दलदल से बचाव : The Dainik Tribune

दलदल से बचाव

महिलाओं को ठगने वाले तस्कर दंडित हों

दलदल से बचाव

फाइल फोटो

यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि हमारे समाज के चंद लोग पैसा कमाने की हवस में इतना गिर जाते हैं कि किसी दूसरे की जिंदगी तबाह करने में भी उफ नहीं करते। इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता कि किसी के लालच से बेहतर भविष्य की आस में अपनी सारी जमा-पूंजी जुटाकर काम की तलाश में विदेश जाने वाली कमजोर वर्ग की महिलाओं का जीवन नारकीय बना दिया जाये। कहां तो महिलाएं विदेशों में सुनहरे सपने पूरे करने गई थी और कहां दलालों की दलदल में फंसकर उनका जीवन दु:स्वप्न में बदल गया। पिछले दिनों एक विचलित करने वाला वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ जिसमें कुछ भारतीय महिलाएं जीवन बचाने की गुहार लगा रही थी। जिसके बाद भारतीय अधिकारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। जिसके बाद पंजाब की 35 महिलाओं में से पांच को बचाने हेतु कार्रवाई हुई। इन महिलाओं का आरोप था कि एजेंटों ने उन्हें धोखे से गलत लोगों के पास भेज दिया। ये महिलाएं ओमान में फंसने और शोषण होने की बात कह रही थी। इन महिलाओं ने न केवल जमा-पूंजी एजेंटों के हाथ गवांयी बल्कि उन्हें अकथनीय शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना का भी शिकार होना पड़ा है। इस तरह खाड़ी देशों में अच्छी कमाई करके अपने परिवारों की मदद करने के उनके सपने चकनाचूर हो गये। अधिकारियों के हस्तक्षेप से हुई कार्रवाई में आठ महिलाएं बुधवार को वापस घर आ गई। शेष बची महिलाओं को भी नारकीय जीवन से मुक्त कराने के प्रयास जारी हैं, जो एजेंटों के द्वारा ठगे जाने के बाद खाड़ी देशों में शोषण का शिकार हैं। इस घटना ने एक बार फिर बेलगाम कबूतर बाजी पर लगाम लगाने और इस क्षेत्र को अधिक पारदर्शी बनाने की जरूरत पर बल दिया है। अन्यथा भविष्य में अमानवीय घटनाओं का अंतहीन सिलसिला जारी रहेगा। कानून की सख्ती ही व्यवस्था में बदलाव में सहायक साबित होगी।

निस्संदेह, बार-बार ऐसे मामलों के उजागर होने के बाद जहां सरकार द्वारा विदेश जाने की व्यवस्था से जुड़े पहलुओं का सख्ती से नियमन करना जरूरी है, वहीं लोगों को भी सचेत करने की जरूरत है। इस बाबत पूरे देश में जन जागरूकता अभियान चलाने की भी आवश्यकता है। जरूरी है कि हवाई अड्डे के अधिकारियों को बोर्डिंग से पहले गरीब व अशिक्षित महिलाओं की पहचान करनी होगी। उन्हें आगे आने वाले खतरों के प्रति सचेत करना होगा। उन्हें संवेदनशील ढंग से समझाया जाना चाहिए कि विदेश में काम करने के दौरान उन्हें किन-किन अमानवीय स्थितियों से भी गुजरना पड़ सकता है। इसके अलावा कुकरमुत्तों की तरह उग आई विदेश भेजने वाली कंपनियों व एजेंटों के लिये सख्त नियामक मानदंड तय करने होंगे। इन दिनों सोशल मीडिया पर विदेश भेजने वाले बिचौलियों के भ्रामक विज्ञापनों का जाल बिछा रहता है। दलालों और भ्रामक विज्ञापन देने वालों पर सख्ती से नकेल कसने की जरूरत है। ये घटनाएं हमारे नीति-नियंताओं के लिये आईना भी हैं कि क्यों देश के युवा हाथों को काम नहीं दे पा रहे हैं। चुनाव के दौरान सब्जबाग दिखाने वाले नेता अपने घोषणापत्रों को हकीकत क्यों नहीं बना पाते। वहीं मानव तस्करी में लिप्त लोगों के लिये कड़ी सजा के प्रावधान करने की सख्त जरूरत है। जब आपराधिक कृत्य में लोगों को कड़ी सजा मिलेगी तो दूसरे दलालों के लिये ये नजीर का काम करेगी। तभी युवाओं व महिलाओं के जीवन से खिलवाड़ करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लग सकेगा। खासकर उन अशिक्षित व अर्द्ध साक्षर महिलाओं को बचाने के लिये जिन्हें कारखानों में मजदूरी व घरेलू नौकरी के लिये बरगलाया जाता है। जिन्हें महज अल्पकालिक वीजा पर विदेश भेजा जाता है। वहां पहुंचकर उनके पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज दलाल या नियोक्ता ले लेते हैं। जल्द ही वीजा की अवधि समाप्त होने पर उनका वहां रहना अवैध हो जाता है। जिससे ये लोग कई समझौते करने को बाध्य हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उन देशों में वीजा खत्म होने के बाद भारी नगद व सख्त कानूनी सजा का भी प्रावधान है। पंजाब सरकार को चाहिए कि ऐसे भयावह अनुभवों को सार्वजनिक करके लोगों को जागरूक करे। साथ ही ट्रेवल एजेंटों की भी सख्ती से जांच हो।

सब से अधिक पढ़ी गई खबरें

ज़रूर पढ़ें

तोड़ना हर चक्रव्यूह...

तोड़ना हर चक्रव्यूह...

सचेत रहकर टालें घर के प्रदूषण का खतरा

सचेत रहकर टालें घर के प्रदूषण का खतरा

बेहतर जॉब के लिए अवसरों की दस्तक

बेहतर जॉब के लिए अवसरों की दस्तक

नकली माल की बिक्री पर सख्त उपभोक्ता आयोग

नकली माल की बिक्री पर सख्त उपभोक्ता आयोग

सबक ले रचें स्नेहिल रिश्तों का संसार

सबक ले रचें स्नेहिल रिश्तों का संसार

मुख्य समाचार

100 से ज्यादा शवों की पहचान का इंतजार, ओडिशा ने डीएनए सैंपलिंग शुरू की

100 से ज्यादा शवों की पहचान का इंतजार, ओडिशा ने डीएनए सैंपलिंग शुरू की

278 मृतकों में से 177 शवों की पहचान कर ली गई है

1984 के हमले के जख्मों ने सिखों को 'मजबूत' बनाया, न कि 'मजबूर' : जत्थेदार

1984 के हमले के जख्मों ने सिखों को 'मजबूत' बनाया, न कि 'मजबूर' : जत्थेदार

खालिस्तान समर्थकों ने नारेबाजी के बीच स्वर्ण मंदिर में ऑपरेश...