आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के चलते इमरान खान को गद्दी छोड़नी ही पड़ गई। नेशनल असेंबली को भंग करवाने और अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करके इमरान खान ने जो दांव चला, वह बेकार गया। वे विपक्षी मुहिम को विदेशी हस्तक्षेप करार देते रहे। पहली बार वे भारत की तारीफ करते नजर आये कि भारत की गुटनिरपेक्ष नीति कारगर है और भारत महाशक्तियों के दबाव से मुक्त है। कहीं न कहीं इमरान भारत की तारीफ करके जारी आक्रोश को विदेशी साजिश बताकर, विपक्ष के खिलाफ एक तुरप के पत्ते की तरह इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्ती ने इमरान की बाजी पलट दी। देर रात अवमानना की कार्रवाई के बाबत सुप्रीम कोर्ट को खोला गया। आखिर स्पीकर का इस्तीफा, इमरान की पार्टी के सांसदों का अविश्वास प्रस्ताव से वाॅकआउट तथा नये स्पीकर द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के बाद समर्थन में 174 वोट पड़े। अब सरकार गिरने के बाद इमरान के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है। विडंबना ही है कि आजादी की हीरक जयंती मना रहा पाक अभी तक एक परिपक्व लोकतंत्र की शक्ल नहीं ले पाया है। अब तक कोई सरकार अपने पांच साल पूरे नहीं कर पायी है। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव से सत्ता गंवाने वाले इमरान खान पहले प्रधानमंत्री हैं। करीब उत्तर प्रदेश जितनी आबादी वाले पाक ने अपने जन्म से ही भारत के खिलाफ साजिशों व षड्यंत्रों से जो ताना-बाना बुना, आज वह खुद उसी संस्कृति में फंसता चला जा रहा है।
निस्संदेह, लोकतांत्रिक सरकारों को गिराने के खेल में दशकों से पाक सेना पर्दे के पीछे व सामने से शामिल रही है। सभी जानते हैं कि इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का जन्म भी एक पूर्व आईएसआई प्रमुख व सेना के पोषण से हुआ था। नवाज शरीफ सरकार को गिराने के लिये इस पार्टी का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन कालांतर इमरान खान का सेना प्रमुख से मतभेद होने लगा। पहले आईएसआई चीफ की नियुक्ति को लेकर विवाद सामने आया। फिर पाक सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को लेकर टसल जारी थी। जाहिर तौर पर इमरान खान सरकार के पतन को भले ही फौरी तौर पर जनाक्रोश और विपक्ष की एकजुटता बताया जा रहा हो, मगर पर्दे के पीछे सेना की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। विगत में भी सेना सरकार बनाने व गिराने के खेल में खूब लिप्त पायी जाती रही है। अब सवाल है कि पाक में नेतृत्व परिवर्तन का भारत पर क्या असर पड़ेगा। यूं तो पाक इस स्थिति में नहीं रहा है कि भारत की रफ्तार को थाम सके, लेकिन अपनी भौगोलिक स्थिति का वह सदा लाभ उठाता रहा है। पश्चिम में अफगानिस्तान तथा उत्तर पूर्व में चीन के चलते पाक ग्लोबल पॉलिटिक्स में बड़ी भूमिका निभाता रहा है। वहां से मिले हथियारों व ताकत को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता रहा है। अब पाक में जिसकी भी सरकार बने, उम्मीद होगी कि वह भारत विरोधी रवैये से परहेज रखे और आतंकवाद को प्रश्रय देना बंद करे।