अभय कुमार जैन
सही तरीके से चबा-चबा कर किया गया भोजन शरीर को पोषण प्रदान करता है, जबकि गलत ढंग से लिया गया आहार केवल अपशिष्ट पैदा करता है। भोजन के नियम होते हैं। स्वच्छता पहला नियम है, इसलिए भोजन से पहले हाथ, पांव, मुंह अच्छी तरह से धो लेने चाहिए। इसी तरह भोजन बनाने से पूर्व स्नान करना और धुले वस्त्र पहनना ज़रूरी है, ताकि रसोई घर में किसी रोग के कीटाणु प्रवेश न कर सकें। हमारे यहां इसलिए आदि काल से भोजन बनाने व करने के पूर्व स्नान करने की परंपरा है। सभी खाद्य पदार्थ ढक कर रखें।
जहां तक संभव हो परिवार के साथ बैठकर भोजन करें। भोजन करना एक कला है जो हर व्यक्ति को आनी चाहिए। प्राकृतिक चिकित्सा कहती है कि ज्यादातर रोग गलत खान-पान और बिगड़ी दिनचर्या के कारण होते हैं। भोजन सदा नियत समय व नियत मात्रा में ही करना चाहिए। शाम को भोजन सोने से 3 घंटे पूर्व करना अच्छा माना जाता है। आपको जानकर ताज्जुब हो सकता है कि दुनिया के ज्यादातर देशों में लोग रात का खाना 7 बजे के आसपास खा लेते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि एक साथ कई प्रकार की सब्जियां, अचार, मुरब्बे, चटनियां नहीं लेनी चाहिए। ऐसा भोजन बेमेल हो जाता है।
बेहतर है जमीन पर बैठकर खाना
भोजन के सही फायदे और बेहतर पाचन चाहते हैं तो जमीन पर बैठकर खाना शुरू करें। आयुर्वेद में ऐसा अच्छा बताया गया है। जमीन पर बैठकर खाना खाने के दौरान व्यक्ति पैरों को क्राॅस करके बैठता है, जो एक तरह का योगासन है। ये मुद्रा है सुखासन, जो पाचन के लिए बेहतर मानी जाती है। जमीन पर बैठकर खाना खाने के दौरान कौर लेने के लिए बार-बार आगे या पीछे की ओर झुकना पड़ता है। बार-बार यह प्रक्रिया दोहराने से मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, जिससे पाचन तंत्र आसानी से अपना कार्य करता है। जमीन पर बैठकर खाने से आप भोजन धीरे-धीरे खाते हैं, जिससे पूरा ध्यान आहार पर रहता है। और जरूरत के मुताबिक कैलोरी ही आप लेते हैं। सुखासन में बैठने से दिमाग शांत रहता है। एेसे मे पेट से दिमाग तक सही समय पर सही संदेश पहुंच जाता है और ओवर ईटिंग भी नहीं होती।
जमीन पर बैठने से घुटने, टखने और कुल्हे के जोड़ लचीले बनते हैं। शरीर में रक्त संचार आसानी से होता है जिससे हृदय पर भार नहीं पड़ता। कहा जाता है कि डायनिंग टेबल पर बैठकर खाने से रक्त संचार पैरों की ओर होता है, जबकि खाते वक्त पैरों को इसकी जरूरत नहीं होती।
हाथ से भोजन का वैज्ञानिक आधार
आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है। अंगूठा-अग्नितत्व, तर्जनी-वायु तत्व, मध्यमा -आकाश तत्व, अनामिका -पृथ्वी तत्व और कनिष्का-जलतत्व। जब हम भोजन करते हैं तो अंगूठे तथा उंगलियों को मिलाकर खाना खाते हैं अत: सारे तत्वों को एकजुट करते हैं जिससे भोजन ऊर्जादायक तथा स्वास्थ्यवर्द्धक बन जाता है। हाथ से भोजन करने से हमारा मस्तिष्क पेट को संकेत देता है जिससे पाचन क्रिया सुधरती है। भोजन करते समय ध्यान रखें कि प्रत्येक ग्रास को अच्छी तरह चबायें। भोजन हमेशा शांत, प्रसन्नचित्त होकर करें तथा तनाव, चिंता व अवसाद रहित होकर करें। आदर्श भोजन वही है जिसमें सभी पौषक तत्वों का समावेश हो। याद रखें पके भोजन से कच्चा आहार अधिक गुणकारी होता है। भोजन में सलाद, अंकुरित अनाज और हरी सब्जियों का समावेश हो। अधिक तले, बासी, मैदा, मिर्च मसालों से परहेज रखें। भोजन के साथ नशीले पेय जैसे चाय, काॅफी, तम्बाकू, सिगरेट आदि का सेवन नहीं करें।
खाना खाने के बाद की सावधानियां
भोजन के तत्काल बाद पानी न पीयें, कुछ अंतराल के बाद पानी पीयें। एक गुड़ की डली चूसें। भोजन के बाद आधी कच्ची, अाधी भुनी हुई सौंफ चबायें। लौंग इलायची का सेवन करें। भोजन के तुरंत बाद नहाना, टहलना या व्यायाम नहीं करना चाहिए।