रजनी अरोड़ा
फल, फूल, सब्जी और हरियाली के लिए तो हम पौधे लगाते ही हैं, लेकिन अगर कुछ औषधीय पौधे भी लगाए जाएं तो इसके दोहरे फायदे हैं। एक तो बगिया महकेगी और आपकी सेहत भी चमकेगी। जी हां, कई पौधे ऐसे होते हैं जिनकी पत्तियों का इस्तेमाल खुद को स्वस्थ रखने के लिए किया जा सकता है। अगर आप हेल्थ काॅन्शियस हैं और छोटी-मोटी बीमारियों में मेडिसिन लेने से डरते हैं तो कुछ औषधीय पौधे आपके लिए काफी फायदेमंद होंगे। जिन्हें आप घर पर अपनी बगिया, किचन गार्डन या गमलों में आसानी से ग्रो कर ही सकते हैं। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही पौधों के बारे में-
अजवाइन या कैरम प्लांट : यह पाचन प्रक्रिया में सुधार लाता है। कफ, पेट दर्द जैसी समस्याओं में इसके पत्ते लाभदायक होते हैं। यह वजन कम करने में भी सहायक है। ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करता है। त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में अजवाइन के पत्ते का पानी पीना और लगाना उपयोगी है। इसका पौधा आप घर पर आसानी से लगा सकते हैं। ध्यान रहे यह पौधा रसोई में मिलने वाली अजवाइन से अलग होता है। कटिंग से भी लगता है और पानी बहुत कम चाहिए होता है।
तुलसी : यह पौधा आमतौर पर सभी के घर में होता है। तुलसी इम्यूनिटी बूस्टर का काम करती है। खांसी-जुकाम, बुखार में तुलसी की चाय पीना फायदेमंद है। इंसेक्ट्स द्वारा काटे जाने पर इसके पत्ते घिसकर लगाने पर हीलिंग में मदद करता है। तुलसी के निरंतर सेवन ब्लड प्यूरीफायर का काम भी करता है। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में भी मददगार है। यह पौधा थोड़ी सी देखभाल में आसानी से लग जाता है।
सदाबहार : डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत मददगार है। बालों को हेल्दी बनाता है। चेहरे पर पड़ने वाले दाग-धब्बों पर सदाबहार की पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से आराम मिलता है। ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है। यह पौधा कटिंग या बीज से भी आसानी से ग्रो किया जा सकता है।
तेजपत्ता : खाने का स्वाद तो बढ़ाता ही है, स्वास्थ्यवर्धक भी है। चोट लगने पर हीलिंग में मदद करता है। बालों की ग्रोथ बढ़ाता है। इसके ताजे पत्तों को उबालकर और छानकर इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर सूखे पत्तों को तेल में गर्म करके मालिश भी कर सकते हैं। तेजपत्ता का पौधा गमले में आसानी से लगा सकते हैं।
शतावरी : इस पौधे की पत्तियों और जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं कि यह किडनी में स्टोन, ट्यूमर, यूरीनरी समस्या आदि में सहायक है। दूध के साथ इसकी जड़ का 6-7 ग्राम पाउडर और थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर लें। शतावरी की पौध को आप गमले या मिट्टी में आसानी से लगा सकते हैं।
पान : ओरल समस्याओं के लिए फायदेमंद है। इसमें एंटी कैंसर एजेंट पाए जाते हैं। बालों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके पत्तों को घिसकर हल्दी के साथ लगाने से पिंपल्स की समस्या सेे भी निजात पा सकते हैं। पान की बेल को कटिंग से आसानी से लगाया जा सकता है और मनीप्लांट की तरह माॅस स्टिक पर चढाया जा सकता है।
ऐलोवेरा : इसकी पत्तियों में मौजूद जैल बालों और त्वचा संबंधी कई समस्याओं में उपयोगी है। लो ब्लड प्रेशर, लो शूगर लेवल को मेंटेन करने में मददगार है। फंगल इंफेक्शन या एलर्जी होने पर ऐलोवेरा पत्ती काटकर निकले जैल को रगड़ने से आराम मिलता है। ऐलोवेरा रेतीली मिट्टी में आसानी से लगाया जा सकता है। एक पौधा लगाने से आप कुछ समय बाद बेबी प्लांट्स को अलग कर कई पौधे बना सकते हैं। इसमें पानी तभी देना चाहिए जब मिटटी सूखी महसूस हो।
