
डॉ़ एमपी डोगरा
गर्मी का मौसम है और ऐसे में बहुत सी बीमारियों का होना स्वाभाविक है, जैसे बुखार, खांसी, जुकाम, वमन, इत्यादि। नेचरोपैथी में सभी रोगों को एक ही माना है। मतलब यह कि रोग का अपने आप में कोई अस्तित्व नहीं है। बस स्वास्थ्य में कुछ कमी आ जाती है और शरीर उसको ठीक करने में लग जाता है। उससे शरीर को कुछ कष्ट महसूस होता है जो कि शरीर का स्वयं को पूर्ण रूप से ठीक करने का प्रयत्न है। प्राकृतिक चिकित्सा की मान्यता है कि हम उसको रोग समझ कर दवाएं देकर प्रकृति के रास्ते में बाधा उत्पन्न करते हैं। अगर हम औषधि न लेकर शरीर के कार्य में बाधा न डालें तो पता लगेगा कि शरीर कुछ समय बाद स्वस्थ हो गया।
समग्र स्वास्थ्य की बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मान्यता है कि मनुष्य शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक आदि सभी स्तरों पर स्वस्थ होगा तो ही हम उसे पूर्ण स्वस्थ मान सकते हैं। आजकल देखा गया है कि मनुष्य को शारीरिक रोग तो हैं परंतु उनका कारण क्या है उसका पता नहीं। जब भी हम डॉक्टर के पास जाते हैं और लक्ष्ण बताते हैं तो वह सिंप्टम्स के आधार पर दवाई लिख देता है जबकि कारण के बारे में रोगी को कोई जानकारी नहीं दी जाती।
मन में ही मूल
नेचरोपैथी में इन चारों पक्षों-बातों का ध्यान रखते हुए रोगी का पूर्ण इतिहास लेकर इलाज किया जाता है। यह देखा गया है कि रोगी रोग के लक्षण तो बता रहा है परंतु कारण कुछ और है। ज्यादातर लोग मन से बीमार हैं।
अपनेपन से इलाज
यह अनुभव किया गया है कि जब रोगी की बात ध्यान से सुन ली जाए और उससे अपनापन दिया जाए तो हमारे जो इलाज हैं उनका बहुत अच्छा रिजल्ट मिलता है क्योंकि रोगों का इलाज हमारे शरीर में भगवान द्वारा दी गई जीवनी शक्ति है। यही जीवनी शक्ति हमारे सभी रोगों का इलाज करती है जबकि मॉडर्न मेडिकल साइंस इसको नहीं मानती। उनका मानना है कि अगर शरीर में उचित मात्रा में भोजन मिलता रहे और कैलोरी मिलती रहे तो शरीर चलता है।
पंचमहाभूतों का प्रयोग
हम नेचुरोपैथी में इसी जीवनी शक्ति को बचाकर-बढ़ाकर इलाज करते हैं और पंचमहाभूतों का प्रयोग करके रोगी को स्वस्थ बनाते हैं। इसके साथ-साथ रोगी को उचित मात्रा में भोजन , एक्सरसाइज, विश्राम तथा खादी के कपड़े जिसमें से वायु अंदर बाहर आ जा सके, पहनने को कहते हैं। इन बातों का पालन करने से मानव बिना दवाइयों के स्वस्थ रह सकता है।
उपवास से शरीर को आराम
दरअसल जब भी शरीर बीमार होता है तो यह अपने आप को ठीक करने की कोशिश करता है और हम उसे बीमारी समझकर डॉक्टर के पास चले जाते हैं और शरीर के अपने आप ठीक करने के रास्ते में बाधा डाल देते हैं तो हम बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। ऐसे समय में हम अपने शारीरिक सिस्टम को केवल उपवास करके आराम दें और मन को शांत रखें तो देखेंगे कि कुछ ही समय या दिनों के बाद वह बीमारी अपने आप चली जाएगी। बस आपको अपने आप पर भरोसा रखना होगा।
प्रकृति से नाता
कहा भी गया है कि प्रकृति से दूर विकृति है और आज हम प्रकृति से बहुत दूर चले गए हैं। बस अपने आप को जानना है, अपनी शक्ति व रोग प्रतिरोधक शक्ति की जानकारी हासिल करनी है। अगर यह सब हम जान गए तो हम एक लंबा स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। आप पंचमहाभूतों को याद रखें जिनसे हमारा शरीर बना है और यही पंचमहाभूत हमारे शरीर को तंदुरुस्त कर सकते हैं। मौसम के फल-सब्जी खाएं ,योग-प्राणायाम करें। डर को अपने आप से निकाल दें।
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