकार समझें। पुरानी चीज़ों में बेहतर जीने का फलसफा छिपा है। बस, चुनाव करना आपका काम है। इस क्रम में घी को ही लें। याद है हमारी पुरानी पीढ़ी कितना घी खाया करती थी। उन्हें तो कोई इससे शारीरिक दिक्कत नहीं होती थी। बहुत दूर नहीं जाएं। अपने घर-परिवार में देख लें। दादा-दादी, नाना-नानी की हड्डियां कितनी मजबूत हैं। जवानों से ज्यादा उनका इम्यून सिस्टम स्ट्रांग हैं। कोविड के दौर के बाद इम्यूनिटी को लेकर खूब बातें शुरू हुई हैं। हर किसी को अपना इम्यून सिस्टम बेहतर करना है। ऐसे में घी आपके लिए बेहतर ऑप्शन है।
लेकिन आधुनिक दौर में हम इस बात को आसानी से मंजूर नहीं करते हैं। जबकि विज्ञान भी स्वीकारता है कि रोज़ाना एक चम्मच घी खाना शरीर को स्वस्थ बनाता है। स्वाद की बात करें तो घी खाने का स्वाद बढ़ाता है। घी के सेवन के बारे में कितनी ही गलत धारणाएं प्रचारित हों, लेकिन सच यह है कि घी सबसे सेहतमंद वसा है, लेकिन इसके सेवन की मात्रा निश्चित होनी चाहिए। जानते हैं घी का सेवन कितनी मात्रा में, किस प्रकार और किन अवस्थाओं में करना बेहतर है :
अच्छे वाला फैट
देसी घी अच्छे वाले फैट का प्रमुख स्रोत है। घी सैचुरेटिड फैट है, जो आसानी से पचता है। वहीं नमकीन मक्खन की तुलना में ज्यादा सेहतमंद है। यदि आप हाई कॉलेस्ट्रोल से ग्रसित हैं, तो मक्खन के बजाय घी खाएं, लेकिन एक चम्मच से अधिक नहीं।
प्रतिरोधक क्षमता
घी में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। यही वजह है कि घी खाने से रोज के खाने में मौजूद विटामिन व मिनरल्स शरीर में अच्छे से जज्ब होते हैं। यही विटामिन व मिनरल शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
रोजाना सेवन की मात्रा
लोग आजकल हेल्थ कॉन्शस अधिक दिखते हैं। ऐसे में आप वजन कम कर रहे हैं, तो भी घी खाएं। लेकिन एक्सपर्ट्स की सलाह है कि साथ ही वर्कआउट भी करें। आमतौर पर लोग वेट लॉस करने के दौरान घी खाने से बचते हैं, क्योंकि घी में भरपूर मात्रा में फैट पाया जाता है। लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार, रोज एक से दो छोटे चम्मच घी खाने से वजन नियंत्रित रहता है। एक सामान्य आदमी रोजाना 6 से 8 छोटे चम्मच घी खा सकता है।
ऐसे खाएं घी
घी को कच्चा खाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में आप इसे रोज़ाना रोटी के साथ , दाल व खिचड़ी आदि खाने में डालकर खाएं। हलवा या पंजीरी भी बना सकते हैं। ऐसे खाने से स्वाद और सेहत, दोनों फायदे मिलेंगे। एक चम्मच घी में 120 कैलोरी, 9 ग्राम सैचुरेटेड फैट, 35 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल, 0 ग्राम ट्रांस फैट और 0 मिली ग्राम सोडियम होता है। आयुर्वेद के अनुसार, गाय के दूध से बना घी भैंस के दूध से बने घी से बेहतर होता है।
घी बनाने का आसान तरीका
बाजार में मिलने वाला घी कितना शुद्ध है इस बारे में कहना मुश्किल है। ऐसे में मिलावट रहित व केमिकल फ्री घी आप घर पर बना सकते हैं। इसके लिए एक किलो मलाई घर में आने वाले दूध की धीरे-धीरे इकट्ठी कर लें या बाजार से ले लें। मलाई को गहरे तले वाले पतीले में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। बीच-बीच में हिलाते हुए और किनारों को खुरचते हुए 20 मिनट तक पका लें। मिश्रण को छान लें। एक एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करें और आवश्यकता के अनुसार ही उपयोग करें। यह सबसे अधिक शुद्ध होगा आपके लिए।
शुद्ध घी के ये भी उपयोग
आयुर्वेद के अनुसार, नियमित घी के सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि बेहतर परिणामों के लिए घी में त्रिफला पाउडर मिलाकर खाना चाहिए। कभी आंखों में जलन हो तो उनमें एक-दो बूंद घी की डालने से तुरंत राहत मिलती है। वहीं घी जल जाने व सूजन का घरेलू, लेकिन असरदार इलाज है। जब कोई जलने या सूजन की समस्या का शिकार हो तो वहां घी लगाएं, तुरंत आराम मिलेगा। जले पर घी लगाएं और सूजन पर हल्के हाथों से घी की मालिश करें। अगर आप अक्सर पाचन और पेट की समस्याओं से जूझते हैं, तो घी का सेवन न करें। बता दें कि लीवर सिरोसिस, स्प्लेनोमेगाली, हेपेटोमेगाली, हेपेटाइटिस आदि जैसे लिवर और प्लीहा के रोगों में घी खाने से बचना चाहिए।
सब से अधिक पढ़ी गई खबरें
ज़रूर पढ़ें