दीप्ति अंगरीश
क्या आप भी ’प्लीज़’, ‘साॅरी’ या ’थैंक यू’ वाली घुट्टी बच्चों को पिला रहे हैं और सोच रहे हैं कि ये पैरेंटिंग बेस्ट है तो बता दें कि आपकी पैरेंटिंग में बहुत-सी कमियां हैं। इनसे बच्चों का शाब्दिक ज्ञान तो जरूर बढ़ेगा, लेकिन व्यावहारिक ज्ञान नहीं। बच्चा तो कच्चा है। उसका मानसिक विकास बहुत धीमा हैै। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि बच्चों को शिष्टाचारपूर्ण शब्दों के साथ-साथ सोशल मैनर्स भी सिखाएं। याद रखें कि ये ही नींव है अच्छे व्यक्ति की, जो झलकाएगी संस्कार और आपकी पैरेंटिंग। तो आइये जानते हैं पैरेंटिंग में 5 सोशल मैनर्स वाले महत्वपूर्ण पाइंट्स-
सिखाएं अभिवादन करना
परिवार वालों के साथ तो बच्चे घुल मिल जाते हैं, पर दूर-दराज़ के नाते-रिश्तेदार, आपके दोस्तों, उनके दोस्तों के माता-पिता, पड़ोसियों और अजनबियों से शर्माते हैं। उनसे आंख मिलाकर बात करने में हिचकते हैं। बच्चे को सिखाएं कि बड़ों का कैसे अभिवादन करें। जब भी आप घर में प्रवेश करें या बाहर जाएं, तो घर में मौजूद हर शख्स को ग्रीट करें। आखिर बच्चे तो आपसे ही सीखते हैं। कभी-कभार बच्चों को अपनी निगरानी में ऐसे व्यक्ति से परिचित करवाएं, जिन्हें वे जानते न हों। ऐसा करने से बच्चे की झिझक दूर होगी।
बड़ों का सम्मान भी जरूरी
बच्चों को सिखाएं कि बड़ों का सम्मान हमेशा करें। जैसे-बड़ों को मदद का हाथ थमाएं, जब बड़े बात करें, तब बच्चे हस्तक्षेप नहीं करते, अपनी बारी आने पर ही बात करें, कुछ इशारे बच्चों को सिखाएं, ताकि वे ज़रूरत के समय इसका प्रयोग कर पाएं आदि। बच्चों के सामने कभी गाली-गलौज व तेज़ आवाज़ में अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। किसी की निंदा नहीं करें। झूठ व चालाकी की बातें नहीं करें। याद रहे कि आपके आचरण की मौन भाषा बच्चे जल्दी सीखते हैं।
स्पेस देना भी सिखाएं
बच्चों को सिखाएं कि स्पेस देना बहुत ज़रूरी होता है। फिर जगह सार्वजनिक हो या निजी। इससे दोनों पक्षों को मेंटल फ्रीडम मिलता है और दोनों पक्षों की शिष्टाचार की सीमा झलकती है। सामने वाला पक्ष क्या कर रहा है, इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है कि आप क्या आचरण कर रहे हैं। मसलन बच्चे को सिखाएं कि किसी के भी कमरे में प्रवेश करते समय दरवाज़े पर दस्तक ज़रूर दें, जब भी सड़क पर चलें, तो आगे-पीछे पैदल चलने वालों को जगह दें आदि। बता दें कि हर वक्त गुड मैनर्स सिखाने में आपने बच्चे पर चौकसी करनी शुरू कर दी, तो बच्चा दूर भागेगा। उसे शक की निगाह से देखेंगे तो वह आपको आप बीती बातें नहीं बताएगा, जो दूरी का कारण बन सकता है। उसे प्यार वाली स्पेस दें।
अनुमति लेना ज़रूरी
बच्चे को लाड़-प्यार करें, पर बिगाड़ें नहीं। बहुत बार बच्चे, मां-बाप से इतने खुल जाते हैं कि उन पर अधिकार जमाते हैं। नतीजतन किसी भी चीज़ में मेरा-तेरा नहीं रहता। यही आदत बन जाती है। जब बच्चे बाहर होते हैं तो दूसरों के साथ भी मेरा-तेरा की दीवार तोड़ देते हैं। नतीजतन बिना पूछे उनकी चीज़ों को छूते हैं। आपको बच्चों को बताना होगा कि यह आदत गलत है। बच्चों को सिखाएं घर-बाहर किसी की चीज़ को छूने से पहले उनकी अनुमति लेनी चाहिए। जैसे आंटी का फ्रिज़ बिना पूछे खोलना गलत बात है, बिना पूछे अपने भाई-बहन का कंप्यूटर-लैपटाॅप छूना गंदी बात होती है आदि। बच्चों को बताएं कि दूसरों की अनुमति लेने के बाद ही दूसरों की चीज़ों को छूना या इस्तेमाल करना चाहिए।
शेयरिंग है केयरिंग
पपैरेंटिंग का महत्वपूर्ण सबक है शेयरिंग। इसे आपको बच्चे को सिखाना होगा। वैसे बच्चे देखकर भी बहुत कुछ सीखते हैं। जब तक आप खुद गुड मैनर्स और सोशल मैनर्स को आत्मसात नहीं करेंगे, तो बच्चा कैसे सीखेगा। याद रहे आपकी लाइव ट्रेनिंग उसे बहुत कुछ सिखा देगी। बच्चे को सिखाएं कि अपनी चीज़ की शेयरिंग करना अच्छी बात होती है।
उसे प्यार से समझाएं कि अपने दोस्तों के साथ खिलौने, किताबें, कलर्स आदि साझा करना अच्छी बात होती है। इसकी आदत उसे घर में ही लगाएं। यहां आपको बच्चे को शेयरिंग का मतलब सिखाना होगा। इसके लिए उससे कहें कि आपके पैन/पेंसिल से लिखे, साथ में किताब पढ़ें आदि।