सहजन ऐसा वृक्ष है जिसकी पत्तियों व छाल से लेकर जड़ों तक के औषधीय प्रयोग होते हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला व कई रोगों की चिकित्सा में बेहद उपयोगी माना गया है। इसके फूलों व फलियों यानी ड्रमस्टिक को सूप व सब्जी के रूप में खा सकते हैं।
पंजाबी में कहावत है कि ‘सुहांजणा की छां, न कुत्ता बैठे न कौआ’। कहने का भाव यह है कि सुहांजणा या सहजन ऐसा वृक्ष है जिस पर न पक्षी अपना घोंसला बना सकते हैं और न ही यह अधिक छायादार होता है, परंतु मानव स्वास्थ्य वर्धक प्रणाली में प्राचीनकाल से इसके अनगिनत लाभों का वर्णन आयुर्वेदिक साहित्य में मिलता है। बता दें कि जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के पहले सप्ताह तक इसे बीजों द्वारा तैयार किया जा सकता है। इसके साथ-साथ वर्षा ऋतु में इसे कलमों के माध्यम से भी लगाया जा सकता है।
कौनसे हिस्से का करें उपयोग
इस वृक्ष के पत्ते, फूल, फलियां, छाल और जड़ों का प्रयोग बड़े स्तर पर आयुर्वेदिक उद्योग जगत में किया जा रहा है।
सहजन से चिकित्सीय लाभ
सुहांजणा में प्राकृतिक तौर पर प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए, सी, ई, के, बी-6 पाया जाता है। इसके अलावा यह कैंसर रोधी, रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाला, शुगर रोग व ब्लड प्रेशर को काबू में रखने में मददगार, हड्डियों और जोड़ों के दर्द में राहतकारी, पाचन तंत्र को मजबूती देने वाला व खून की वृद्धि में सहायक है। चिकित्सीय गुणों से भरपूर यह हर्बल वृक्ष मानव की सेवा कर रहा है।
विद्यार्थियों के लिए खास फायदा
विभिन्न राज्यों के स्कूलों में मिड डे मील प्रदान किया जाता है। क्योंकि सुहांजणा सुपर फूड की श्रेणी में शामिल किया गया है।
इसलिए सुहांजणा को मिड डे मील स्कीम में शामिल करने की दिशा में पहल करने की जरूरत है। वहीं स्कूलों में हर्बल गार्डन स्कीम के तहत सुहांजणा के पौधों का रोपण करने की आवश्यकता है ताकि वहां मिड डे मील के लिए यह उपलब्ध हो सके।
सावधानियां
गर्भावस्था के दौरान सुहांजणा का किसी भी रूप में सेवन करने से परहेज़ करना चाहिए। शुगर और ब्लड प्रेशर की टैबलेट्स लेने वालों को इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। कई बार इसके सेवन से पेट दर्द और दस्त की शिकायतें भी देखने को मिलती हैं।
Advertisement
Advertisement
×

