
दीपिका : परिवार के बूते हॉकी में हासिल किया मुकाम
हिसार : परिवार का सहयोग न मिलता तो शायद ही यहां तक पहुंच पाती। अब जूनियर हॉकी महिला विश्व कप खेलने दक्षिण अफ्रीका तक पहुंच गई हूं। हॉकी की मेरी हॉबी को देखते हुए पिता जगदीश सहरावत ने मुझे खूब प्रोत्साहित किया। उन्होंने कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी। पापा जगदीश सहरावत चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। हॉकी खिलाड़ी दीपिका सहरावत ने अपने संघर्ष के अनुभव को साझा कर रही थीं। उन्होंने बताया, मुझे यह भी याद नहीं है कि हॉकी को पहली बार कब हाथ में पकड़ा था, लेकिन आज जूनियर हॉकी महिला विश्व कप में खेलने का मौका मिला है, जो सौभाग्य की बात है और माता-पिता व परिवार के सहयोग का नतीजा है। दीपिका सहरावत ने लड़कियों के माता-पिता से अपने विचार बदलने का आह्वान करते हुए कहा कि बेटियों पर अपने निर्णय न थोपें और बेटियों को उनकी रुचि के अनुसार लक्ष्य तक पहुंचने में उनकी सहायता करें, बेटियां अवश्य ही नाम रोशन करेंगी। वहीं दीपिका ने फोन पर बताया कि शुक्रवार को साउथ कोरिया के साथ हुए मैच में महिला हॉकी टीम ने 3-0 से जीत दर्ज करते हुए सेमिफाइनल में प्रवेश कर लिया।
-नरेंद्र ख्यालिया, हिसार
सोनम मलिक: सबसे कम उम्र में खेला ओलंपिक
सोनीपत : एशिया सोनीपत के गांव मदीना निवासी राजेंद्र मलिक के घर जन्मी सोनम मलिक ने छोटी उम्र से ही गांव की नेताजी सुभाषचंद्र बोस खेल अकादमी में कोच सूबेदार अजमेर सिंह से कुश्ती के गुर सीखने शुरू कर दिए थे। उन्होंने 2016 में विश्व कैडेट कुश्ती में दो गोल्ड जीतकर अपनी धाक जमा दी। इस बीच 2017 में एक प्रतियोगिता में उसके कंधे पर जबरदस्त चोट लगी, जिसके बाद डॉक्टर ने उसे मैट से दूर रहने की सलाह दी। सोनम कहती हैं, एक बार लगा अब कभी मैदान पर वापसी नहीं कर पाऊंगी, लेकिन खेल के प्रति जुनून ने करीब डेढ़ साल तक मैदान से दूर रहने और उपचार लेने के बाद पहली ही प्रतियोगिता में मेडल जीतकर जोरदार वापसी की।
उसके बाद रियो ओलंपिक खेलों में ब्रांज जीतने वाली साक्षी मलिक को हराकर देशभर में चर्चा में आ गई। कजाखस्तान के अल्माटी में विदेशी पहलवानों को पछाड़ते हुए 62 किलोग्राम भारवर्ग में टोक्यो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल किया। 19 वर्षीय सोनम के नाम सबसे कम उम्र में ओलंपिक खेलने का रिकॉर्ड भी जुड़ गया।
-हरेंद्र रापड़िया, सोनीपत
मनीषा: मुक्के का दिखाया दम, जीते 20 स्वर्ण पदक
कैथल : बाॅक्सिंग खिलाड़ी मनीषा ने पिछले महीने हिसार के सेंट जोसेफ इंटरनेशनल स्कूल में 5वीं एलीट राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता है। इस प्रतियोगिता में देशभर से 316 महिला खिलाड़ी भाग ले रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी मनीषा ने अपने मुक्के का दम दिखाते हुए नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में 20 स्वर्ण जीते हैं। अप्रैल 2019 में थाईलैंड में हुई एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
वहीं, 2018 में हुई आईबा ओपन प्रतियोगिता में स्वर्ण मेडल हासिल किया। इसके बाद 2019 में हुई आईबा ओपन प्रतियोगिता में रजत मेडल जीता। वहीं, 2019 में दिल्ली में हुई बिग बाउट प्रतियोगिता में रजत मेडल हासिल किया।
उनके कोच गुरमीत सिंह ने बताया कि साल 2011 में मनीषा ने अम्बाला रोड स्थित आरकेएसडी बाॅक्सिंग खेल सेंटर में खेलना शुरू किया था। डिफेंस काॅलोनी निवासी मनीषा के पिता कृष्ण कुमार डेढ़ एकड़ जमीन के मालिक हैं और खेती-बाड़ी से ही आजीविका चलाते हैं।
-ललित शर्मा, कैथल
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