बाइडेन के सामने चुनौतियों का अंबार
अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन के शपथ ग्रहण के दौरान कर्फ्यू और भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती बता गई कि उनके लिये आने वाले दिन चुनौती भरे हैं। विवादित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही सत्ता से बाहर हो गये हों लेकिन वे एक ऐसा विभाजित अमेरिका पीछे छोड़ गये हैं, जिसका मुकाबला बाइडेन सरकार को करना पड़ेगा। सही मायनो में उनके लिये राष्ट्रपति पद कांटों के ताज जैसा है। घरेलू स्तर पर चुनौतियों के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें न केवल अमेरिका की विश्व शक्ति वाली प्रतिष्ठा की बहाली करनी है बल्कि ट्रंप प्रशासन द्वारा उलझाये गये चीन, कोरिया और ईरान जैसे विवादित मसलों से भी जूझना है। कोरोना संकट से सबसे अधिक संक्रमण और मौतों का शिकार अमेरिका को होना पड़ा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा महामारी से मुकाबले में की गई लापरवाही के बाद अमेरिका आज बेरोजगारी और उद्योग-धंधों के चौपट होने से बेजार है। बहरहाल, विभाजित अमेरिका को एकजुट करना उनकी प्राथमिक चुनौती है। शपथ ग्रहण के बाद पहले संबोधन में उन्होंने व्हाइट सुप्रीमेसी खत्म करने की बात तक कही। उन्होंने कहा कि यह अमेरिका का दिन है, लोकतंत्र का दिन है व उम्मीदों का दिन है। अमेरिकी लोकतंत्र की चिंताओं को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र कीमती है, लोकतंत्र नाजुक है मगर लोकतंत्र कायम है। हाल में कैपिटल बिल्डिंग में अमेरिका को शर्मसार करने वाली घटना का जिक्र भी उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि अब इस पवित्र जगह पर एक राष्ट्र के रूप में एक साथ हैं। उन्होंने सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण को अमेरिका की लोकतंत्र की परंपरा का विस्तार बताया। उन्होंने अमेरिका के लोगों को चेताया कि बिना एकता के शांति नहीं हो सकती। एकता ही आगे का रास्ता है। साथ ही अश्वेत कमला हैरिस के चयन को परिभाषित किया कि जिस देश में 108 साल पहले महिलाओं को वोट डालने से रोका गया था, वहां एक अश्वेत उपराष्ट्रपति बनी है।
जैसी उम्मीद थी कि राष्ट्रपति बनते ही बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप के कई विवादित फैसलों को पलटकर अमेरिका की छवि को सुधारने का प्रयास किया। राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठते ही बाइडेन ने पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका की वापसी की है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को तेज करते हुए एक फैसले पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग को अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही ट्रंप सरकार के विवादित फैसले मुस्लिम ट्रैवल बैन को खत्म कर दिया गया, जिसके तहत कुछ मुस्लिम व अफ्रीकी देशों के लोगों के अमेरिका आने पर रोक लगी थी। बाइडेन ने मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के फैसले को पलटते हुए इसके लिये फंडिंग पर रोक लगा दी। साथ ही विवादित कीस्टोन एक्सएल पाइपलाइन के विस्तार को भी रोक दिया, जो उनका चुनावी वायदा भी था। वहीं ग्लोबल वार्मिंग के लिये खतरा बने अमेजन वनों की कटाई के लिये ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो को जवाबदेह ठहराने की बात कही। इसके लिये फंडिंग जुटाने की भी उन्होंने बात कही। जहां तक बाइडेन सरकार के दौरान भारत व अमेरिकी संबंधों का सवाल है तो उनका विस्तार अपेक्षित है। भारत के लोग कमला देवी हैरिस के उपराष्ट्रपति बनने तथा बाइडेन प्रशासन में भारतीय मूल के बीस लोगों की महत्वपूर्ण भूमिकाओं को लेकर उत्साहित हैं। उभरती अर्थव्यवस्था और सामरिक समीकरणों के चलते दोनों देशों में बेहतर संबंधों की उम्मीद की जा रही है। हाल के दिनों में सुरक्षा व रक्षा मामलों को लेकर दोनों देशों में कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। कई बड़े रक्षा सौदे अमेरिका की जरूरत हैं। रक्षा मंत्री के लिये नामंकित लॉयड ऑस्टिन ने कहा भी है कि बाइडेन प्रशासन की प्राथमिकता भारत व अमेरिका में रक्षा साझेदारी बढ़ाना होगा। साझेदारी व सहयोग को मजबूत किया जायेगा ताकि अमेरिका व भारत के सैन्य हित सुरक्षित रह सकें, जिसमें क्वॉड सुरक्षा वार्ता और अन्य बहुपक्षीय कार्यक्रमों की भूमिका रहेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि बाइडेन के नेतृत्व में अमेरिका फिर विश्व नेतृत्व की भूमिका में आ सकेगा।