
जिस पाकिस्तान का जन्म ही भारत के प्रति दुश्मनी से हुआ है, उससे हर दौर में घात-प्रतिघात के प्रति हमें सचेत रहना होगा। केंद्र में मजबूत सरकार आने के बाद जब सीमाओं पर सुरक्षा बलों की चौकस उपस्थिति है और रक्षाबलों-सेना को फैसले लेने की आजादी मिली है, तो पाकिस्तानी घुसपैठ पर भी अंकुश लगा है। दशकों से की जा रही घुसपैठ के रुकने से बौखलाए पाक के सत्ता प्रतिष्ठानों व खुफिया एजेंसियों ने ड्रोन के जरिये छद्म घात शुरू किया है। जम्मू-कश्मीर व पंजाब में निरंतर नशीले पदार्थों की आपूर्ति व लगातार बरामद होती खेपें इस संकट को बता रही हैं। निस्संदेह यह बड़ा अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र है कि अफगानिस्तान से निकलने वाली नशे की खेपें हवाई, सड़क व समुद्री मार्ग से भारत भेजी जा रही हैं ताकि युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट किया जा सके। वहीं आतंकी व कट्टरपंथी संगठनों के लिये आर्थिक संसाधन जुटाये जा सकें। पिछले दिनों राजौरी में नियंत्रण रेखा के पास एक गांव से नशीले पदार्थों और हथियारों की बरामदगी पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये अंजाम दिये जा रहे नार्को-आतंकवाद की ओर इशारा करती है। कमोबेश इसी तरह पंजाब की सीमा पर भी अत्याधुनिक हथियारों व नशे की खेप ड्रोन के जरिये गिराने के भी तमाम मामले विगत में प्रकाश में आते रहे हैं। निस्संदेह, यह एक सुनियोजित खतरनाक साजिश है जिसमें चीन में निर्मित ड्रोनों के प्रयोग की बात भी सामने आती रही है। ऐसे में यह स्थिति सुरक्षा बलों के लिये बड़ी चुनौती पैदा कर रही है क्योंकि तकनीक के जरिये लड़े जा रहे छद्म युद्ध का मुकाबला अत्याधुनिक तकनीक के जरिये ही किया जा सकता है। यह भी एक हकीकत है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ड्रोन की सहज उपलब्धता तथा सुरक्षा बलों की ओर से रात्रि व खराब मौसम में उन पर नजर रख पाने में मुश्किल के चलते यह चुनौती जटिल होती जा रही है।
निस्संदेह, थल सीमा पर सुरक्षा बलों की सजगता-सतर्कता से आतंकवादियों व पाक पोषित नशा तस्करों की थल मार्ग से घुसपैठ मुश्किल हुई है। लगातार मार गिराये और खदेड़े गये ड्रोनों की संख्या बताती है कि यह साजिश किस पैमाने पर हो रही है। साथ ही यह भी कि भारत के खिलाफ सीमापार बैठे लोगों के खतरनाक इरादे किस हद तक जा पहुंचे हैं। निस्संदेह, भौगोलिक जटिलता के चलते पूरी थल सीमा की निगरानी कर पाना असंभव जैसा ही है। इसके बावजूद भारत को काउंटर ड्रोन तकनीकों को प्रयोग में लाकर आतंकवादियों व नशा तस्करों के मंसूबों पर पानी फेरना होगा। साथ ही देश के भीतर की उन काली भेड़ों पर भी नजर रखनी होगी, जो पाक में बैठे आकाओं के इशारों पर हथियारों व नशे के अवैध कारोबार में मददगार बने हुए हैं। देश में ड्रोन तकनीक के उपयोग व विस्तार के लिये बड़ी पूंजी के निवेश की जरूरत भी महसूस की जा रही है। निस्संदेह,ड्रोन के जरिये लगातार बढ़ती घुसपैठ व तस्करी से निपटने के लिये किसी भी स्तर पर उदासीनता घातक साबित हो सकती है। आज पूरी दुनिया में युद्ध शैली में बड़ा बदलाव आया है। हाल में ईरान में बने ड्रोनों ने यूक्रेन में कहर बरपाया है। इस समस्या से निपटने के लिये देश में युद्ध स्तर पर ड्रोन तकनीक में शोध व अनुसंधान को बढ़ावा देने की जरूरत है। उस हद तक कि देश के युवाओं में ड्रोन निर्माण व शोध के लिये एक नया जुनून पैदा हो सके। यह वक्त की जरूरत भी है कि अपनी सीमाओं को अक्षुण्ण बनाये रखा जाये। यह इसीलिये भी जरूरी है कि पड़ोसी मुल्क चीन ने पिछले दिनों अपने रक्षा खर्च में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की है। पिछले दिनों लद्दाख व एलएसी पर संदिग्ध गतिविधियां उसके खतरनाक मंसूबों की ओर इशारा कर रही हैं। जिसको लेकर हमें सतर्क रहना होगा। हमें उन्नत राडार, रेडियो फ्रीक्वेंसी एनालाइजर, ध्वनिक सेंसर या ऑप्टिकल सेंसर जैसे अत्याधुनिक ड्रोन निगरानी तंत्र की बहाली तुरंत करनी होगी। यह सुखद है कि जे एंड के व पंजाब के विभिन्न सेक्टरों में तैनात स्वदेशी एंटी-ड्रोन जैमर व स्पूफर्स के परीक्षण सकारात्मक रहे हैं।
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