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तन-मन की सेहत संवारें नियमित गहरी नींद से

सोना भी अहम भोजन और व्यायाम की तरह
अहम है नींद की गुणवत्ता
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नींद हमारी सेहत के लिये उतनी ही जरूरी है जितने अच्छा भोजन और व्यायाम। लेकिन आजकल लोग कामकाजी व्यस्तता और गेजेट्स पर लंबा समय बिताने के चलते पर्याप्त

पीजीआई की नर्सिंग अफसर सिमरन कौर

व गुणवत्तापूर्ण नींद को नजरअंदाज कर रहे हैं। नींद के महत्व, उसके लाभ, उसकी कमी के दुष्प्रभाव और बेहतर नींद के उपायों पर एनबीएफ भारत से जुड़ीं और चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर में कार्यरत सिमरन कौर से विवेक शर्मा की बातचीत।

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आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन, टीवी और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल हमारी नींद को प्रभावित कर रहा है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है, जिससे नींद आने में दिक्कत होती है।ऑफिस का तनाव, देर रात तक काम, सोशल मीडिया पर देर रात तक एक्टिव रहना, ये सभी आदतें हमारी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम अपनी दिनचर्या में सुधार करें और नींद को प्राथमिकता दें। लोग अक्सर नींद को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि नींद केवल शरीर को आराम देने का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए उतनी ही जरूरी है जितने संतुलित भोजन और व्यायाम।

अध्ययनों से पता चला है कि पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद न केवल हमारी मानसिक- शारीरिक सेहत को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि हमारी उत्पादकता, भावनात्मक संतुलन, हृदय के स्वास्थ्य और संपूर्ण जीवनशैली को भी प्रभावित करती है।

नींद क्यों महत्वपूर्ण है?

नींद हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह शरीर को न केवल ऊर्जावान बनाती है बल्कि कई महत्वपूर्ण कार्यों में भी सहायक होती है, जैसे:

ऊतक और मांसपेशियों की मरम्मत : नींद के दौरान शरीर की कोशिकाएं खुद को पुनः निर्माण करती हैं और क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत होती है।

हार्मोनल संतुलन : नींद के दौरान शरीर कई महत्वपूर्ण हार्मोन जैसे मेलाटोनिन, ग्रोथ हार्मोन और कोर्टिसोल का उत्पादन करता है, जो शरीर के विकास और चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को नियंत्रित करते हैं।

मस्तिष्क की कार्यप्रणाली: सोने के दौरान मस्तिष्क पुरानी यादों को संगठित करता है और नई जानकारी को लंबे समय तक संग्रहीत करता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता: नींद के दौरान शरीर संक्रमण से लड़ने वाले एंटीबॉडी और साइटोकाइन्स का उत्पादन करता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

बेहतर नींद के स्वास्थ्य पर प्रभाव

हृदय रोग और उच्च रक्तचाप से सुरक्षा

नींद के दौरान शरीर का रक्तचाप स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, जिससे हृदय और रक्त वाहिकाओं को आराम मिलता है। लेकिन जो लोग लगातार कम नींद लेते हैं, उनमें रक्तचाप सामान्य से अधिक रहने लगता है, जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जो हाइपरटेंशन और हृदय रोगों जैसे स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा सकता है। अध्ययनों के अनुसार, जो लोग हर रात 6 घंटे से कम सोते हैं, उनमें हृदय रोगों का जोखिम 30-40% तक बढ़ जाता है।

वजन बढ़ने से बचाव

नींद की कमी सीधे हमारे मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती है। यह शरीर में दो महत्वपूर्ण हार्मोन, घ्रेलिन (भूख बढ़ाने वाला हार्मोन) और लेप्टिन (भूख कम करने वाला हार्मोन) के संतुलन को बिगाड़ देती है। जब व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं लेता, तो शरीर में घ्रेलिन का स्तर बढ़ जाता है और लेप्टिन का स्तर कम हो जाता है, जिससे व्यक्ति को अधिक भूख लगती है और वह बार-बार खाने की इच्छा महसूस करता है। नींद की कमी शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस को भी बढ़ा सकती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना

नींद मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। नींद की कमी से चिंता (एंग्जायटी), अवसाद (डिप्रेशन) और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। जब शरीर पर्याप्त आराम नहीं कर पाता, तो तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति हर समय तनावग्रस्त और परेशान महसूस करता है। मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए रोजाना 7-9 घंटे गहरी नींद चाहिये।

स्मरण शक्ति और एकाग्रता में सुधार

नींद मस्तिष्क को आराम देने का कार्य करती है। जब हम सोते हैं, तो हमारा मस्तिष्क पूरे दिन प्राप्त की गई सूचनाओं को व्यवस्थित करता है और उन्हें लंबे समय तक याद रखने योग्य बनाता है।गहरी नींद लेने से सीखने की क्षमता, ध्यान केंद्रित करने की शक्ति और समस्या सुलझाने की क्षमता में सुधार होता है। दूसरी ओर, नींद की कमी से ध्यान भटकता है, निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और व्यक्ति छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है।

मजबूत इम्यूनिटी

शरीर नींद के दौरान रोगों से लड़ने वाले एंटीबॉडी और साइटोकाइन्स का उत्पादन करता है। यह प्रक्रिया शरीर को बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है। जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते, वे अक्सर सर्दी-जुकाम, फ्लू और अन्य संक्रमणों का शिकार हो जाते हैं। नींद की कमी से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।

नींद की कमी के दुष्प्रभाव

अगर लंबे समय तक नींद पूरी न हो, तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है जैसे मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर असर यानी याद्दाश्त कमजोर होना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई। मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ना, तनाव और अवसाद का बढ़ना, इम्यूनिटी कम होना व काम करने की क्षमता और उत्पादकता में गिरावट।

बेहतर नींद के लिए कारगर उपाय

निश्चित समय : रोजाना निश्चित समय पर सोने और जागने की आदत डालें, ताकि आपकी जैविक घड़ी सही काम करे। अनुकूल वातावरण : कमरे को अंधेरा और शांत रखें। सोने से पहले टीवी, मोबाइल-लैपटॉप का प्रयोग न करें। आरामदायक गद्दा और तकिया चुनें। सही खान-पान : रात के समय कैफीन और अल्कोहल से बचें। हल्का और पौष्टिक भोजन करें। ज्यादा पानी पीने से बचें ताकि रात में बार-बार उठना न पड़े। नियमित व्यायाम : दिनभर एक्टिव रहने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। हालांकि, सोने से ठीक पहले अधिक व्यायाम करने से बचें। तनाव कम करें : सोने से पहले मेडिटेशन, प्राणायाम और हल्का संगीत सुनना लाभदायक हो सकता है। नींद शरीर और मस्तिष्क के लिए एक अनिवार्य प्रक्रिया है। यह हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, रोजाना पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लेनी चाहिए।

किस उम्र में कितनी लें नींद

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार विभिन्न आयु वर्गों के लिए अनुशंसित नींद की अवधि इस प्रकार है:

आयु वर्ग नींद की अवधि

नवजात शिशु (0-3 महीने) 14-17 घंटे

शिशु (4-12 महीने) 12-16 घंटे

टॉडलर्स (1-2 वर्ष) 11-14 घंटे

प्रीस्कूलर (3-5 वर्ष) 10-13 घंटे

स्कूली बच्चे (6-12 वर्ष) 9-12 घंटे

किशोर (13-18 वर्ष) 8-10 घंटे

वयस्क (18-60 वर्ष) 7-9 घंटे

वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष) 7-8 घंटे

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