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त्रिदोष नाशक हेल्दी हल्दी

रेखा देशराज आयुर्वेद में हल्दी के सैकड़ों तरह के औषधीय उपयोग हजारों सालों से मौजूद हैं। खास तौर से कच्ची हल्दी बहुत गुणकारी मानी गयी है जिसे जड़ी बूटी की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल हल्दी में मौजूद...

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रेखा देशराज

आयुर्वेद में हल्दी के सैकड़ों तरह के औषधीय उपयोग हजारों सालों से मौजूद हैं। खास तौर से कच्ची हल्दी बहुत गुणकारी मानी गयी है जिसे जड़ी बूटी की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल हल्दी में मौजूद करक्यूमिन ऐसा सक्रिय यौगिक है, जिसमें जबर्दस्त औषधीय विशेषताएं होती हैं। शायद इसीलिए हजारों सालों से हल्दी हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों का भी हिस्सा है। आयुर्वेद में हल्दी को त्रिदोष नाशक माना गया है। बहुत कम ऐसी चीजें होती हैं जिनमें वात, पित्त और कफ को संतुलित करने की क्षमता होती है। जानिये सेहत के लिए लाभकारी हल्दी के औषधीय गुण।

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सूजन में राहतकारी

जिन्हें सूजन से संबंधित परेशानियां होती हैं जैसे गठिया आदि में, तो अपने एंटीइंफ्लेमेट्री गुण के कारण हल्दी सूजन की परेशानी से उन्हें राहत पहुंचाती है। दरअसल हल्दी ने जबर्दस्त एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है, जो शरीर को फ्री-रेडिकल्स से बचाती है और त्वचा तथा शरीर के विभिन्न अंगों को स्वस्थ बनाये रखती है। हल्दी दिमाग की सूजन को कम करती है, इसलिए यह याद्दाश्त सुधारने में भी सहायक होती है।

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इम्यूनिटी बूस्टर

हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिस कारण यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है। ऐसे में नियमित तौर पर किसी न किसी रूप में हल्दी का उपयोग खाने में करना चाहिये। हल्दी लिवर को डिटॉक्स करने में और इसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में बहुत मददगार होती है।

पाचन में सुधार

हल्दी के सेवन से पाचन में सुधार होता है। यह गैस, अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं में बेहद फायदेमंद है। वहीं हल्दी दूध या काढ़े के रूप में गले की खराश और सर्दी में फायदेमंद होती है। जिन्हें लगातार अपच, एसिडिटी और पेट दर्द की शिकायत रहती हों, उन्हें अदरक के साथ मिलाकर कच्ची हल्दी भूनकर चूसना चाहिए या दांतों से चबाकर उसका रस पीना चाहिए। इससे पेट संबंधी ये सारी शिकायतें खत्म हो जाती हैं।

त्वचा को फायदे

कहीं कट-फट जाए तो हल्दी का पेस्ट ऐसे घावों और संक्रमण को तेजी से ठीक करने में मददगार होता है। जो घाव लंबे समय से भर न रहा हो, उसमें शुद्ध शहद में हल्दी के पाउडर को मिलाकर लेप करना चाहिए। वहीं हल्दी दाग, धब्बों और मुहांसों तथा त्वचा संबंधी दूसरी परेशानियों को दूर करती है।

गंभीर रोगों में भी उपयोग

हल्दी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण करने में मदद करती है। इसमें पाया जाने वाला यौगिक करक्यूमिन कैंसररोधी माना जाता है। हल्दी का पेस्ट त्वचा की जलन, खुजली, एग्जिमा और सोरायसिस जैसी समस्याओं में फायदेमंद होता है।

रस का सेवन

डायबिटीज की समस्या में कच्ची हल्दी के रस का सेवन फायदेमंद होता है, क्योंकि यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाती है। हल्दी रक्त में कोलेस्ट्रोल के स्तर को भी नियंत्रित करती है। वहीं जिन्हें अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की समस्या हो, उन्हें हल्दी का सेवन करना चाहिए।

रोजमर्रा में इस्तेमाल

जब हम बहुत थके होते हैं या बहुत ज्यादा पैदल चलकर थकान से चकनाचूर हो रहे होते हैं, उस समय हमें हल्दी के पाउडर को गर्म दूध में मिलाकर गर्मागर्म पी लेना चाहिए। उससे थकान से तो राहत मिलती ही है, सर्दी से भी राहत मिलती है और संक्रमण के कारण पैदा हुई खांसी भी दूर हो जाती है। हल्दी के उबटन का नियमित रूप से त्वचा में इस्तेमाल करने से त्वचा साफ सुथरी होकर निखर आती है। अगर किसी व्यक्ति को रह रहकर संक्रमण हो जाता हो, थोड़ी सी गर्मी या थोड़ी सी सर्दी में जुकाम घेर लेती हो, ऐसे शख्स को अदरक, तुलसी और शहद के साथ हल्दी का इस्तेमाल काढ़े के रूप में करना चाहिए। हल्दी अद्भुत जड़ी-बूटी है, जिसका हर एक हिस्सा जिंदगी के ज्यादातर मौकों में बेहद उपयोगी होता है। कच्ची हल्दी, पाउडर, पत्तियां भी अनेक तरह से हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कारगर हैं। -इ.रि.सें.

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