यूक्रेन विवाद और कोरोना चुनौती के बीच रूसी राष्ट्रपति का भारत आना निस्संदेह इस बात का प्रतीक है कि पुतिन भारत से संबंधों को अपनी प्राथमिकता देते हैं। इस यात्रा के गहरे निहितार्थ हैं सामरिक दृष्टि से और कारोबारी रिश्तों की वजह से भी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत रूस से उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 खरीद रहा है, जिस पर अमेरिका की भौंहें तनी हुई हैं। अमेरिका ने नाटो संगठन के देश तुर्की पर रूस से ऐसी ही मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली खरीदने पर प्रतिबंध लगाये थे। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को संदेश दिया है कि भले ही कई मामलों में भारत का अमेरिका के प्रति झुकाव रहा हो, लेकिन अपने रणनीतिक हितों के लिये विदेश नीति निर्धारण में वह किसी देश का पिछल्लगू नहीं है। भारत-रूस के इस 21वें शिखर सम्मेलन में पुतिन व मोदी की बातचीत के अलावा ‘टू प्लस टू’ बैठकों में दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की मुलाकातें महत्वपूर्ण होते रिश्तों की बानगी दर्शाती है। इस दौरान हुए महत्वपूर्ण समझौते इस बात पर मोहर लगाते हैं। निस्संदेह, रूस भारत का भरोसेमंद सहयोगी रहा है और संकट के कई मौके पर हमारे साथ खड़ा रहा है। यही वजह है कि दोनों देशों में रक्षा सहयोग दस वर्ष बढ़ाने पर सहमति बनी है। इस वार्ता में दोनों देशों के नेताओं की गर्मजोशी प्रगाढ़ होते रिश्तों को दर्शाती है। निस्संदेह, पुतिन कुछ ही घंटों के लिये भारत आये, लेकिन इस यात्रा के महत्वपूर्ण मायने हैं। खासकर ऐसे समय में जब साम्राज्यवादी चीन लगातार सीमा पर भारत के लिये मुश्किलें खड़ी कर रहा है और अफगानिस्तान में पाक-परस्त तालिबान सत्ता में काबिज हो गया है, भू-सामरिक दृष्टि से रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा और महत्वपूर्ण हो जाती है। शांति, सहयोग व दोस्ती के पांच दशक व रणनीतिक साझेदारी के दो दशक पूरा होना, दोनों देशों के भरोसे के रिश्तों को ही दर्शाता है। कोविड संकट के दौरान जब देश दूसरी लहर से जूझ रहा था और पश्चिमी देशों द्वारा वैक्सीन निर्माण से जुड़ी सामग्री देने में आनाकानी की जा रही थी, तब रूस आगे आया और भारत के लिये स्पूतनिक वैक्सीन की आपूर्ति और उत्पादन पर सहमति बनी थी।
दरअसल, पुतिन की इस यात्रा के दौरान भारत व रूस सामरिक व रक्षा चुनौतियों के बाबत ही साथ खड़े नजर नहीं आये, बल्कि आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी व संगठित अपराधों से जूझने में साझा लड़ाई की बात कही गई। इन मुद्दों में पुतिन द्वारा भरोसा देना पाक को भी सख्त संदेश है, जो सीमापार से भारत के खिलाफ आतंकवाद व नशीले पदार्थों की तस्करी को हथियार की तरह इस्तेमाल करता रहा है। वहीं पुतिन ने भारत की सीमा पर चीन के जमावड़े पर चर्चा करते हुए स्पष्ट कहा कि भारत एक बड़ी ताकत है। बहरहाल, अब तक रक्षा व अंतरिक्ष विषयों पर सहभागिता करने वाले भारत व रूस ने टू-प्लस-टू बैठक में इन्हें विस्तार देने पर सहमति व्यक्त की है। दूसरी ओर सेना को आधुनिक हथियार मुहैया कराने के क्रम में अत्याधुनिक असॉल्ट राइफल एके-203 की खरीद तथा अमेठी में आयुध फैक्टरी में लाखों राइफलों के निर्माण का समझौता हथियार बनाने में भारत की आत्मनिर्भता की दिशा में एक बड़ा कदम कहा जा सकता है। विश्वास है कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और कीमतें तय करने की अड़चनों को दूर करने के बाद अब इनका निर्माण गति पकड़ेगा। साथ ही क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी। वहीं क्लाशनिकोव शृंखला के छोटे हथियारों के उत्पादन के बारे में वर्ष 2019 के समझौते में संशोधन व सैन्य एवं तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में अंतर को सरकारी आयोग के प्रोटोकॉल में बदलाव किया गया है। निस्संदेह, दोनों देशों के भरोसेमंद रिश्तों को पुतिन की यात्रा से और मजबूती मिलेगी। खासकर अचूक मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली एस-400 की आपूर्ति शुरू होने से पड़ोसी मुल्क भारत पर हमले की कोशिश से पहले कई बार विचार करेंगे। भारत ने इसे अपनी रणनीतिक संप्रभुता के लिये अपरिहार्य बताया है, जिसके चलते अमेरिका व चीन की निगाहें पुतिन की भारत यात्रा पर लगी थी।