चेन्नई से अंडमान निकोबार द्वीप समूह को जोड़ने वाली सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल न केवल इस द्वीप समूह को सूचना क्रांति का लाभ देगी बल्कि देश की मुख्यधरा के और ज्यादा करीब लायेगी। इस 2,312 किलोमीटर लंबी केबल का सोमवार को प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया, जिसकी आधारशिला उन्होंने ही वर्ष 2018 में रखी थी। यह उपलब्धि इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि यह उपलब्धि स्वदेशी है। इस परियोजना का निर्माण भारत संचार निगम लिमिटेड ने टेलीकम्यूनिकेशंस कंसल्टेंट्स लिमिटेड के तकनीकी परामर्श से किया है। यानी कि अब भारत को समुद्र के भीतर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने में किसी दूसरे देश की आवश्यकता नहीं होगी। अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लोगों को सबसे पहला लाभ यह होगा कि अब वहां ब्रॉडबैंड इंटरनेट की स्पीड दस गुना तक बढ़ जायेगी। साथ ही अब उपभोक्ता बीस गुना अधिक डाटा डाउनलोड करने की सुविधा पा सकेंगे जो अंडमान में नई सूचना क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। दरअसल, यह उपभोक्ताओं के अलावा रणनीतिक लक्ष्यों की दृष्टि से भी उल्लेखनीय उपलब्धि होगी। इससे क्षेत्र में पर्यटन उद्योग का विस्तार होगा, जो कालांतर रोजगार सृजन में सहायक होगा। दरअसल, तेज इंटरनेट सुविधा के अभाव में पर्यटक ऐसे क्षेत्रों में जाना पसंद नहीं करते। अब पर्यटकों व कारोबारियों को यहां रुककर अपनी योजनाओं को गति देने में मदद मिलेगी। निस्संदेह कारोबार बढ़ने और आर्थिक विकास को गति मिलने से क्षेत्र के लोगों के जीवनस्तर में सुधार आयेगा। इसके साथ ही अंडमान निकोबार द्वीप समूह में उन उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सकता है जो पर्यावरण के अनुकूल भी हों। खासकर आईटी उद्योग की संभावनाओं को विस्तार दिया जा सकता है। जिससे रोजगार के अवसर तो मिलेंगे, साथ ही अंडमान द्वीप समूह की मूल संरचना से छेड़छाड़ भी नहीं हो पायेगी। निस्संदेह अंडमान द्वीप समूह का आर्थिक विकास देश की मुख्यधरा के साथ कदमताल कर सकेगा। यह वक्त की जरूरत भी है। कुल मिलाकर सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल से देश का साइबर ढांचा मजबूत होगा।
दरअसल, इस परियोजना के क्रियान्वयन का रणनीतिक महत्व भी है। हिंद महासागर में हाल के दिनों में चीन तथा अन्य देशों की नौसैनिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। उससे इन द्वीप समूहों को सुरक्षा मुहैया कराने में सूचना तकनीक की बड़ी भूमिका रहेगी। खासकर जैसे चीन भारत की चौतरफा घेराबंदी कर रहा है, उसे देखते हुए तमाम आबादी वाले व निर्जन द्वीपों को संरक्षण देना जरूरी है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पूर्वी एशियाई देशों और समुद्र से जुड़े दूसरे देशों से मजबूत रिश्ते बनाने में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। भविष्य में इस भूमिका का विस्तार होना तय है। यही वजह है कि सबमरीन ऑप्टिकल केबल बिछाने के अलावा भी इन द्वीप समूहों में सड़क, हवाई और जल परिवहन के जरिये शेष देश व दुनिया को जोड़ने के प्रयास तेज कर दिये गये हैं। दरअसल, सरकार समुद्र में ईज ऑफ बिजनेस को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे भारत को समुद्री कारोबार का अपेक्षाकृत ज्यादा लाभ मिल सके। बहरहाल, अंडमान निकोबार में इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने के साथ ही देश के शेष भागों में भी स्पीड बढ़ाने की दिशा में तत्काल पहल होनी चाहिए क्योंकि तेज इंटरनेट आधुनिक विकास की कुंजी भी है। अभी हम स्पीड के मामले में दुनिया में बहुत पीछे हैं। चीन ने इंटरनेट की अप्रत्याशित स्पीड से अपने आर्थिक लक्ष्यों को चौंकाने वाली गति दी है। ऐसे वक्त में जब दुनिया में 5-जी इंटरनेट सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, भारत में 4-जी की स्पीड भी बहुत कम है। समय की जरूरत है कि इस दिशा में व्यापक स्तर पर पहल की जाये क्योंकि ये हमारे विकास का रास्ता तो है ही, साथ ही रोजगार की बड़ी संभावनाओं के द्वार भी खोलता है जो कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों के अनुरूप भी होगा। खासकर आज जब कोरोना संकट ने हमें टेली एजुकेशन और टेली मेडिसन की राह दिखायी है, उसके लिये इंटरनेट की तेज रफ्तार अनिवार्य शर्त भी है।