रितु ढिल्लों
छोटे-छोटे बच्चों को मास्क लगाना काफी दिक्कत भरा तो है ही, बच्चे उसके रखरखाव के बारे में उतना समझते भी नहीं। इसके अलावा मास्क लगाने से बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। फिजिकल एक्टिविटी के दौरान तो मास्क लगाना और भी गलत हो जाता है। दरअसल फिजिकल एक्टिविटी के दौरान बच्चों को अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है, इसके लिए वे तेज सांस लेने लगते हैं। बच्चों की सांस नली बड़ों के मुकाबले काफी नाजुक और मुलायम होती है, इसलिए उन्हें सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इतना ही नहीं आगे चलकर सांस संबंधी समस्या बढ़ सकती है। इसलिए सबसे बेहतर तो यही है कि छोटे बच्चों को मास्क न लगाएं और कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग से काम चलाएं।
जितना संभव हो बच्चों को घर के अंदर ही खेलने को कहें। यदि बच्चे को खेलने के लिए घर से बाहर निकालना ही हो, तो माता-पिता या फिर घर का कोई अन्य बड़ा उनके साथ रहे। ताकि फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा सके। पार्क में आपके आसपास कोई न हो तो बच्चे को बिना मास्क लगाए ही खेलने दें। बच्चे को यह समझाएं कि संक्रमण से बचाव के लिए दूसरे बच्चों से एक निश्चित दूरी बनाकर ही खेलें। किसी भी सूरत में यह दूरी दो गज से कम नहीं होनी चाहिए, ज्यादा हो तो और बेहतर है। इसलिए पार्क में जाने के लिए ऐसे समय का चुनाव करें जब पार्क में भीड़ न हो। पार्क के विकल्प के तौर पर घर के आंगन का प्रयोग कर सकते हैं। फ्लैट में रहने वालों के लिए बालकनी भी विकल्प का काम कर सकती है, लेकिन बच्चे हर समय बड़ों की नज़र के सामने रहें, यह ज़रूरी है।
मास्क पहनना-उतारना सिखाएं
अभी तो स्कूल बंद हैं लेकिन भविष्य में हो सकता है कि बच्चे स्कूल जाने लगें। उस समय के लिए उन्हें मास्क पहनना और उतारना सिखाएं। इसके साथ ही सेनेटाइजर के इस्तेमाल के लिए बच्चे को अच्छे से बता दें और सेनेटाइजर देकर ही स्कूल भेजें। बच्चे को बताएं कि कोई भी चीज छूने के बाद हाथों को सेनेटाइज करना जरूरी है। हाथों को सेनेटाइज करने तरीका भी बताएं और प्रयास करें कि बच्चे को हाथों को सेनेटाइज करने के सभी छह स्टेप अच्छे से याद हों। दरअसल एल्कोहल युक्त सेनेटाइजर का इस्तेमाल हाथों पर कम से कम 40 सेकेंड तक करना जरूरी है। बच्चा सभी स्टेप ठीक से पूरे करेगा तो बताया गया समय भी पूरा हो जाएगा और यदि हाथ पर कहीं से वायरस लग गया तो वह मर जाएगा। कोरोना संक्रमण हाथों के जरिए मुंह और नाक तक पहुंचता है या फिर सामने से किसी संक्रमित के छींकने और खांसने पर।
घूमना-फिरना, अभी नहीं
मास्क लगाने से थोड़ा सफोकेशन तो होता ही है। बड़ों को भी इससे परेशानी होती है। बच्चों को मास्क लगाने से परेशानी होने की संभावना कहीं ज्यादा है। इसलिए अभी सबसे बेहतर यही है कि बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें। थोड़ी-बहुत देर के लिए बाहर निकलें तो ट्रिपल लेयर मास्क का प्रयोग करें। एन-95 जैसे मास्क बच्चों के लिए ठीक नहीं हैं। हां, घर के बने सूती कपड़े के ट्रिपल लेयर मास्क इस्तेमाल करना फिर भी बेहतर रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पांच वर्ष तक के बच्चों को मास्क न लगाने की सलाह दी है। पांच से 12 वर्ष तक के बच्चे घर में बना सूती कपड़े का मास्क लगाएं तो बेहतर है। प्रयास यह रहना चाहिए कि बच्चे को मास्क कम देर के लिए ही लगाना पड़े। यह तभी संभव है जब बच्चे को ज्यादा देर के लिए घर से बाहर न निकलने दें।
12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे बड़ों की ही तरह मास्क का प्रयोग करें।
(जिला महिला अस्पताल (गाजियाबाद) की एसएनसीयू (सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र आनंद से बातचीत पर आधारित।)