अलगाव पर शिकंजा : The Dainik Tribune

अलगाव पर शिकंजा

राज्य की संवेदनशीलता महसूस करे तंत्र

अलगाव पर शिकंजा

आखिरकार राज्य में लगातार तीखे होते अलगाव के सुरों पर शिकंजा कसने की दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करके पंजाब पुलिस-प्रशासन ने वक्त की जरूरत का अहसास किया है। सदियों से गुरुओं व ऋषियों की समरसता की वाणी से पंजाब महकता रहा है। लेकिन विडंबना है कि इस संवेदनशील सीमावर्ती राज्य में विभिन्न राजनीतिक दलों ने गाहे-बगाहे अपने राजनीतिक स्वार्थों को तरजीह दी है। जिसका खमियाजा राज्य ने एक काले दौर के रूप में देखा। जिसमें हजारों निर्दोष लोगों को जीवन गंवाना पड़ा व आर्थिक तरक्की की राह में राज्य पिछड़ गया। हमें शांति स्थापना के लिये जे.एफ. रिबेरो व के.पी.एस़ गिल जैसे कुशल पुलिस प्रशासकों का योगदान याद रहे। हाल के दिनों में फिर तल्ख सुरों को हवा दी जा रही थी। प्रश्न है कि दल विशेष के सत्ताच्युत होने पर ही क्यों राज्य में अलगाव के सुर मुखर होते हैं। जिससे संप्रदाय विशेष असुरक्षित महसूस करता है। वहीं राष्ट्रीय एकता को चुनौती पैदा होती है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान की केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात के बाद बड़ी कार्रवाई के संकेत मिले थे। खासकर राज्य में बड़ी संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बलों की बटालियनों की तैनाती को केंद्र-राज्य सरकारों के साझे कदम के रूप में देखा गया। दरअसल, शांति बनाये रखने के लिये शासन-प्रशासन की सतर्कता जरूरी है।

आखिरकार पंजाब पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर राज्य में अलगाव के सुरों को सींचने वाले तत्वों पर कड़ा शिकंजा कसा है। यह कार्रवाई वक्त की जरूरत भी थी क्योंकि विगत में राज्य ने अलगाववादी दौर में बड़ी कीमत चुकाई है। आज जो शांति राज्य में नजर आ रही है, उसकी कीमत राज्य के लोग जानते हैं। बहरहाल, हालिया प्रकरण में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों तथा असले की बरामदगी से साफ है कि अलगाववादी तेवरों को अब सरकारें स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। विवादित अलगाववादी नेता विगत कुछ समय से प्रदेश के पुलिस-प्रशासन के लिये चिंता का सबब बना हुआ था। कई घटनाक्रम इशारा कर रहे थे कि वह कानून-व्यवस्था के लिये बड़ी चुनौती बनता जा रहा था। खासकर पिछले दिनों अजनाला थाने पर अपने एक साथी को छुड़ाने की विरल घटना ने सरकार व पुलिस विभाग को चिंता में डाल दिया था। यह महज कानून व्यवस्था के लिये ही चुनौती नहीं थी बल्कि राज्य में सदियों से स्थापित सांप्रदायिक सद्भाव के लिये खतरा उत्पन्न हो गया था। निस्संदेह, देर से सही, राज्य पुलिस-प्रशासन ने अलगाववादियों पर शिकंजा कस ही दिया। यह जानते हुए कि पड़ोसी मुल्क से युवाओं को पथभ्रष्ट करने की साजिश लगातार की जाती रही है और ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थ, हथियार व नगदी भारतीय सीमाओं में गिरायी जा रही है। बहरहाल इस चुनौती के मुकाबले के लिये शासन-प्रशासन के साथ नागरिकों के स्तर पर भी शांति स्थापना के लिये गंभीर प्रयासों की जरूरत है।

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