करी पत्ता : यह खाने के टेस्ट को तो बढ़ाता ही है, हेल्थ के लिए बहुत ज्यादा मददगार है। लो आई साइट को ठीक करता है, ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है, बालों संबंधी समस्याओं को कम करता है और बालों को स्वस्थ बनाता है। करी पत्ते का पौधा कटिंग या सीड्स से भी आसानी से ग्रो हो जाता है।
पुदीना : पेट की बीमारियों में फायदेमंद है। स्ट्रेस को मैनेज करता है। इसे ओरल हाइजीन के लिए परफेक्ट, माउथ रिफ्रेशनर का काम करता है। पेट मे कीड़े होने पर पुदीने की 2-3 पत्तियां चबाकर खाना उपयोगी है। रेतीली मिट्टी में पुदीना के पौधे या कटिंग से आसानी से ग्रो कर सकते हैं।
पत्थरचट्टा : सैकुलेंट फैमिली का यह पौधा चोट लगने पर होने वाले दर्द और सूजन को कम करता है, घाव को भरने में असरदार है। किडनी स्टोन में सहायक है। पेट दर्द कम करने, पाचन प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है। गैस, एसिडिटी की समस्या होने पर पत्थरचट्टा की दो-तीन पत्तियां गर्म पानी के साथ लेने से आराम मिलता है। पत्थरचट्टा का पौधा आप कटिंग या पत्ते से आसानी से ग्रो कर सकते हैं। पौधे को पानी कम ही दें।
लेमन ग्रास : इसकी ग्रीन टी या काढ़ा या फिर सूखे पत्तों से बना पाउडर हमारी इम्यूनिटी मजबूत बनाने में मदद करता है। स्किन में ग्लो लाता है और बालों की ग्रोथ में सहायक है। ग्रास फैमिली का होने के कारण लेमनग्रास कोे गमले में लगाना चाहिए। ह्यूमिडिटी और वेल ड्रेन मिट्टी में लगाएं।
मेरीगोल्ड या गेंदा : अगर आपकी त्वचा पर किसी भी तरह की चोट लगी हो, तो गेंदे का पौधा बहुत उपयोगी है। यह घाव जल्दी भरने और इंफेक्शन को रोकने में मदद करता है। गेंदा स्किन के लिए काफी फायदेमंद है। फूलो के पानी के इस्तेमाल से बालों में शाइन आती है। आॅयली स्किन वालों को पिंपल्स होने का खतरा नहीं रहता। मच्छर भी भागते हैं।
अपराजिता : इसके पर्पल कलर के फूल एक दिन के लिए पानी में भिगो कर या पानी में उबालकर ब्ल्यू टी पीना मेमोरी बूस्टर का काम करती है। कंसन्ट्रेशन बढ़ाता है। आंखों की रोशनी बढ़ाता है। इसकी बेल छोटी से छोटी कटिंग या इसमें लगने वाली फलियों के पके हुए बीजों से उगाई जा सकती है।
चमेली : खुशबूदार फूलों के लिए पसंद किये जाने वाले चमेली के पौधे की पत्तियां मुंह के छालों में मदद करती हैं। नींद न आने या तनाव की स्थिति में इसकी खुशबू मूड बूस्टर का काम करती है और आपको रिलेक्स कराती है। पाचन तंत्र सुचारू रूप् से चलाने, पेट के अल्सर में जास्मिन फूल की चाय काफी फायदेमंद है।
चमेली की पत्तियों को नहाने वाले पानी में रात को भिगो कर रख दें। सुबह इस पानी से नहाने पर शरीर में ठंडक मिलने के साथ-साथ पसीने की दुर्गन्ध से भी छुटकारा मिलेगा। कहा जाता है कि सुबह चमेली के पत्ते खाने से महिलाओं केा पीरियड्स की समस्या में राहत मिलती है। चमेली के पौधे को आप कटिंग से आसानी से लगा सकते हैं।
थाइम : यह एक तरह का हर्ब है जिसे आप छोटे-छोटे गमलों में भी लगा सकते हैं। थाइम खांसी रोकने में बहुत मदद करती है। पौध के अलावा आप थाइम पलांट को बीज या कटिंग से भी ग्रो कर सकते हैं।
रोज़मेरी : खाने में फ्लेवेरिंग एजेंट की तरह इस्तेमाल होता है। बाल झड़ने, रूसी जैसी समस्याओं से निजात दिलाने और बालों की मजबूती में बहुत मददगार है। इसके पत्तों की चाय बनाकर पीना फायदेमंद है। रोजमेरी को बीज और पौध से आसानी से ग्रो किया जा सकता है।
अश्वगंधा : आयुर्वेद में इसकी टेबलेट भी आती हैै। इसके पत्तों के सेवन से मोटापा कम होता है जबकि जड़ से मोटापा आता है। यह पौधा पुरुष हार्मोन्स को बूस्ट करती है। इसमे मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। पौध और बीज से इस पौधे को उगाया जा सकता है।
सावधानी बरतें : ध्यान रहे कि औषधीय पौधे नाॅर्मल मिट्टी में ही लगाने चाहिए और पूरी धूप में रखने चाहिए। ध्यान रखें कि पौधों की मिट्टी से पूरा पानी निकल जाना चाहिए। यानी उसमें पानी ठहरना नहीं चाहिए वरना पौधे की जड़ें गलने लगती हैं। समय-समय पर खाद एवं गुड़ाई का भी ध्यान रखना चाहिए।