मोनिका शर्मा
हमारा जीवन परिवेश, प्रकृति, परिवार और यहां तक कि कई पराये चेहरों के भी सहयोग और साथ से आगे बढ़ता है। कभी जाने पहचाने लोग संबल बन जाते हैं, तो कभी अनजान लोगों का साथ मिल जाता है। इन सभी के प्रति मन आभार के भाव से भर जाता है। ग्रैटीट्यूड यानी आभार, जिसे कभी हम जताना भूल जाते हैं, तो कभी जानबूझकर अनदेखी करते हैं। आभार का भाव मदद करने वाले इंसान का मान बढ़ाने वाला सबसे सुंदर मानवीय अहसास है, जिसे हरदम याद रखना भी जरूरी है और जताना भी। तभी तो दुनिया में एक दिन आभार जताने को भी समर्पित है।
छोटी-छोटी मदद के मायने समझें
कई छोटी-छोटी बातें हमारा जीवन सहज बनाती हैं। आम-सी सलाहें कामयाबी की राह सुझाती हैं। सरल-सी सीख बड़ी गलती करने से रोकती है। हौसला बढ़ाने वाली कोई बात मन को टूटने-बिखरने से बचा लेती है। घर हो या बाहर, इन छोटी-छोटी बातों के मायने समझिये। मन में आभार का भाव रखने के लिए याद रखिये कि मनोबल बढ़ाने वाली कोई बात छोटी नहीं होती। हमारी सहायता के लिए उठा किसी का कोई कदम छोटा नहीं होता। मन में कृतज्ञता की अनुभूति को जगह देने के लिए सोच और समझ को इतना विस्तार देना जरूरी है कि कोई मदद छोटी न लगे।
कृतज्ञता की ईमानदार अनुभूति
एक अंग्रेजी कहावत के मुताबिक ‘कृतज्ञता हृदय की स्मृति है।’ सचमुच यह सच्चे मन से किसी की सहायता को याद रखने का भाव ही तो है। इसलिए अपने हों या पराये, आभार जताने के लिए बनावटी-दिखावटी बर्ताव न अपनाएं। कई बार आभार जताने का मतलब उपहार देने तक समेट दिया जाता है, जो कि समय पर मिली मदद को याद रखने के बजाय उसके बदले कुछ लौटा दिए जाने का भाव लिए है। समझना जरूरी है कि आभारी होना सम्मान देने का पर्याय है। किसी से मिले प्रोत्साहन के बदले प्रशंसा और प्रेम पगा अहसास जताने का तरीका है। सोचिये कि उदासी के दौर में आपकी बात सुनकर हिम्मत देने वाले दोस्त को दुनियावी रीति-नीति से आप क्या लौटा सकते हैं? घर में हर सुख-दुःख में साथ खड़े अपनों का आभार जताने को क्या कोई उपहार काफी हो सकता है? किसी शिक्षक या सीनियर का ऐसा परामर्श जो आपको कामयाबी की राह पर ले जाए, उसकी भरपाई संसार के किसी तोहफे से हो सकती है? नहीं, ऐसी सहायता, मार्गदर्शन और स्नेह का मोल नहीं आंका जा सकता। बस, ईमानदार अनुभूति के साथ आभारी होने का भाव जरूरी है, जो सम्मान, स्नेह और समय देकर ही किया जा सकता है। कभी-कभी तो एक सहज मुस्कुराहट भी काफी होती है।
समाज को जोड़ती कड़ी
परस्पर सहयोग का भाव एक सकारात्मक ऊर्जा लिए होता है। यह एक ऐसी कड़ी है जो पूरे समाज को जोड़ती है। संकट में किसी से मदद पाने वाला इंसान विपत्ति के समय किसी दूसरे की मदद करने की सोच रखने लगता है। इससे सामाजिक-पारिवारिक संबंधों को मजबूती मिलती है। आभार का भाव रिश्तों को पोषण देने के लिए जरूरी है। यह लोगों की सराहना करना सिखाता है। जो कुछ हमारे पास है, उसे सहेजने का पाठ पढ़ाता है। कहना गलत नहीं होगा कि आभार का भाव सहायता की सोच को सींचता है। मुसीबत में मददगार बनने के बर्ताव को बढ़ावा देता है। कृतज्ञ होने का भाव खुद हमारी बेहतरी से भी जुड़ा है। यह न केवल अपनेपन और आशा भरे अहसास जगाता है, बल्कि आगे बढ़ने में भी अहम भूमिका निभाता है।