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वैक्सीन से निमाेनिया का मुकाबला

विश्व निमोनिया दिवस : 12 नवंबर

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रेखा देशराज

निमोनिया यानी जाड़े के बुखार के लक्षणों के बारे में 460 ईसा पूर्व ही यूनान के हकीम हिप्पोक्रेट्स ने व्याख्या कर दी थी, लेकिन इस रोग पर हम आज तक काबू नहीं कर पाये हैं। निमोनिया कहीं भी व कभी भी हमला कर सकता है। यह फेफड़ों के संक्रमण की गंभीर बीमारी है, जिससे जान भी जा सकती है। इस श्वास संबंधी बीमारी से होने वाली बाल मौतों को कम करने के उद्देश्य से विश्व की विभिन्न संस्थाएं ‘ग्लोबल कोएलिशन अगेंस्ट चाइल्ड निमोनिया’ के तले एकजुट हुईं और ‘स्टॉप निमोनिया’ की पहल की, जिसके तहत 12 नवम्बर 2009 को पहला विश्व निमोनिया दिवस आयोजित किया गया। इस दिन के लिए वर्ष 2024 की थीम ‘चैंपियनिंग द फाइट टू स्टॉप निमोनिया’ है।

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जोखिम बुजुर्गों को ज्यादा जोखिम

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निमोनिया मुख्यतः वायरस, बैक्टीरिया या फंगी से होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकता है। निमोनिया कई प्रकार का होता है, जिसमें सबसे आम क़िस्म का बैक्टीरियल निमोनिया है, जिसे नियोमोकोकल निमोनिया कहते हैं। अक्सर बच्चे व बुज़ुर्ग निमोनिया का अधिक शिकार होते हैं। अगर आप 65 वर्ष या उससे अधिक के हैं, तो आपको नियोमोकोकल निमोनिया होने व अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 18 से 49 साल के युवा वयस्कों की तुलना में 13 गुना अधिक है। औसतन 6 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ता है। अति गंभीर मामलों में मौत भी हो सकती है। निमोनिया के लक्षणों में शामिल हैं- सांस लेने में कठिनाई, सांस का छोटा हो जाना, सीने में दर्द, तेज़ बुखार, अत्यधिक पसीना आना, ठंड से कंपकंपी होना और खांसी। नियोमोकोकल निमोनिया में खांसी व थकान कई सप्ताह या अधिक समय तक जारी रह सकती हैं।

वैक्सीनेशन की बेहद कम दर

निमोनिया जैसे संक्रामक रोगों का अधिक खतरा अक्सर बुजुर्गों व जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है या जिन्हें कोई क्रोनिक स्वास्थ्य समस्या है जैसे- दमा या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) को होता है। यानी 65 वर्ष से अधिक के बुजुर्गों, जो सीओपीडी से पीड़ित हैं, को नियोमोकोकल निमोनिया होने का खतरा अपने स्वस्थ समकालीनों की तुलना में 7.7 गुना अधिक है और जिनको दमा है उन्हें 5.9 गुना अधिक है। रोग नियंत्रण विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस आयु वर्ग के सभी बुज़ुर्ग नियोमोकोकल वैक्सीन अवश्य लगवाएं। भारत सहित दुनिया के लगभग सभी देशों, जिनमें विकसित देश भी शामिल हैं, के हज़ारों लोग हर साल इस गंभीर रोग की चपेट में आते हैं, जबकि इस रोग की वैक्सीन उपलब्ध हैं। टीकाकरण इतना कम है कि विशेषज्ञों द्वारा बताये गये स्तर या राज्यों के लक्ष्यों के आसपास तक भी संख्या नहीं पहुंचती है।

उपचार है संभव

एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है, ‘नियोमोकोकल रोग के लिए टीकाकरण की सलाह अपने रोगियों को देता हूं। कहता हूं कि उन्हें श्वास संबंधी संक्रमण को संभालना कठिन हो जायेगा। संक्रमण के कारण रोगी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है, ठीक होने में लम्बा समय लगता है।” विशेषज्ञों की राय है , बुजुर्गों को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए कि वह नियोमोकोकल निमोनिया के टीकाकरण के मामले में अप-टू-डेट हैं या नहीं और फेफड़ों का भी मूल्यांकन कराना चाहिए। दरअसल, निमोनिया एक रोकथाम व उपचार योग्य रोग है।

ऐसे करें रोकथाम

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि निमोनिया दुनियाभर में हर साल लगभग 450 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है। बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों को कम न कर पाना चुनौती बनी हुई है- स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच, अपर्याप्त टीकाकरण, कुपोषण आदि की वजह से। सवाल है,निमोनिया के खिलाफ़ क्या निवारक उपाय किये जा सकते हैं? न्यूमोकोकस, खसरा और काली खांसी के विरुद्ध टीकाकरण निमोनिया रोकने का प्रभावी तरीका साबित हुआ है। पर्याप्त पोषण बच्चों की प्राकृतिक सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसकी शुरुआत जीवन के पहले 6 महीनों के लिए केवल स्तनपान से होती है। घर के अंदर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने व भीड़भाड़ वाले घरों में अच्छी स्वच्छता को प्रोत्साहित करने से भी मदद मिलती है। -इ.रि.सें.

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