जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन की पहली वर्षगांठ और अनुच्छेद 370 निरस्त होने से उपजी हताशा में पाक ने कई भड़काऊ कोशिशें की हैं। इसी शृंखला में पाक ने भारतीय क्षेत्रों को शामिल करते हुए कथित नया नक्शा जारी किया है। इस सप्ताह की शुरुआत में जारी पाक के इस भ्रामक नक्शे में गुजरात की जूनागढ़ रियासत, सरक्रीक और जम्मू-कश्मीर को शामिल दिखाया गया है, जिसे इमरान पाक के इतिहास में ऐतिहासिक दिन कहने की नादानी कर रहे हैं। दावा है कि नया मानचित्र पाक के सभी राजनीतिक दलों और अवाम की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। पाक की इस हरकत को सिरे से खारिज करते हुए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा कि गुजरात और जम्मू-कश्मीर पर इस तरह की दावेदारी पेश करना महज राजनीतिक मूर्खता है। साथ ही इस हास्यास्पद कदम की न तो कोई कानूनी मान्यता है और न ही विश्व समुदाय में विश्वसनीयता। सही मायनो में यह हरकत पाक द्वारा सीमा पार से आतंकवाद के जरिये क्षेत्रीय विस्तार की कुत्सित कोशिशों को दर्शाती है। इस घोषणा के अलावा पाक पहले ही कश्मीर में अनुच्छेद-370 खत्म किये जाने के दिन पांच अगस्त को शोषण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कर चुका था। यहां तक कि इमरान सरकार ने चीन की मदद से फिर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मामला उठाने की असफल कोशिश की। लेकिन इसके बावजूद कश्मीर पर कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं आ सका। इसके साथ ही विवादित क्षेत्र गिलगित-बाल्टिस्तान में कोरोना काल में भी विधानसभा चुनाव कराने की पाकिस्तान की जिद भी इसी हताशा का नतीजा है। लंबे समय से भारत में आतंकवाद फैलाने की साजिशों के चलते पाक सारी दुनिया में पहले ही संदेह के घेरे में है और उसकी विश्वसनीयता दांव पर लगी है, जिसके चलते फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाक को आतंकवादियों के वित्त पोषण के लिये ग्रे-सूची में डाला हुआ है। उस पर लश्कर-ए-तैयबा और जैश की मदद का आरोप है।
दरअसल, नेपाल के बाद पाक द्वारा भारत को बेतुके नक्शा विवाद में उलझा देने की कोशिशों के पीछे चीन की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। खुद भारत को लद्दाख क्षेत्र में उलझाकर चीन भारत पर चौतरफा दबाव बनाना चाहता है जो कि मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा भी है। दरअसल, यह करतूत पाक सत्ताधीशों की दिग्भ्रमित सोच का ही परिचायक है। खासकर सरक्रीक और जूनागढ़ को नक्शे में शामिल करने की बात जो पिछले कई दशकों से पाक के एजेंडे में ही नहीं रहा है। वहीं दूसरी ओर पाक हुक्मरान लद्दाख पर चीनी नजर के चलते इसे नक्शे में शामिल करने से बचे हैं। दरअसल, पाक इस नक्शे के जरिये कई मोर्चों पर भारत को उलझाना चाहता है। वह जानता है कि चीन का उसके साथ खड़ा होना उसके लिये मददगार हो सकता है क्योंकि चीन कश्मीर के मुद्दे पर उसका साथ खुलकर दे रहा है। मगर यह पाक के लिये नुकसानदायक है कि वह अब तक जिस कश्मीर को मानवाधिकारों का मुद्दा बताता था, वह नई मांग से क्षेत्रीय मुद्दा बन जाता है। दरअसल, अनुच्छेद-370 हटाये जाने के एक साल पूरा होने से ठीक पहले इमरान खान ने जो शिगूफा छोड़ा है, उसका मकसद घरेलू अवाम को भरमाना है कि पाक ने भारत को मुश्किल में डाल दिया है। यह भी कि पाक ने कश्मीर मुद्दे पर हथियार नहीं डाले हैं। इस तरह के कल्पनिक प्रश्नों के जरिये इमरान सरकार पाक के लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रही है। कुल मिलाकर यह बचकानी हरकत है, जिसे शर्मनाक ही कहा जायेगा, जिसकी न कोई तार्किकता है और न ही विश्व समुदाय द्वारा उसकी दलीलों पर कोई ध्यान ही दिया जायेगा। ऐसे में किसी देश द्वारा मान्यता दिये जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। यही वजह है कि भारत सरकार ने पाक के दावों को सिरे से खारिज करते हुए अपनी संप्रभुता को अटल सत्य बताया है।