सतर्कता से करें पैकेज्ड फूड का उपयोग
पैकेज्ड व डिब्बाबंद फूड उत्पादों की खरीद व उपयोग में सावधानी जरूरी है क्योंकि इनमें ज्यादा ही सैचुरेटिड फैट, सोडियम और चीनी डाली जाती है। वहीं इन्हें स्टोर करने के लिए प्रिजर्वेटिव्स और कैमिकल्स का इस्तेमाल होता है। पैकेज्ड फूड...
पैकेज्ड व डिब्बाबंद फूड उत्पादों की खरीद व उपयोग में सावधानी जरूरी है क्योंकि इनमें ज्यादा ही सैचुरेटिड फैट, सोडियम और चीनी डाली जाती है। वहीं इन्हें स्टोर करने के लिए प्रिजर्वेटिव्स और कैमिकल्स का इस्तेमाल होता है।
पैकेज्ड फूड वो खाना है, जो डिब्बे, बोतल, कैन, बैग्स, पैकेट या कंटेनर में बेचा जाता है। पैकेज्ड स्नैक्स, डिब्बाबंद खाना, बोतलबंद पानी और रेडिमेड भोजन, कुछ पैकेज्ड फूड के उदाहरण हैं। पैकेज्ड फूड कई तरह के होते हैं। डेयरी उत्पाद, पास्ता, मैगी व शिशु आहार आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं। पैकेज्ड फूड ऐसी विधि से तैयार किए जाते हैं कि इनकी शेल्फ लाइफ ज्यादा हो। ये फ्रोजन और रेफ्रिजरेटेड होते हैं।
हानिकारक प्रिजर्वेटिव
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भले ही पैकेज्ड फूड खाने के लिए हमें तुरंत रेडिमेड उपलब्ध होते हैं, लेकिन इनको लंबे समय तक स्टोर करने के लिए इतने ज्यादा प्रिजर्वेटिव्स और कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है कि ये शरीर को पोषण देने की बजाय स्लो प्वाइजन का काम करते हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि इनके नियमित इस्तेमाल से लिवर और किडनी तक खराब हो सकते हैं। विदेशों में तो ज्यादातर फास्ट फूड पैकेज्ड ही होते हैं। हालांकि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीएनए) ने इनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को अपडेट करके इन पर हेल्दी होने के दावों को और मजबूती देने के लिए काफी कड़े नियम बनाए हैं ताकि उपभोक्ताओं को पौष्टिक आहार मिल सके। पैकेज्ड खाद्य पदार्थों को एक जगह से दूसरी जगह लाने, उनके भंडारण और बिक्री के दौरान इन्हें प्रदूषित होने से बचाने की कोशिश की जाती है।
जोखिम के चलते नियमों में कड़ाई
एफडीएनए के आहार संबंधी दिशा-निर्देशों 2020-2025 के अनुसार, आजकल अमेरिका जैसे देशों में भी अधिकतर लोग पैकेज्ड फूड लेने से कतराते हैं। सैचुरेटिड फैट, सोडियम और चीनी से भरे ये उत्पाद मोटापे, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम को बढ़ाते हैं, जिसके चलते वहां स्वस्थ आहार संबंधी नियम काफी कड़े कर दिए गये हैं। क्योंकि एफडीएनए का मानना है कि उनके उत्पादों में अगर ‘स्वस्थ’ की परिभाषा दी जाती है तो उनमें वो सभी पोषक तत्व होने चाहिए, जिनका दावा पैकेजिंग के कंटेंट में किया जाता है।
ये वजहें हैं अनहेल्दी होने की
पैकेज्ड सूप जब तैयार होते हैं तो इनका स्वाद अच्छा होता है, लेकिन इनमें मौजूद कलरिंग एजेंट और प्रिजर्वेटिव्स के कारण किडनी और लिवर पर इनका बुरा असर होता है। इनमें मौजूद यीस्ट एक्स्ट्रैक्ट पाउडर से शरीर में एसिडिटी बढ़ती है और इम्यूनिटी पर इसका बुरा असर होता है। पैकेज्ड बिस्कुट में एडिबल वेजिटेबल ऑयल में फैट्स के अलावा पोषक तत्व नहीं होते। क्योंकि इनको बनाते समय जब अधिक तापमान पर बेक किया जाता है तो तेल में मौजूद सभी पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। यह सैचुरेटिड फैट लिवर को नुकसान पहुंचाता है और मीठे के लिए इनमें जो कैमिकल स्वीटनर मिलाए जाते हैं, वो भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
रेडी टू ईट मील्स
रेडी टू ईट फूड में सब्जियों का पानी सुखाकर इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें कैलोरी और फाइबर तो होते हैं, लेकिन पोषण नहीं होता। इन्हें लंबे समय तक संरक्षित करने के लिए जिन प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया जाता है, वो भी सेहत के लिए हानिकर होते हैं। ये प्रिजर्वेटिव्स केवल 12 महीने तक प्रभावी होते हैं। एक्सपाइरी डेट के बाद इनका इस्तेमाल लिवर और किडनी के लिए नुकसानदेह है।
मूसली
पैकेज्ड मूसली में सोया लिसिथिन कंटेंट होता है, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। जी मितलाना, भूख कम होना, वजन बढ़ना या कम होना, चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सीरल्स
आजकल इन्हें ब्रेकफास्ट में खाने का बहुत चलन है। प्रिजर्वेटिव्स, आर्टिफिशियल कलर और कैमिकल्स से भरे इन सीरल्स को भी एक्सपर्ट्स पूरी तरह स्वास्थ्यवर्द्धक नहीं मानते। हालांकि सभी पैकेज्ड फूड्स सेहत खराब नहीं करते, लेकिन ज्यादातर में संतृप्त वसा, कैलोरीज़, नमक और चीनी की मात्रा इतनी ज्यादा होती है कि इनसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा होता है।
सावधानियां जरूरी
पैकेज्ड भोजन के लेबल को ध्यान से पढ़ें और न्यूट्रिशन लेबल के इंडेक्स को अच्छी तरह जांचें। बनाने की तिथि और कब तक इस्तेमाल में लाना है, जरूर चेक करें। इन्हें छह महीने के भीतर इस्तेमाल कर लेना चाहिए। जहां तक हो सके छोटा पैक खरीदें ताकि एक बार खुलने पर उसका जल्दी से इस्तेमाल हो सके। कैन वाले पैकेज्ड फूड को विशेष तौरपर उसकी एक्सपायरी डेट देखकर खरीदें। ऐसे फूड का चुनाव करें जिसमें कम फैट और कम कैलोरीज हों। फ्राइड फैट फूड की जगह स्टीम्ड, बेक्ड और रोस्टिड पैक्ड फूड खरीदें। -इ.रि.सें.

