नवीन जैन
आधुनिकता अपनाने के चलते हम अपनी ऐसी परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं ,जो आज भी प्रासंगिक हैं। मसलन, हमें फ्रिज का पानी पीना बहुत मॉडर्न लगता है, लेकिन याद नहीं रखते कि मटके के पानी में कितने गुण हैं, और यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए खास उपयोगी है। दरअसल मिट्टी में ऐसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो स्वास्थ्य रक्षक होते हैं। यही तत्व मिट्टी के बने मटके में आ जाते हैं। मिट्टी के मटकों की दीवारों में असंख्य सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जिनसे पानी रिसता रहता है। इस कारण मटके की सतह पर हमेशा गीलापन रहता है। मटके में पानी रखने पर इसका वाष्पीकरण होता है ,जिससे पानी के कण गर्मी के रूप में ऊर्जा प्राप्त करते हैं और फिर गैस में बदल जाते हैं। बाद में ये कण हवा के साथ मिश्रित हो जाते हैं, तथा मटके में फैल जाते हैं, जिससे मटके का पानी ठंडा हो जाता है। मटकों की खासियत है कि ये पीने के लिए ठंडा पानी ही नहीं देते ,बल्कि मिट्टी के गुण भी प्रदान करते हैं। वहीं मिट्टी के बर्तनों में पानी को ठंडा करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह विशेषता अन्य किसी भी धातु के पात्र में नहीं होती। इसलिए, मिट्टी के बर्तनों का पानी प्यास बुझाने के लिए आज भी बेहतर जाना जाता है।
प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
पीढ़ियों से भारतीय घरों में पानी स्टोर करने के लिए मिट्टी के बर्तन यानी मटकों का पानी इस्तेमाल किया जाता रहा है । मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू के कारण गर्मियों में मटके का ठंडा पानी पीने का आनंद और तृप्ति अलग ही है। विशेषज्ञों के अनुसार, मिट्टी में कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। मिट्टी के बर्तनों में रखे पानी में मिट्टी के गुण स्वतः ही आ जाते हैं जिसके चलते मटके में रखा पानी हमें निरोग रखने में मदद करता है। इसके अलावा मटके को रंगने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला गेरू भी हमारे शरीर को गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
सुचारू पाचन प्रक्रिया
मिट्टी में अनेक प्रकार के क्षार, विटामिन्स, खनिजों, धातुओं, रसायनों, तत्वों तथा रसों की मौजूदगी होती है। ये ही सारे गुण मटके में भी विद्यमान होते हैं। ऐसे में मटके के पानी का नियमित सेवन करने से शरीर में मौजूद जहरीले पदार्थ बाहर चले जाते हैं। मिट्टी में कुदरती रूप से शरीर में जमा टॉक्सिंस खींच लेने की ताकत होती है। इसलिए, पेट में जमा और सड़े भोजन को मटके का पानी शरीर से बाहर कर आंतों की सफाई भी करता है।
रोगों में फायदेमंद
मटके का पानी शरीर की गर्मी कम कर कुदरती ठंडक पहुंचाता है। कहा जाता है कि मिट्टी की चुंबकीय शक्ति शरीर को चुस्ती-फुर्ती तथा ताकत देती है। शरीर को उचित पीएच संतुलन प्रदान करके एसिडिटी तथा पेट दर्द में राहत पहुंचाने का काम भी मटके का पानी करता है। वहीं मटके का पानी लकवे तथा दमे के रोगी के लिए भी फायदेमंद है। इससे हार्ट भी हेल्दी रहता है। जबकि यदि हम फ्रिज का पानी पीते हैं तो यह ज्यादा ठंडा होने के कारण गले की कोशिकाओं पर बुरा प्रभाव डालता है। गले की ग्रंथियों में सूजन आने लगती है, जिससे शरीर की क्रियाएं बिगड़ने लगती हैं। लेकिन मटके में पानी सही तापमान पर रहता है। न बहुत अधिक ठंडा न ज्यादा गर्म। यह भी कि मटके का पानी शरीर में ग्लूकोज को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों और विटामिनों को उपलब्ध करवाकर हमें गर्मी के स्ट्रोक से बचाता है।
हानिकारक रसायनों से बचाव
जीवन के सभी क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल विकल्पों का उपयोग करना अच्छी पहल है। कई लोग प्लास्टिक की बोतलों में पानी रखते या स्टोर करते हैं ,जिससे जाने-अनजाने में हम कई हानिकारक रसायनों की गिरफ्त में आ जाते हैं, जबकि मिट्टी के बर्तनों को साफ-सुथरा रखकर कई वर्षों तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है। ये पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। जबकि प्लास्टिक की बोतलों का केवल एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है और ये पर्यावरण को बिगाड़ती हैं। मिट्टी के बर्तन प्लास्टिक की बोतलों की अपेक्षा सस्ते भी साबित होते हैं।
मटकों पर उकेरी कला
आजकल मटकों पर कलात्मकता और कारीगरी दिखाई देने लगी है जिससे हम पुरातन संस्कृति से परिचित होते हैं। जयपुर के कारीगरों ने मटकों के नए आकार बनाए हैं ,जिनमें लंबे तथा अंडाकार घड़े प्रमुख हैं। नल लगे मटकों में रंगीन पेंटिंग भी दिखाई देने लगी हैं। जयपुरी सुराही भी बहुत ही कलात्मक डिजाइनों में बनने लगी है। मटके बनाने के कुटीर उद्योग से लाखों कुम्हारों को रोजगार भी उपलब्ध होता है। रसोई घरों में मटका रखना बड़ा शुभ माना जाता है। इन्हीं मटकों की मार्ग के साथ निःशुल्क प्याऊ भी लगी रहती है।