आत्मनिर्भरता से वैश्विक कारोबार तक
आखिरकार जिस भारतीय कोवैक्सीन को लेकर जमकर राजनीति की जा रही है, जिसकी उपादेयता पर शक जताया जा रहा था, उसके अंतिम चरण के आंकड़ों ने सभी शंकाएं निर्मूल साबित कर दी हैं। अंतिम नतीजे ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन से बेहतर पाये गये हैं। यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल था, जिसने बताया है कि देशकाल-परिस्थिति के चलते इसके आपातकालीन उपयोग की अनुमति उचित थी। कहा जा रहा था कि जब तक इसके तीसरे चरण के परिणाम नहीं आये हैं तो इसे लगाने की अनुमति क्यों दी जा रही है। कांग्रेस इस मुद्दे पर हमलावर हुई थी और सपा सुप्रीमो ने तो यहां तक कह दिया था कि वे भाजपा की वैक्सीन नहीं लगाएंगे। बहरहाल, अंतिम चरण के आंकड़े राहतकारी हैं। अंतिम आंकड़ों में भारत बायोटेक का स्वदेशी कोरोना टीका 81 फीसदी प्रभावी पाया गया है। निस्संदेह देशवासियों का इसमें भरोसा बढ़ेगा। हालांकि, इससे पहले प्रधानमंत्री ने स्वयं यह टीका लगाकर देशवासियों का भरोसा बढ़ाया था, जिसके बाद देश में टीकाकरण में लोगों की उत्सुकता बढ़ी भी है। अब तो अग्रिम चिकित्सीय परीक्षण के आंकड़े आने के बाद वैश्विक वैक्सीन अभियान में भारत की भूमिका को भी विस्तार मिलेगा। भारत बायोटेक के अनुसार दुनिया के चालीस देशों ने टीके में रुचि दिखायी है। हैदराबाद की भारत बायोटेक का कहना है कि उसके तीसरे चरण के ट्रायल में कुल 25800 लोग शामिल हुए थे, इस मायने में यह भारत का सबसे बड़ा चिकित्सा परीक्षण था, जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से अंजाम दिया गया था। कोवैक्सीन तेजी से उभरते कोरोना के नये रूपों के खिलाफ भी बेहतर प्रतिरोधक क्षमता दर्शा रही है। पहले कंपनी का अनुमान इसके साठ फीसदी प्रभावी होने का था लेकिन परिणाम उम्मीदों से बेहतर आये हैं। पिछले सप्ताह देश में जो एक करोड़ लोगों का टीकाकरण किया गया था, उसमें कुल 11 फीसदी कोवैक्सीन का ही प्रयोग किया गया था।
बहरहाल, कोवैक्सीन के ट्रायल के अंतिम परिणाम आने से भारत बायोटेक के इरादों को मजबूती मिली है। पूरी तरह स्वदेशी इस टीके की सफलता से विदेशों में इसके कारोबार बढ़ने की उम्मीदें भी जगी हैं। खासकर मित्र देशों से बेहतर संबंध बनाने में इससे मदद मिलेगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से विकसित इस टीके की प्रामाणिकता निस्संदेह इन परिणामों से बढ़ी है। इसकी एक वजह यह भी है कि तीसरे चरण में 18 से 98 वर्ष तक के लोगों को शामिल किया गया था, जिसमें ढाई हजार के करीब साठ से अधिक आयु का संवेदनशील वर्ग था, जिसे कोरोना संक्रमण की ज्यादा आशंका जतायी जाती रही है। अब कंपनी शीघ्र ही अंतिम चरण के आंकड़े सार्वजनिक करेगी। इसके बावजूद हमारी चिंता यह होनी चाहिए कि देश में कोरोना संक्रमण फिर से सिर उठा रहा है। वैक्सीनेशन बढ़ने के साथ ही देश में संक्रमण के आंकड़े बढ़ रहे हैं। बुधवार को उपलब्ध आंकड़ों में 24 घंटों में 18 राज्यों में कोरोना से ठीक होने के मुकाबले संक्रमित होने वालों की संख्या अधिक थी। इनमें भी संक्रमित होने वालों की सबसे बड़ी संख्या महाराष्ट्र की रही। वहां 18 अक्तूबर के बाद पहली बार नौ हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमण से ग्रस्त पाये गये। बुधवार को देश में 17,425 कोरोना के रोगी मिले और चौदह हजार ठीक हुए तो 87 लोगों की मृत्यु हुई, जिसका साफ संकेत है कि संकट टला नहीं है और किसी भी तरह की ढिलाई घातक साबित हो सकती है। सार्वजनिक जीवन में शारीरिक दूरी और मास्क का अनुपालन जरूरी है। इस दौरान होने वाले कि्रकेट व अन्य मैचों के दौरान दर्शकों की संख्या को नियंत्रित करने की जरूरत महसूस की जा रही है। खासकर जिन चार राज्यों व एक केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, वहां राजनीतिक कार्यक्रमों में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत है। खासकर यह जानते हुए कि देश में 1.11 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और डेढ़ लाख से अधिक लोग जीवन गंवा चुके हैं। यह सुखद है कि देश में डेढ़ करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है।