जाफरीन चौधरी, यूनिसेफ इंडिया की संचार, एडवोकेसी एवं भागीदारी प्रमुख
भारत में स्वास्थ्य विषयक समाचारों की प्रामाणिक रिपोर्टिंग की पहल हेतु संस्था द्वारा 2014 में सीएएस मुहिम की शुरुआत की गई थी। इसमें करीब दस मीडिया संस्थान व देश के 100 मीडिया समूहों को शामिल किया गया।। देशभर में करीब पांच हजार वर्किंग जर्नलिस्टों को ट्रेनिंग दी गई जिससे जिम्मेदार रिपोर्टिंग का मार्ग प्रशस्त हुआ। हमारी कोशिश थी कि आधी-अधूरी जानकारी खबरों का हिस्सा न बने। किसी स्टोरी से समाज में भय न फैले।
चुनौतियों से मुकाबला
डॉ. राजीव देशगुप्ता, सोशल मेडिसन एवं कम्युनिटी हेल्थ विशेषज्ञ
जहां तक कोविड-19 का सवाल है तो ये न पहली और न ही आखिरी महामारी है। हमें पिछले अनुभवों से आगे की तैयार करनी चाहिए। पोलियो उन्मूलन अभियान से जो अनुभव व दक्षता हमने हासिल की वो आगे मार्गदर्शक बनेगी। इसमें भारतीय सामाजिक व सांस्कृतिक कारणों की भूमिका रही। भारत में प्रतिक्रिया का स्तर ऊंचा रहा है। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि पहले दस वर्ष पोलियो से मीजल्स के विरुद्ध अभियान एक बड़ी पहल थी। फिर मीजल्स से कोविड के खिलाफ अभियान।
तथ्यों की कसौटी
प्रत्यूष रंजन, तथ्य अन्वेषक, जीएनआई
हमारे सामने सोशल मीडिया में जो तथ्य होते हैं, उसको लेकर अलग व्यक्ति की अनुभव के आधार पर अलग दृष्टि हो सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भ्रम की वजह से दिक्कत होती है। यह फर्क सोच व देखने की दृष्टि में होता है। हम सब की ओपिनियन अलग हो सकती है। सोशल मीडिया पर जानकारी के अभाव में मिस-इन्फॉर्मेशन्स फैल सकती है लेकिन डिस-इन्फॉर्मेशन सुनियोजित होती है। इसमें किसी का निहित स्वार्थ हो सकता है। खबर को इस मकसद से फैलाया जाता है कि कोई आपकी सोच को प्रभावित कर सके।
शुरुआती स्तर पर काम
गायत्री सिंह, बाल विकास विशेषज्ञ, यूनीसेफ
आज भारत दोराहे पर खड़ा है। हम कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे सामने ट्रिपल बर्डन है। एक तरफ खाद्यान्न की बर्बादी तो दूसरी तरफ कुपोषण की समस्या है। वहीं दूसरी तरफ मोटापे की समस्या बढ़ रही है। लेकिन रक्त अल्पता बड़ी चुनौती है। जहां तक हो, पहले छह महीने बच्चों को मां का दूध दिया जाये। जब बच्चे को ऊपरी आहार दें तो उसमें ज्यादा मीठा व ज्यादा नमक नहीं डालें। उसकी उपयोग की क्षमता का ध्यान रखें। ज्यादा नमक व मीठा दें फिर उसका टेस्ट बनता जायेगा। शुरुआती स्तर पर काम करना जरूरी है।
वैक्सीनेशन के लक्ष्य
डॉ. माणिक चटर्जी, रोग प्रतिरोधक विशेषज्ञ, यूनीसेफ
आज रूटीन वैक्सीनेशन पूरे देश में चल रहा है। हर प्रांत व जिले में चल रहा है। भारत में बारह बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन अभियान चलाया जा रहा है। किसी समाज में मीजल्स के ट्रांसमिशन बंद करने के लिये जरूरी है कि सौ में 95 बच्चों को टीका लगाया जाये। किसी समाज में सौ में 95 बच्चों से कम बच्चों को टीका लगा हो तो इससे संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है।