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ठोस वजहें एलियंस यान का वजूद नकारने की

हम नहीं जानते कि एलियंस और यूएफओ का सच असल में क्या है, पर अब तक हुए शोधों से जो जानकारियां प्रकाश में आई हैं उनसे लगता है कि किसी उड़न तश्तरी में सवार होकर एलियंस का पृथ्वी तक आना...

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हम नहीं जानते कि एलियंस और यूएफओ का सच असल में क्या है, पर अब तक हुए शोधों से जो जानकारियां प्रकाश में आई हैं उनसे लगता है कि किसी उड़न तश्तरी में सवार होकर एलियंस का पृथ्वी तक आना सिर्फ एक झूठ है। यही नहीं, एलियंस द्वारा पृथ्वी-वासियों के अपहरण की घटनाएं किसी कहानी से ज्यादा महत्व नहीं रखती हैं। सवाल है कि इतने विश्वास से एलियंस के वजूद की संभावना को नकारने की वजह क्या है। इसकी सबसे प्रमुख वजह है, सौरमंडल से बाहर किसी अन्य तारे से पृथ्वी की दूरी। आकाशगंगा में ही हमारे सूर्य के बाद जो निकटतम तारा-प्रॉक्सिमा सेंटॉरी है, वह हमसे चार प्रकाशवर्ष से ज्यादा दूर है। यानी वहां तक जाने में प्रकाश की गति से भी 4.2 साल लग सकते हैं। प्रॉक्सिमा सेंटॉरी हमसे करीब 24 ट्रिलियन मील दूर है। दस लाख मील प्रति घंटे की चाल से वहां तक पहुंचने में 2500 साल से ज्यादा लगेंगे। अभी तक मानव सभ्यता के पास जो सबसे तेज चलने वाला अंतरिक्ष यान वॉयजर है जिसकी गति 40 हजार मील प्रति घंटा है, उसे भी प्रॉक्सिमा सेंटॉरी तक पहुंचने में 70 हजार साल लगेंगे। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर कैसे कोई यूएफओ पलक झपकते प्रकट हो जाता है, किसी पृथ्वीवासी को एक ही रात में दूसरे ग्रहों की सैर भी करा देता है। इसी तरह अगर माना जाए कि कोई सभ्यता पृथ्वी से बाहर मौजूद है और इतनी बुद्धिमान है कि वह लाखों या करोड़ों मील प्रति घंटे की चाल वाला यान बना सकती है, तो वह हम पृथ्वीवासियों से ठीक-ठाक संपर्क क्यों नहीं करती है? यह भी है कि दुनिया में जितने भी लोगों ने एलियंस द्वारा अपहरण की बात की है, लंबी जांच और परीक्षणों में वे किसी न किसी मनोरोग के शिकार पाए गए या फिर उनके दावे सपने से ज्यादा कोई अर्थ नहीं पा सके। यदि कोई यह कहे कि वह किसी बीमारी से ग्रसित नहीं है, तो भी वह उड़न तश्तरी या एलियंस के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं दे पाया है। मशहूर खगोलविद् कार्ल सगॉन ने खीजकर कहा था कि आश्चर्य है कि इन लोगों का अपहरण होता इनके पड़ोसियों ने नहीं देखा! यही वजह है कि एलियंस अब्डक्शन की ज्यादातर घटनाओं को फ्रॉड या झूठ करार दिया गया है।

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उड़न तश्तरी दिखने के प्रमुख दावे

फीनिक्स लाइट्स : यह घटना 13 मार्च, 1997 को अमेरिका के नेवादा राज्य में हुई थी। एरिजोना के दक्षिण में रात को हजारों लोगों ने आसमान में रोशनियों का विशाल पुंज देखा था।

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इलियोनोइस इवेंट : पांच जनवरी, 2000 को अमेरिका के इलियोनोइस राज्य में एक उड़न तश्तरी को वहां के एक पुलिस अधिकारी ने देखने का दावा किया। उस अधिकारी ने रेडियो संदेश भेजकर दूसरे लोगों को बताया।

रोजवेल हादसा : तीन जुलाई, 1947 की शाम अमेरिका के रोजवेल में रहने वाले एक व्यापारी डैन विल्मुट और उनकी पत्नी ने देखा कि 20-25 फीट लंबी-चौड़ी उड़न तश्तरी आकाश में उड़ रही है। बाद में दावा किया गया कि वह उडऩ तश्तरी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसमें से निकले प्राणियों को सेना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। अमेरिकी सेना ने कहा कि वह मौसमी गुब्बारे की दुर्घटना थी।

त्रिनिडाड घटना: 16 जनवरी 1958 को ब्राजील के जहाज पर सवार सिद्धहस्त फोटोग्राफर अलमिरे बैरायुना ने उडऩ तश्तरी दिखने पर चार तस्वीरें उतारीं। इनकी जांच के बाद ‘द वर्ल्ड ऑफ फ्लाइंग सॉसर’ के लेखक डॉ. डोनाल्ड मेंजल ने इन्हें फर्जी करार दिया।

बेल्जियम यूएफओ: वर्ष 1989 की शुरुआत में हुई यह ऐसी घटना है, जिसे दुर्लभ माना जाता है। बेल्जियम के आकाश में हजारों लोगों ने उडऩ तश्तरी देखने का दावा किया, जिसकी बेल्जियम सरकार व वहां की सेना ने खुली जांच की। जो निवासियों ने देखा था, वही एयरफोर्स, पुलिस और एयर ट्रैफिक कंट्रोल अधिकारियों ने देखा।

रेंडलशाम इवेंट : ब्रिटेन के सफ्लॉक इलाके में चीड़ के रेंडलशाम नामक जंगलों में दिसंबर, 1980 को घटित इस घटना को भी बेहद चर्चा मिली है। इस जंगल के निकट नाटो के दो एयरबेस थे, जहां अमेरिकी वायुसेना तैनात थी। वहां तैनात सैन्य अधिकारियों ने 2-3 मीटर आकार के धातुई चमक लिए एक त्रिकोणीय यान को जंगल में उतरते देखा।

जापान एयरलाइंस : नवंबर, 1986 में अमेरिका के अलास्का क्षेत्र में उड़ते हुए जापान एयरलाइंस के मालवाहक विमान के सदस्यों ने तीन उड़न तश्तरियों को उड़ते देखा। इस घटना की पुष्टि फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन और अलास्का के एयर रूट ट्रैफिक कंट्रोलर ने की और कहा कि ये उड़न तश्तरियां राडार पर भी देखी गई हैं। -स.व.

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