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सक्रिय दिनचर्या के जरिये डायबिटीज से बचाव

मधुमेह जागृति दिवस कल

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रेखा देशराज

वर्तमान में मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी गंभीर लाइफस्टाइल बीमारी है, जिसने पूरी दुनिया पर अपना शिकंजा कसा है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 7 करोड़ 50 लाख लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। जिनमें बड़ी संख्या में यानी 20-25 फीसदी युवा हैं, जिन्हें आमतौर पर पहले लाइफस्टाइल बीमारियां कम हुआ करती थीं। अकेले भारत में ही प्रति वर्ष 6 लाख से ज्यादा लोग मधुमेह के चलते मर जाते हैं। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर साल 27 जून को विश्व मधुमेह जागृति दिवस मनाने का संकल्प लिया है, विशेषकर युवाओं को जागरूक करने के लिए।

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जीवनशैली में बदलाव का असर

मधुमेह चुपके से लग जाने वाली जानलेवा बीमारी है जिसे होने से रोक पाना तो आसान होता है, लेकिन एक बार हो जाए तो फिर उससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर मधुमेह बेतरतीब जीवनशैली का दुष्परिणाम होता है। इस दौर में युवाओं को काम से भी ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ता है, क्योंकि जिंदगी में भागमभाग लगी हुई है। जहां 20वीं सदी के मध्य के दशकों के मुकाबले कामकाज के घंटे औसतन 2 से 3 बढ़ गये हैं, वहीं कामकाज का तौर तरीका जटिल और तनावपूर्ण हो चुका है। पहले मैन्युअल तरीके से काम किया जाता था, तो उसमें कोई जानलेवा प्रतिस्पर्धा नहीं होती थी, लेकिन आज इंसान की सामान्य गतिविधियों में भी 50 प्रतिशत तक तकनीक का हस्तक्षेप हो गया है, इसलिए कामकाज का तरीका तेज रफ्तार हो गया है, जो ज्यादा सजगता और लगातार ज्यादा मेहनत की मांग करता है।

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उपभोक्तावादी प्रवृत्ति से उपजी होड़

मौजूदा दौर में बढ़ी जानलेवा प्रतिस्पर्धा के पीछे बड़ा कारण बेहतर लाइफस्टाइल हासिल करने की होड़ है। क्योंकि ज्यादा ही उपभोक्तावादी प्रवृत्ति हावी है। लोग ज्यादा से ज्यादा उपभोग करते हैं और ज्यादा से ज्यादा काम के बोझ से भी लदे रहते हैं। जीवनशैली आसान और सुविधायुक्त तो बनी है, लेकिन ये सुविधाएं बहुत ज्यादा कीमत वसूल रही हैं। गांवों से शहरों और छोटे शहरों से बड़े शहरों की ओर पलायन हुआ है। हर कोई रातोंरात बेहतर जिंदगी हासिल करने की होड़ में शामिल रहता है। इस वजह से युवाओं में बहुत ज्यादा तनाव है। पहले जो युवा मस्त और बेफिक्र हुआ करते थे, आज ऐसे नौजवान ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलते। कैरियर से लेकर अच्छी नौकरी,जीवनसाथी और समय पर ईएमआई चुकाने का युवाओं पर जो भयानक दबाव है, उस दबाव को न झेल पाने के कारण हर साल भारत में हजारों युवा डायबिटीज के चक्रव्यूह में फंस जाते हैं।

जरूरी है सजगता

युवाओं को विशेष रूप से इस जानलेवा बीमारी से बचने की जरूरत है। भारत में करीब एक करोड़ युवा अलग -अलग टाइप की डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसलिए खानपान से लेकर दिनचर्या तक में ज्यादा से ज्यादा सजग और अनुशासित रहना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हम युवा हों या अधेड़, डायबिटीज से तभी बच सकते हैं, जब हम इससे अतिरिक्त रूप से सजग रहें और शुरुआती लक्षणों के बाद ही इसके खिलाफ जोरदार मोर्चा खोल दें। लेकिन बहुत सारे युवाओं को यह समझना थोड़े मुश्किल होता है कि क्या वे डायबिटीज से पीड़ित हैं?

ऐसे पहचानें रोग

डायबिटीज है या नहीं, यह जानने का सबसे आसान तरीका डायबिटीज के कुछ आम लक्षण हैं। जैसे- डायबिटीज का शुरुआती लक्षण ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है। अकसर तनाव में रहने के कारण भूख भी कम लगती है और आंखों के नीचे बहुत कम उम्र में ही काले काले धब्बे दिखने लगते हैं। कुछ लोगों को जहां डायबिटीज में कम या बिल्कुल भूख नहीं लगती, वहीं कुछ दूसरे लोगों को मधुमेह में ज्यादा भूख लगती है। बार-बार थकान लगना, प्यास बहुत लगना, अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाना और रोशनी का धीरे-धीरे कम होते जाना। डायबिटीज के ये सब लक्षण हैं और इसके कारण आप तेजी से बूढ़े होने लगते हैं। याद्दाश्त गायब होने लगती है।

युवाओं को डायबिटीज को लेकर विशेष रूप से सजग रहना चाहिए। उन्हें इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। इससे बचाव का सबसे आसान तरीका है कि हर दिन नियमित रूप से एक्सरसाइज की जाए। फास्ट फूड से बचा जाए। मोबाइल स्क्रीन पर जो 4 से 5 घंटे का वक्त बिताते हैं, उसे घटाकर एक से सवा घंटे तक लाया जाए और भरपूर नींद ली जाए। अगर ये उपाय किए जाएं तो युवाओं का डायबिटीज से आसानी से बचाव हो सकता है। -इ.रि.सें.

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